दुनिया भर के देशों में भारत की गिनती भले ही विकसित देशों में होती हो। भले ही आज तकनीकी और आर्थिक नजरिए से भारत एक मजबूत देश माना जाता हो, मगर आज भी सामाजीक तौर पर भारत काफी पिछड़ा हुआ देश है। आज भी भारत में पुरानी परंपराओं से हटकर कुछ करने पर सोसाइटी का गुस्सा सहना पड़ता है। खासतौर पर भारत में महिलाएं आज भी पुरानी परंपराओं की बेडि़यों में बंधी हुई हैं। आज भी न तो उन्हें दूसरी शादी करने का हक है और न ही दो शादियां करने का, जबकि पुरुषों को यह हक विरासत में मिलता है। बावजूद इसके भारत में धीरे-धीरे homosexuality, gender equality, pre-marital sex, divorce और remarriages जैसी चीजों को कुछ लोगों ने स्वीकारना शुरु कर दिया है। ऐसे ही लोगों में से एक हैं सनहिता अग्रवाल। सनहिता ने हालहि में अपनी विडो मदर की दूसरी शादी करवाई है।
दरअसल 2 साल पहले सनहिता के फादर की एक हादसे में डेथ हो गई थी। पिता की असमय हुई मौत ने उनके पूरे घर को हिसा कर रख दिया था। घर पर मां और बड़ी बहन के साथ रहने वाली सनहिता को लोग दिलासा देते थे कि समय के साथ सब कुछ सही हो जाएगा। पिता के गुजर जाने के 6 महीने बाद भी हालात सुधरने की जगह बिगड़ते ही चले गए। एक न्यूज वेबसाइट को इंटरव्यू के देने के दौरान सनहिता ने बताया, 'मैं और मेरी बड़ी बहन तो तब भी घर से बाहद निकलते थे और लोगों से मिलते थे मगर मेरी मां दिन भर घर पर अकेले रोती रहती थी। हमने मां को कई बार पापा की तस्वीर के खड़े होकर रोते देखा था। सोते वक्त भी मां पापा को ही याद करती रहती थीं। अचानक उठ कर पूछतीं पापा कहा हैं? '
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सनहिता के घर की स्थितियां तब और बिगड़ गईं जब उन्हें घर से बाहर जॉब के लिए जाना पड़ा। सनहिता की बड़ी बहन भी मैरिड थी इसलिए वह भी मां को उतना समय नहीं दे पाती थीं जितना उन्हें चाहिए होता था। सनहिता हर वीकेंड घर आती और मां के अकेलपन को देख उससे मां की यह हालत बरदाश्त न होती।। तीन माह तक ऐसा ही चला रहा। मगर उसके बाद सनहिता ने तय किया कि वो अब अपनी मां को अकेला नहीं रहने देगी और ऐसा करने के लिए जो सनहिता ने सोचा, वैसा ज्यादा लोग नहीं सोच पाते। दरआस सनहिता ने मां की दूसरी शादी कराने के बारे में सोचा।
अपनी सोच के अनुसार सनहिता ने अपनी मां का एक मैट्रीमोनियल साइट पर प्रोफाइल बनाया और उनकी लाइफ स्टोरी के बारे में प्रोफाइल में शयर किया। सनहिता अपनी मां के लिए एक ऐसा साथी ढूंढ रही थी जो उसकी मां को समझे और उनका दुख सुख में साथ दे। जहां एक तरफ सनहिता मां के लिए साथी तलाश रही थी वहीं दूसरी तरफ सनहिता की मां आम विडो महिलाओं की तरह समाज के तानों और सोच से घबरा कर 50 वर्ष उम्र में दूसरी शादी करने से इंकार कर रही थी।
सनहिता कहती हैं, मैंने मां को समझाया और कहा कि उनकी गलती नहीं कि आज पापा हमारे साथ नहीं हैं। उन्हें अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक है। किसी के जाने से दुनिया खत्म नहीं होती। बल्कि हर किसी को अपनी लाइफ को एक नया चांस देना चाहिए। 80 कि उम्र में जब कोई अकेला हो जाता है तो समाज नहीं आता उसकी सेवा करने उसकी मदद करने यहां तक कि अपने सगे संबंधी भी अकेले लोगों से बचते हैं। तब क्या होगा जब जरूरत के वक्त कोई भी पास नहीं होगा। दुनिया में केवल पार्टनर ही पार्टनर की सेवा कर सकता है उसके सुख दुख समझ सकता है। बाकि लोग सिर्फ बाते बनाते हैं और समय के साथ सब भूल जाते हैं।
बेटी की बात मां को समझ आ गई और वह शादी के लिए तैयार हो गईं। सनहिता को बहुत ही मुश्किल से अपनी मां के लिए साथी मिला, जो उनके ही जैसा था। सनहिता ने सही मैच मिलते ही बिना देर किए अपनी मां की शादी करवा दी। सनहिता कहती हैं, 'मां की शादी के बाद मैं उनको फोन पर पूछती थी कि वो कैसी हैं अपना ख्याल तो रख रही हैं। तब मां कहती थी कि वो अपना ख्याल रख रही हैं। मगर अब उनका फोन आता है और वह कहती हैं कि वो बहुत खुश हैं अपनी लाइफ से और अब उन्हें अपना ध्यान नहीं रखना पड़ता बल्कि कोई और उनका ध्यान रखता है।'
सनहिता अपनी मां को आज खुश देख कर खुद पर बहुत ही प्राउड करती हैं। वह कहती हैं, ' मेरे हिसाब से तो हर विडो को दूसरी शादी करके नई शुरुआत करनी चाहिए और समाज को इस फैसले में उनका साथ देना चाहिए। '
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