पाकिस्तान में कृष्णा कुमारी ने एक नया इतिहास रच दिया है, पाकिस्तान के पिछड़े इलाके नगरपारकर के एक हिंदू परिवार से संबंध रखने वाली कृष्णा कुमारी कोहली सीनेटर बन गई हैं। यहां आपको बता दें कि कृष्णा कुमारी पाकिस्तान की ‘पहली महिला दलित हिन्दू’ सीनेटर (राज्यसभा सांसद) बनी हैं।
पाकिस्तान की पहली महिला हिन्दू मेंबर, ऑफ नेशनल एसेंबली (लोकसभा सांसद) रीता ईश्वर लाल हैं, जो 2013 में महिलाओं के लिए रिजर्व सिंध की NA-319 सीट से चुनी गई थीं।
साल 2006 से लेकर साल 2012 तक रत्ना भगवान दास चावला पाकिस्तान की पहली महिला हिन्दू सीनेटर रह चुकी हैं पर वे दलित हिन्दू नहीं थीं। इन्हें भी PPP ने ही सीनेटर बनाया था।
यहां आपको बता दें कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की तरफ से पाकिस्तान के सिंध प्रांत में थार से कृष्णा कुमारी मुस्लिम देश में ‘पहली महिला दलित हिन्दू’सेनेटर बनी हैं। बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी पीपीपी ने अल्पसंख्यकों के लिए सीनेट की एक सीट पर उन्हें नामांकित किया था। कृष्णा और उनके भाई पिछले कुछ वक्त से एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पीपीपी से जुड़े थे। बाद में उनके भाई को यूनियन काउंसिल बेरानो का चेयरमैन चुना गया था।
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कृष्णा कुमारी के पिता हैं उनके सीनेटर बनने की खबर से बेखबर
पाकिस्तान में कृष्णा कुमारी ने पहली हिंदू दलित महिला सीनेटर बनकर जो इतिहास रचा है इसी खुशी में उनके समुदाय के कई लोग उनके घर मुबारकबाद देने आ रहे हैं और ऐसे में उनके माता-पिता बहुत खुश हैं।
एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कृष्णा कुमारी ने बताया कि कई लोग उनके घर मुबारकबाद देने आ रहे हैं, उनके माता-पिता बहुत ज्यादा खुश हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता है कि वो सीनेटर बन गई हैं। उनके माता-पिता को बस यही पता है कि उनकी बेटी को बहुत बड़ी नौकरी मिल गई है और वह जल्द इस्लामाबाद चली जाएगी।
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कृष्णा कुमारी के लिए सब कुछ है एक सपने की तरह
कृष्णा कुमारी का कहना है कि उनके लिए सब कुछ एक सपने की तरह है। उन्होंने ऐसा कभी सोचा नहीं था कि वो कभी भी एक सीनेटर चुनी जाएंगी। उन्हें अभी भी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है। कृष्णा कोहली ने कहा कि शिक्षा हासिल करने के बाद उनकी सोच यही थी कि उन्हें कोई अच्छी नौकरी मिल जाएगी और वह अपने समुदाय की कुछ सेवा कर सकेंगी लेकिन सीनेटर बनने के बारे में उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था।
कृष्णा कुमारी ने एम.ए. किया हुआ है और वह सामाजिक सेवा करती रहती हैं। कृष्णा कुमारी का कहना है कि वह जब भी राजनीति में आने के बारे में सोचती थीं तो उन्हें साथ ही यह ख्याल आता था कि कभी मौका मिला तो वो प्रांत की विधानसभा के लिए चुनाव लड़कर अपने इलाके के पिछड़े और गरीब लोगों के लिए कुछ जरूर करेंगी।
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