भारत में बेटों और बेटियों को बराबर का दर्जा दिया गया है, लेकिन कई ऐसे परिवार हैं, जो इस बात को नहीं मानते। उनकी नजर में आज भी बेटी एक बोझ है, जिसे पढ़ने लिखने या फिर आजादी से जिंदगी जीने का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि समय के साथ लड़कियों ने इस विचारधारा को ना सिर्फ बदलकर रख दिया है बल्कि जो लोग उन्हें बोझ समझते हैं, उन्हें बताया है कि वह सबकुछ कर सकती हैं जो एक बेटा कर सकता है। आज इसी की उदाहरण बनी हैं, जोधपुर की spice girls।
द स्पाइस गर्ल्स के नाम से मशहूर इन लड़कियों की सफलता के पीछे छिपा है लंबा संघर्ष। पिता के अचानक निधन के बाद इन लड़कियों ने ना सिर्फ बिजनेस को संभाला बल्कि उसे बढ़ाया भी। जोधपुर में आज उनकी मसालों की कई दुकाने हैं, जिन्हें भगवती की 7 बेटियां मिलकर चलाती हैं।
8वीं के बाद नहीं करने दी गई पढ़ाई
भगवती और उनकी 7 बेटियों की संघर्ष भरी पूरी कहानी को ‘ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे’ के इंस्टाग्राम पेज पर दिया गया है। उन्होंने बताया कि जब वह आठवीं में थीं, तो उनसे कहा गया कि वह पढ़-लिखकर क्या करेंगी। उनके भाई को पढ़ाना उनसे ज्यादा जरूरी है। यहीं से उनकी पढ़ाई छुड़वा दी गई और 22 साल की उम्र में शादी कर दी गई। भगवती बताती हैं कि उनके पति काफी अच्छे थे, लेकिन शादी के बाद उनका पूरा दिन किचन में गोल रोटियां बनाते बीतता था। हालांकि इस बात से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था, क्योंकि पूरी जिंदगी उन्हें इसी के लिए ट्रेन किया गया था। शादी के कुछ साल बाद हमारा पहला बच्चा हुआ जो एक लड़की थी, इसके लिए हम खुश थे, लेकिन हमारा परिवार खुश नहीं था क्योंकि उन्हें एक लड़का चाहिए था।
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बेटा नहीं होने पर सास देती थीं खूब ताने
पहला बच्चा लड़की होने के बाद भगवती को दूसरा बच्चा भी लड़की ही होती है, जिसके बाद सास ताने देना शुरू कर देती है। सास अक्सर भगवती को कहती कि एक बेटा पैदा नहीं कर सकती। परिवार की खुशी के लिए भगवती बेटे के लिए कोशिश कर रही थी, लेकिन बार-बार उन्हें बेटियां हो रही थीं। बार-बार प्रेग्नेंसी की वजह से उनका शरीर जवाब दे रहा था, लेकिन तब तक उनकी सात बेटियां हो चुकी थीं और उनकी सास के ताने भी दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहे थे। अहसनीय तानों की वजह से उनका जीना मुश्किल हो गया था। वहीं भगवती अपनी बेटियों को ऐसे माहौल में नहीं रखना चाहती थी, इसलिए उन्होंने यहां से निकलने का फैसला किया। इसके बाद उनके पति ने मसालों की एक दुकान खोली और वो दुकान अच्छी चलने लगी। इस तरह 10 साल बीत गए थे। घर में बेटिया भी काफी खुश थीं, जब वह डांस या फिर कुछ करतीं तो वह उन्हें जज बना देती। परिवार अपनी खुशियों के साथ जी रहा था, लेकिन तभी उनके पति को हार्ट अटैक आ गया और 44 साल की उम्र में भगवती विधवा हो गईं। उस वक्त मेरी दूसरी बेटी कॉलेज में थी और सबसे छोटी सिर्फ 9 साल की थी।
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पति के जाने के बाद ऐसे संभाली दुकान
पति के निधन के बाद भगवती दुकान को संभालने लगीं, इस मुश्किल वक्त में रिश्तेदार उन्हें कंट्रोल करना चाहते थे। लोग उन्हें ताने देते थे कि 'देखते हैं ये औरतें क्या करती हैं', मगर भगवती ने उन खोखली बातों पर ध्यान नहीं दिया। वह रोजाना सुबह उठती, खाना बनाती और दुकान पर चली जातीं। भगवती अपनी दुकान को चलाने की पूरी कोशिश कर रही थीं, लेकिन अंग्रेजी नहीं बोल पाने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतें हो रही थीं, क्योंकि उनके ज्यादातर क्लाइंट विदेशी थे, ऐसे में उन्होंने इस बिजनेस में अपनी बेटियों को शामिल करने का फैसला किया। इस दौरान भगवती यह ध्यान भी रखती थीं कि उनकी बेटियों की पढ़ाई बर्बाद ना हो। 4 साल बाद उनकी बेटियों की मदद से दूसरी दुकान भी खुल गई, जिसके बाद लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया कि 'औरत हो कितना आगे जाओगी'। लोगों के तानों से भगवती अब रूकने वाली नहीं थीं। धीरे-धीरे उनकी सभी बेटियां इस बिजनेस को अच्छी तरह संभालने लगीं। 16 साल बाद उनके मासलों के बिजनेस की 4 ब्रांच हैं और उनकी बेटियां 'The Spice Girls' के नाम से मशहूर हैं। लोग अब उनसे बिजनेस आइडियाज लेने आते हैं। भगवती मानती हैं कि उनके पिता ने उन्हें अच्छी पत्नी बनना सिखाया, लेकिन बेटियों ने सिखाया कि बिजनेस कैसे चलाते हैं।
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