एक औरत चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकती है। वह अपने सारे सपनों को पूरा कर सकती है। अपने जज्बे और जुनून से हर कहानी को सच कर सकती है। वो कहते हैं न कि कुछ बड़ा करने के लिए आपको कभी-कभी एक विचार, एक पुश, एक स्पार्क की जरूरत होती है और चीजें अपने आप आसान होती जाती हैं। कुछ ऐसा ही सफर रहा है लाइमरोड जैसे फैशन प्लेटफॉर्म की स्थापना करने वाली सुची मुखर्जी का। सुची ने अपने नजरिये और दृष्टिकोण से न सिर्फ यह प्लैटफॉर्म बनाया बल्कि इसे इस काबिल बनाया कि लोग भी इसे पसंद करें। कौन हैं सुची मुखर्जी आइए जानें।
एक कर्मचारी के रूप में सुची
सुची ने अपना मास्टर पूरा करने के बाद, अपना करियर शुरू किया। जिस कंपनी के साथ वह सबसे पहले जुड़ी वह थी लेहमैन ब्रदर्स इंक। उसके बाद उन्होंने वर्जिन मीडिया को चुना। दो सालों तक यहां काम करने बाद सुची ने ईबे के साथ भी काम किया। इस तरह उन्होंने कई बड़ी कपंनियों में काम किया और अपना योगदान दिया। कुछ समय बाद सुची को अपना कुछ करने का मन किया। इसी दौरान उन्हें लाइमरोड बनाने का आइडिया भी मिला।
लाइमरोड का सफर
वह अपने लिए कुछ करना चाहती थी, कुछ ऐसा जो समाज में अंतर को भर सके, कुछ ऐसा जो बहुतों की जरूरतों को पूरा करे और इसलिए उसने लाइमरोड.कॉम बनाया! लाइमरोड एक सोशल-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है जो आज की महिला ऑडियंस को टार्गेट करता है। इस प्लैटफॉर्म पर आप मजेदार फैशन स्टाइल शेयर, डिसकवर और खरीद सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि इसमें 100 पर्सेंट यूजर द्वारा जनरेट किया गया कॉन्टेंट है जो इसकी स्क्रैपबुकिंग कम्युनिटी के द्वारा बनाई गई है।
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कैसे आया आइडिया
हैरानी कि बात यह है कि लाइमरोड डॉट कॉम का आइडिया उन्हें तब आया जब वह एकदम परेशान और फ्रस्टेटेड थीं। दरअसल, सुची जब लंदन में थीं तो एक दिन ऐसे ही कोई मैग्जीन पढ़ रही थी। उस मैग्जीन पर एक जूलरी का पीस उन्हें दिखा और वह उसे खरीदना चाहती थी। लेकिन चूंकि वह मुंबई के किसी छोटे स्टोर से आ रहा था तो उशे आने में बहुत समय लग गया। तभी उन्हें दो बातें समझ आईं कि ऐसी कोई कंज्यूमर तकनीक नहीं थी जो इस तरह एक्सेसरीज को एक मैग्जीन के रूप में लोगों के आगे दिखा सके और दसूरी ऐसा कोई प्लेटफॉर्म नहीं बना था, जिससे कोई बी व्यक्ति प्रोडक्ट्स की लिस्ट तक देख सके जो दुनिया के सबसे बड़े विनिर्माण केंद्रों में से एक भारत से निर्मित और शिप किए गए थे। आम भाषा में कहें, तो भारत वर्चुअल वर्ल्ड से अलग लग रहा था।
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वह एक ऐसे मंच का निर्माण करना चाहती थी, जहां एक बेहद आसान खोज इंटरफ़ेस में भव्य, किफायती जीवन शैली के उत्पाद मिल सकें। वह एक महिला होने के नाते, जानती थी कि महिलाओं को अलग-अलग और आउट-ऑफ-द-बॉक्स चीजें पसंद हैं, और प्रोडक्ट डिसकवरी लाइफस्टाइल में खोजना बहुत बड़ी समस्या थी। जिस बात ने उन्हें और अधिक आश्वस्त किया, वह यह था कि भारत में उस समय दुनिया के लाइफस्टाइल उत्पादों के 21% से अधिक निर्माण कर रहा था। वह इस अवसर को भुनाना चाहती थीं। वह चाहती थीं कि वह सभी वेंडर्स जो हाई क्वालिटी के अफोर्डेबल प्रोडक्ट्स बना रहें उन्हें एक इंटरफेस के माध्यम से सभी के साथ जोड़ा जा सके। जब वह इसके लिए पूरी तरह तैयार हो गई तो वह भारत आ गईं। उन्होंने इसके बाद अपने दो अन्य पार्टनर संग 2012 में लाइमरोड लॉन्च किया।
शुरुआती अड़चनें
लाइमरोड को भी अपने शुरुआती चरणों के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि समस्याएं छोटी थीं मगर थीं जरूर। सबसे पहला स्टेप था ऐसे लोगों को ढूंढना जो अपने काम में माहिर हों। सुची और उनके साथियों को ऐसे लोगों को ढूंढने में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़े जो इसके लिए फिट हों। दूसरी बड़ी समस्या थी सही इंफ्रास्ट्रक्चर और हाईस्पीड इंटरनेट की सुविधा। इसके अलावा कंपनी को रजिस्टर करना और अन्य लीगल फॉर्मैलिटीज में भी उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि इन सबके बाद आज लाइमरोड वहां है जहां उसे होना चाहिए।
आज सुची मुखर्जी का यह सपना न सिर्फ साकार हुआ बल्कि उन्हें बुलंदियों पर भी पहुंचा गया। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी के साथ।
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