अगर सोच नई हो और काम करने का तजुर्बा भी कामयाबी की राहें खुल ही जाती हैं। कुछ ऐसा ही हुआ सास-बहू की एक अनोखी जोड़ी के साथ। रुचि झा और रेणुका कुमारी ने साथ मिलकर मिथिला पेंटिंग्स पर आधारित स्टार्टअप की शुरुआत की और आज इनके प्रॉडक्ट्स के खरीदार विदेशों में भी हैं।
रुचि झा ने कुछ साल पहले एक अनूठी सोच के साथ इन्वेस्टमेंट बैंकर जैसा सक्सेसफुल करियर छोड़कर देश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी उठाई। रुचि झा ने अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘आईमिथिला’ के जरिए मिथिला पेंटिंग्स को पॉपुलर बनाने का बीड़ा उठाया और अपनी सास के साथ मिलकर एंट्रेप्रिन्योरशिप में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनके इस स्टार्टअप की शुरुआत भी बड़े दिलचस्प तरीके से हुई। आइए जानते हैं कि उनके इस सफर के बारे में-
इस तरह हुई स्टार्टअप की शुरुआत
रुचि मिथिला की रहने वाली हैं। एक बार छुट्टियों में वह अपने गांव पहुंचीं। तब मिथिला पेंटिंग्स से जुड़े कुछ स्टेट और नेशनल लेवल के कलाकारों से उनका परिचय हुआ। इन कलाकारों ने घर के बाहर मिथिला पेंटिंग्स सजाई हुई थीं। रुचि को इन तस्वीरों की सुंदरता भा गई। मिथिला में इन पेंटिग्स से घर सजाने की परंपरा है। वह बताती हैं, ‘उन पेंटिंग्स को देखकर मुझे अहसास हुआ कि मैं इस कला को दुनियाभर में पहुंचाना चाहती हूं। अपनी शिक्षा और प्रोफेशनल एक्सपीरिएंस से मुझे लगा कि मैं इस काम को बखूबी कर सकती हूं। यहीं से हुई आईमिथिला हैंडीक्राफ्ट्स और हैंडलूम प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत।’
सास-बहू की आदर्श जोड़ी
स्टार्टअप्स में लोग अक्सर साझेदारों के साथ काम करते हैं, लेकिन रुचि का साथ देने के लिए उनकी सास साथ थीं। अक्सर पेरेंट्स और बच्चों या भाई-बहन के स्टार्टअप्स के बारे में सुनने को मिलता है, लेकिन सास-बहू साथ में, ऐसा सुनने में नहीं आता। इस मायने में यह जोड़ी एक अनूठी मिसाल पेश कर रही है। रुचि बताती हैं, ‘मेरी सास दरभंगा में ही रहती हैं, जहां की मधुबनी पेंटिंग्स दुनियाभर में मशहूर हैं। वह वनस्पति विज्ञान की प्रोफेसर के तौर पर काम कर चुकीं हैं और उनकी मधुबनी पेंटिंग्स में मेरी तरह ही उनकी विशेष रुचि है। हमारे मिलते-जुलते इंट्रस्ट ही इस स्टार्टअप की शुरुआत की वजह बन गए।’
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चुनौतियां का किया डटकर सामना
रुचि ने साल 2016 में अपने काम की शुरुआत की, उस समय महिलाओं के लिए वक्त उतना अनुकूल नहीं था। वह बताती हैं,‘घर के लोग मेरे काम करने को लेकर सहमत नहीं थे। कुछ सोशल प्रॉब्लम्स का भी सामना भी करना पड़ा। इस काम में लोकल आर्टिस्ट्स को राजी करना चैलेंजिंग काम था, क्योंकि वे मैथिली ही समझते थे। इस काम के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना भी मुश्किल था।
रुचि ने बताया, 'शुरुआत में हमें बहुत अच्छा रेसपॉन्स नहीं मिला। हमारे प्रॉडक्ट काफी नए थे। हमारे लिए मार्केट का डाटा नहीं था। इससे हमें काफी प्रॉब्लम हुई, लेकिन हम अपने स्तर पर कोशिश करते रहे। हमने लोगों के रेसपॉन्स देखकर हमने प्रॉडक्ट्स में लगातार बदलाव किया।’
फैशनेबल प्रॉडक्ट्स किए जा रहे हैं पसंद
रुचि के इस वेंचर में आधुनिक महिला की सोच को ध्यान में रखते हुए उपयोगी प्रॉडक्ट्स तैयार किए जाते हैं। इससे इनकी खरीद की संभावना भी ज्यादा होती है। रुचि और रेणुका के इस बेहतरीन काम से 100 से ज्यादा कलाकारों की जिंदगी संवर गई है। अब उनके वेंचर को केंद्र और राज्य सरकार से भी मदद मिल रही है। उन्हें सुपर स्टार्टअप अवॉर्ड भी मिला है।
रुचि नोएडा और दिल्ली से मार्केटिंग का काम संभालती हैं और उनकी सास दरभंगा में प्रोडक्शन यूनिट में कलाकारों के साथ कोऑर्डिनेट करती हैं। रुचि ने अपनी सास के साथ मिलकर साड़ी, स्टोल, बैग, क्लच, कोस्टर, ट्रे, वॉल क्लॉक जैसे प्रॉडक्ट्स पर मिथिला पेंटिंग के नए प्रयोग किए और बाजार से भी इन्हें अच्छा रेसपॉन्स मिल रहा है।
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