जानें कौन हैं मीनल खरे? इनकी कहानी है कई महिलाओं के लिए प्रेरणा

मीनल खरे काफी समय से समाज में पॉजिटिव बदलाव के लिए काम कर रही हैं। आइए जानते हैं उनके करियर और पर्सनल लाइफ को लेकर खास बातें।

meenal khare career

आज भी देश में ज्यादातर महिलाओं को अपनी अलग पहचान बनाने के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आसपास के लोगों से मिलने वाले ताने या फिर नेगिटिव बातों को सुनना पड़ता है। वहीं आम दिनों में कई ऐसी परेशानियां होती हैं जिसका सामना अकेले महिलाएँ करती हैं। फिर चाहे घर और ऑफिस दोनों का काम संभालना, लोगों के ताने सुनना, या फिर माहवारी जैसी शारीरिक परेशानियों से जूझना।

वहीं कई ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन्होंने इन परेशानियों से न सिर्फ लड़ने का बीड़ा उठाया है बल्कि अन्य महिलाओं को आगे बढ़ने में भी मदद कर रही हैं। वहीं आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे मीनल खरे के बारे में जो समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक बदलाव के लिए लगातार काम कर रही हैं।

कौन हैं मीनल खरे

about meenal khare

हाल ही में हरजिंदगी के वुमेंस डे स्पेशल में मीनल खरे गेस्ट के तौर पर नजर आईं थी। मीनल भारत में अनप्रीवीलेज्ड कम्यूनिटी के लिए काम करती हैं। वह सुखी भव फाउंडेशन की प्रमुख हैं, जिसके जरिए वह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने पैशन को फॉलो कर रही हैं। अपने काम को लेकर मीनल ने कहा- ''क्लाइमेट चेंज और ह्यूमन राइट के प्रति मेरे जुनून ने मुझे ऑस्ट्रेलिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम करने के उद्देश्य से नेतृत्व करने वाले संगठनों से परामर्श करने के लिए प्रेरित किया। वह हमारे इस मिशन को लगातार सपोर्ट भी कर रहे हैं।''

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मीनल खरे की वर्क लाइफ

meenal khare work life

ऑस्ट्रेलिया में काम करने के अलावा मीनल खरे ने हमेशा समुदायों के साथ अपना एक गहरा रिश्ता महसूस किया है, जिनके पास शिक्षा, स्वच्छता, और हेल्दी डाइट आदि तक पहुंच काफी सीमित है। नॉन प्रॉफिट संस्थाओं और WEF ग्लोबल शेपर्स कम्यूनिटी के साथ जुड़ने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि भारत के साथ उनका गहरा रिश्ता है। वह उन लोगों के लिए काम करना चाहती हैं जो बेसिक चीजों को भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं। यही नहीं वह समझती हैं कि भारतीय एलिमेंट और संस्कृति ने उनकी परवरिश में खास मदद की है। इसलिए मीनल ने बताया कि वह साल 2018 में भारत आ गईं और मार्जिनलाइज्ड कॉन्टेस्ट और सामाजिक संस्थानों के काम को समझने के लिए बैंगलोर गईं, ताकी बैंगलोर और लखनऊ में शहरी गरीब समुदायों में महिला उद्यमियों को सक्षम करने में मदद कर सकें। (बच्चे को गोद में लिए ड्यूटी निभाती दिखीं चंडीगढ़ की महिला Traffic Cop)

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मीनल खरे का सोशल वर्क

meenal khare social life

भारत में अपना काम शुरू करने के बाद मीनल को समझ में आया कि यहां कई महिलाओं और लड़कियों को अपनी जरूरतों और अधिकारों के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। इनमें से कई लोगों को युवावस्था में होने वाली माहवारी की जानकारी नहीं थी। यही नहीं पीरियड के दिनों वाले शारीरिक बदलाव और पीड़ा को लेकर भी खुलकर बात नहीं करते थे। तब वह सुखी भव फाउंडेशन से जुड़ीं। वहीं इस मामले पर मीनल खरे ने कहा- ''मैंने माहवारी से जुड़ी बातों या फिर जरूरतों के लिए टिप्स देने के लिए सुखी भव फाउंडेशन में शामिल हुई।''

इसके अलावा वह सुखी भव फाउंडेशन द्वारा बनाए गए सुरक्षित स्थानों के जरिए माहवारी की जरूरतों पर खुलकर बोलती भी नजर आईं हैं। मीनल खरे ने बताया कि यही वजह कि महिलाएं स्कूल, कॉलेज या फिर अन्य जगहों पर इस मामले में खुलकर बोलते नजर आईं हैं। इस बारे में महिलाएं अब अपने पति से भी बात करती हैं, जो इससे पहले कभी नहीं करती थीं। यह पूरे भारत में एक दूसरे के प्रति समानता के भाव को भी पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कदम है।

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