मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है।
यूं ही पंख होने से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती हैं।।
ये दो लाइन्स मध्यप्रदेश की मिनी अग्रवाल पर बिल्कुल फिट बैठती हैं। अक्सर लोगों को जब चोट लगती है या उनके साथ कुछ गलत हो जाता है तो वे हर समय इसका रोना गाने लगते हैं। और जो रोना नहीं गाते हैं उसकी दुनिया तारीफ करती है।
अब मिनी अग्रवाल को ही लीजिए। ये जन्म से आंशिक रूप से दिव्यांग हैं। लेकिन फिर भी मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली। अभी जुलाई के मिड में ही MP PCS-2016 का फ़ाइनल रिज़ल्ट आउट हुआ जिसमें मिनी का भी नाम शामिल है।
मिनी की हाइट लगभग ढाई फीट है। साल 2000 में इनके पैरों के चार मेजर ऑपरेशन हुए थे। जिसके कारण 8 साल तक इन्हें बेड पर ही रहना पड़ा। इसके बाद किसी तरह से 12वीं की परीक्षा की। लेकिन फिर से तीन साल तक पढ़ाई पर ब्रेक लग गया। 3 साल के बाद इन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की और बीकॉम में एडमिशन लिया।
2012 में मिनी ने पहली बार MP PCS की परीक्षा दी थी। मिनी कहती हैं, 'दिल में जुनून होना चाहिए मंजिल तो खुद-ब-खुद आकर कदम चूम लेती है।' अब वे उन लोगों से संपर्क करना चाहती हैं, जिन्हें किसी न किसी तरह शारीरिक समस्या है, लेकिन मन में आगे बढ़ने का हौसला भी है।' इस साल के मध्यप्रदेश PCS परीक्षा में मिनी को सहायक संचालक उद्योग प्रबंधक की पोस्ट मिली है।
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