तीरंदाजी में जीता था गोल्ड मेडल, कोमोलिका के पिता को बेटी का सपना पूरा करने के लिए बेचना पड़ा था घर

2019 World Archery Youth Championships in Madrid: गोल्ड मेडल विजेता कोमालिका बारी के माता-पिता देखा था ये सपना।

 

 

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भारतीय तीरंदाज कोमालिका बारी ने 2019 में स्पेन में आयोजित विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। कोमलिका ने जापान की सर्वोच्च रैंक होल्डर सोनदा वाका को रिकर्व कैडेट वर्ग के एकतरफा फाइनल में हराया था। कोमालिका ने सोनोदा वाका को 7-3 से हराया था। 2009 में दीपिका कुमारी के विश्व चैम्पियन बनने के बाद टाटा तीरंदाजी अकादमी की अंडर-18 वर्ग में 17 साल की खिलाड़ी कोमालिका विश्व चैम्पियन बनने वाली भारत की दूसरी तीरंदाज बनी थीं। इस तरह 2019 में भारत का नाम रौशन करने वाली महिलाओं में कोमोलिका भी शामिल थीं।

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तीरंदाजी की शुरुआत

कोमालिका बारी झारखंड के जमशेदपुर की रहने वाली हैं और उन्‍होंने 2012 में आइएसडब्ल्यूपी तीरंदाजी सेंटर से अपने करियर की शुरुआत की थी। तार कंपनी में 4 सालों तक मिनी और सबजूनियर वर्ग में शानदार प्रदर्शन के बाद कोमालिका को 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी में प्रवेश मिला था। टाटा आर्चरी एकेडमी में उन्‍हें द्रोणाचार्य पूर्णिमा महतो और धर्मेंद्र तिवारी जैसे दिग्गज प्रशिक्षकों ने तीरंदाजी के गुर सिखाए। इन 3 सालों में कोमालिका ने डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते है।

पिता ने हमेशा दिया साथ

कभी चाय की दुकान तो कभी एलआइसी एजेंट का काम करने वाले कोमालिका के पिता ने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए अपना घर तक बेच दिया था। उनके पिता ने 2-3 लाख रुपयों में आने वाला को धनुष खरीदने के लिए अपना घर बेच दिया था। उनका सपना था कि उनकी बेटी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें। वहीं स्वर्ण पदक जीतने वाली कोमालिका के घर में आज भी टेलीविजन नहीं है। पूरी दुनिया ने कोमालिका को गोल्डन गर्ल बनते टीवी पर देखा पर खुद उनके माता-पिता इस सुनहरे पल को नहीं देख पाए थे।

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मां चाहती थीं कोमालिका तीरंदाज बने

कोमालिका की मां लक्ष्मी बारी एक आंगनबाड़ी सेविका हैं। दरअसल कोमालिका की मां चाहती थीं कि उनकी बेटी तीरंदाजी को अपने करियर बनाएं और इस क्षेत्र में उनका नाम रोशन करें।संघर्षों से लड़कर दीपिका कुमारी ने बनाई अपनी पहचान, जानें उनकी पूरी कहानी

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विश्व तीरंदाजी ने किया है भारत निलंबित

आपको बता दें कि विश्व तीरंदाजी ने भारतीय तीरंदाजी संघ को अपने दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के लिए निलंबित कर दिया था। वहीं निलंबन लागू होने से पहले भारत ने अपनी आखिरी प्रतियोगिता में 2 स्वर्ण और 1 कांस्य पदक के साथ अपना अभियान समाप्त किया था। निलंबन हटने तक कोई भी भारतीय तीरंदाज देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाया। ये बैन 23 जनवरी को कई नियमों के साथ हटाया गया है। अब टोकियो ओलंपिक के लिए भारतीय खिलाड़ी काम कर पाएंगे। भारतीय तीरंदाजों ने इससे पहले मिश्रित जूनियर युगल स्पर्धा में स्वर्ण और जूनियर पुरुष टीम स्पर्धा में कांस्य जीता था। वैसे विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप 19 से 25 अगस्त तक आयोजित हुआ था और इस दौरान यह निलंबन प्रभावी नहीं हुआ था।

लेकिन पिछले कुछ महीनों में तीरंदाजी में बैन के चलते कई खिलाड़ियों को निराशा हुई थी। पर अब उम्मीद की एक किरण जागी है।

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