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भारत की साइकिलिस्ट प्रीति दत्तात्रेय मस्के ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, साइकिल चलाकर लेह से पहुंची मनाली

महिला साइकिलिस्ट प्रीति दत्तात्रेय मस्के ने भारत का नाम गिनीज वर्ल्ड में दर्ज कराया है। आइए जानते हैं प्रीति की इंस्पायरिंग कहानी।
Editorial
Updated:- 2022-06-27, 16:43 IST

‘वो स्त्री है कुछ भी कर सकती है’ यह कहावत बिल्कुल सच है। महिला अगर ठान ले तो मुश्किल से मुश्किल काम भी संभव हो जाता है। महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाली Preeti Maske के संदर्भ में यह बात बिल्कुल सच साबित होती है। 26 जून 2022 को प्रीति ने फास्टेस्ट साइकिलिस्ट का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया। प्रीति ने 55 घंटे के भीतर लेह से मनाली तक का सफर साइकिल के जरिए पूरा किया। रिकॉर्ड बनाने के बाद से चारो तरफ प्रीति की वाहवाही हो रही है। आज के इस आर्टिकल में जानते हैं प्रीति की इंस्पायरिंग कहानी के बारे में-

कौन हैं प्रीति मस्के?

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Preeti Maske भारत की साइकिलिस्ट हैं, जिन्होंने अपना नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया है। खास बात यह है कि प्रीति शादीशुदा है और 2 बच्चों की मां हैं। इसके बावजूद उन्होंने खुद के जज्बे से यह मुकाम हासिल किया है। प्रीति ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के सभी मानकों को पूरा कर लिया है, ऐसे में कुछ दिनों में उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड मिल जाएगा। प्रीति ने यह रिकॉर्ड 45 साल की उम्र में बनाया है, जहां उन्होंने 428 किलोमीटर की दूरी साइकिल के जरिए तय की है। प्रीति ने 17,582 फीट ऊंचे टैगलांगला दर्रे पर साइकिल चलाई, जो कि लेह- मनाली मार्ग का सबसे सबसे ऊंचा दर्रा है।

साल 2017 में साइकिलिंग की हुई थी शुरुआत-

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प्रीति ने अपने साइकिलिंग करियर की शुरुआत साल 2017 से की थी। जिसके बाद उन्होंने अपने करियर में कई सारे रिकॉर्ड अपने नाम किए। साल 2019 में प्रीति और और उनके ग्रुप ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक का 3773 किलोमीटर का सफर 17 दिनों में पूरा किया। साथ ही प्रीति ने महाराष्ट्र के नासिक से अमृतसर तक का सफर 5 दिनों में पूरा किया। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि तमाम महिला साइकिलिस्ट के लिए प्रीति किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं।

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चुनौतीपूर्ण था साइकिलिंग का रास्ता-

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प्रीति ने मीडिया को अपना अनुभव बताते हुए कहा कि ‘ ऊंचाई वाले इलाके में लगातार बिना रुके साइकिल चलाना और नींद को मैनेज करना एक बड़ी चुनौती थी। इसके अलावा ऊंचाई पर साइकिलिंग के दौरान सांस फूलने के कारण उन्हें ऑक्सीजन भी लेनी पड़ी। ऊंचे रास्ते और खराब मौसम में लगातार साइकिलिंग करना मुश्किल अनुभव था। कई बार रास्तों पर लंबी चढ़ाई होती, तो कई बार ढलाने। लेकिन प्रीति ने बिल्कुल निडर होकर अपनी राइड को पूरा किया।

लंबे समय तक चली साइकिल राइड-

22 जून को सुबह 6 बजे लेह से ब्रिगेडियर गौरव कार्की ने प्रीति को हरी झंडी दिखाई। जिसके बाद 24 जून को करीब 1 बजकर 13 मिनट पर प्रीति मनाली पहुंची। जहां पर बीआरओ को 38 बॉर्डर रोड टास्क फोर्स के कमांडर कर्नल शबरीश वाचली ने प्रीति का स्वागत किया।

तो ये थी Preeti Maske की इंस्पायरिंग स्टोरी, जो देश की महिलाओं को प्रेरित करेगी। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।

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