नाम- विमला कौल
काम- GULDASTA स्कूल की फाउंडर
बदलाव- 81 साल की विमला कौल ने गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी है। उनके द्वारा पढ़ाए गए गरीब बच्चे आज अच्छी जगह काम कर रहे हैं। उन्होंने कई बच्चों का भविष्य उज्ज्वल किया है। उनके स्कूल का नाम गुलदस्ता है। इस स्कूल में बच्चों को इंग्लिश, साइंस, गणित, कंप्यूटर और पर्यावरण विषय पढ़ाया जाता है। इसके अलावा यहां बच्चों को योग और डांस भी सिखाया जाता है। इस स्कूल में दिल्ली के गरीब परिवार के बच्चे पढ़ने आते हैं। गुलदस्ता स्कूल साल 1993 में बनाया गया था। इस स्कूल की शुरुआत विमला कौल और उनके पति एचएम कौल ने की थी।
कौन हैं विमला कौल?
विमला कौल सरकारी स्कूल में टीचर रह चुकी हैं। लगभग 20 साल पहले वह नौकरी से रिटायर हो चुकी हैं लेकिन उन्होंने बच्चों को पढ़ाना आज तक बंद नहीं किया है। आज भी वह गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाती हैं। रिटायर होने के बाद विमला कौल ने दिल्ली में गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए गुलदस्ता स्कूल की शुरुआत की है। आज इस स्कूल में कई गरीब परिवार के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
गुलदस्ता की शुरुआत के लिए संघर्ष
इस स्कूल की शुरुआत आसान नहीं रही है। हर कदम पर संघर्ष था और आज 28 साल बाद भी संघर्ष जारी है। शुरुआत में उन्हें स्कूल खोलने के लिए किसी ने भी मदद नहीं की थी। पहले स्कूल एक गांव में खोला गया था लेकिन वहां काफी दिक्कत हुई। जिसके बाद स्कूल को सरिता विहार की कॉलोनी में शिफ्ट किया गया था। लेकिन कॉलोनी के लोगों को स्कूल खोलना पसंद नहीं आया। कुछ लोगों को बच्चे के शोर से काफी परेशानी होती थी। इसके बाद स्कूल को पार्क में शिफ्ट किया गया।
काफी सालों तक स्कूल पार्क में चला था। लगभग 14 साल बाद मदन मोहन मालवीय ट्रस्ट स्कूल की मदद के लिए आगे आया। साल 2012 में गुलदस्ता को चार कमरों वाला स्कूल मिला। साल 2020 तक इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाया गया है। लेकिन कोरोना की वजह से स्कूल को बंद करना पड़ा। 17 साल तक स्कूल का खर्च परिवार की मदद के द्वारा किया गया है।
अचीवमेंट
स्कूल की शुरुआत के बाद उन्होंने गांव के लोगों खासकर लड़कियों में बदलाव देखा। जब उन्होंने स्कूल शुरू किया था तब कोई भी लड़की स्कूल नहीं जाती थी। लेकिन गुलदस्ता के शुरुआत होने के बाद गांव की लड़कियों ने स्कूल आना शुरू किया। विमला कौल ने हमें बताया कि लड़कियों को स्कूल जाता देख मुझे लगता है कि यही हमारा सबसे बड़ा अचीवमेंट है। हमारे इस स्कूल में पढ़ाई करने के बाद कई बच्चों को अच्छी जॉब मिली है। जो कि मेरे लिए और स्कूल के लिए अचीवमेंट है।
सफर कैसा रहा?
विमला कौल ने अपने सफर के बारे में बात करते हुए बताया कि गुलदस्ता का यहां तक का सफर बेहद शानदार रहा है। मुझे बहुत अच्छा लगता है कि जब गांव के बच्चे बहुत अच्छा करते हैं। बच्चों को पढ़ता देख और सफलता प्राप्त करते देखना मेरे जीवन का सबसे सुखद पल है।
मिस्टर कौल के जाने के बाद का सफर
साल 2009 में मिस्टर कौल के जाने के बाद मेरे दिमाग में यही सवाल था कि इस स्कूल को बंद करूं या फिर चलने दूं। इस घटना के बाद यह काम मेरे लिए काफी बड़ा था। अभी मैं इस दुविधा में ही थी कि इस स्कूल को जारी रखूं या नहीं। तभी साल 2010 में मुझे रिलायंस टाइकून मुकेश अंबानी ने रियल हीरोज अवार्ड के लिए चुना, जिसमें मुझे 5 लाख रुपये दिए। जिसके बाद स्कूल बंद करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। भगवान भी चाहते थे कि मैं इस काम को जारी रखूं। इसके बाद मैंने निर्णय लिया और स्कूल को जारी रखा।
विमला कौल की इस सोच और हौसले को हरजिंदगी सलाम करता है। उम्मीद है कि आपको भी विमला कौल की इस इंस्पिरेशनल स्टोरी को पढ़कर कुछ प्रेरणा मिली होगी। इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरुर करें, साथ ही ऐसे और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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