Inspirational Story: देश की पहली ट्रांसजैंडर न्‍यूज एंकर पद्मिनी प्रकाश की इंस्‍पायरिंग कहानी

क्‍या आप भी जानना चाहेंगे कि भारत की पहली ट्रांसजेंडर न्‍यूज रीडर प‍द्मिनी प्रकाश की क्‍या कहानी है।

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कितनी अजीब बात है। व्‍यक्ति खुद को इंटरटेन करने के लिए फिल्‍में देखता है। मगर वास्‍तव में उसकी खुद की जिंदगी किसी फिल्‍म से कम नहीं होती। जिस तरह लाइट कैमरे और साउंड के साथ किसी फिल्‍म को तैयार करने की शुरुआत होती है उसी तरह जीवन लेने के बाद से ही व्‍यक्ति की रियल लाइफ फिल्‍म की भी शुरुआत हो जाती है। वैसे तो इस जीवनरूपी फिल्‍म में सभी अपना-अपना किरदार निभा रहे हैं मगर, कुछ किरदार ऐसे भी हैं जिनके लिए यह जीवन आसान नहीं है। इन्‍हीं में से एक हैं चेन्‍नई की पद्मिनी प्रकाश। कहने के लिए तो वह आम इंसानों की ही तरह है मगर, समाज की साधारण होने की परिभाषा में वह खरी नहीं उतर पाईं। मात्र 13 वर्ष की उम्र में उन्‍हें अपने घर से दूर होना पड़ा। 8 मार्च को महिला दिवस है। इस अवसर पर हम आपको चेन्‍नई की पद्मिनी प्रकाश की प्रेरणादाय कहानी सुनाने जा रहे हैं।

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Inspiring Story Of India First Transgender News Anchor Padmini Prakash

जरा सोचिए जो जगह किसी के लिए भी सबसे अधिक महफूज होती है। जिसे हम घर कहते हैं। वह पद्मिनी के लिए किसी घुटन भरी कोठरी से कम नहीं थी। अपने ही घर पर उन्‍हें रोज ही अपने वजूद के लिए जंग लड़नी पड़ती थी। वजह सिर्फ इतनी सी थी कि वह अपने आसपास के और बच्‍चों से कुछ अलग नजर आती थीं। दरअसल, पदमिनी ने एक ट्रांसजेंडर के रूप में जन्‍म लिया था। ट्रांसजेंडर जिसे समाज अलग ही नजरों से देखता है। पदमिनी को अपने ही घर पर वजूद की जंग लड़नी पड़ रही थी। जब यह सब कुछ वह नहीं झल पाईं तो वह अपने घर से भाग गईं। वह घर से निकली तो अपने जीवन को खत्‍म करने थीं मगर तकदीर ने उनके लिए कुछ और ही संजो कर रखा था। पद्मिनी खुद के जीवन को खत्‍म करने में असफल रहीं और उन्‍हें आसपास के लोगों ने न केवल बचाया बल्कि उन्‍हें पाला पोसा और पढ़ाया लिखाया। आज पद्मिनी देश की पहली ट्रांसजेंडर न्‍यूज रीडर के रूप में पहचानी जाती हैं। वर्ष 2014 में उन्‍होंने स्‍वतंत्रता दिवस की शाम पहली बार टेलीप्रोम्‍पटर पर न्‍यूज पढ़ी थी। तब से यह सिलसिला जारी है।

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वैसे केवल न्‍यूज रीडर ही नहीं पद्मिनी एक साउथ इंडियन टीवी सीरियल में भी नजर आ चुकी हैं। इतना ही नहीं वह थर्ड जेंडर के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ती हैं और उनके लिए सामाजिक कार्य भी करती रहती हैं। जब पद्मिनी से यह जानने की कोशिश की गई कि पहली बार जब उन्‍हें टीवी पर पेश किया गया तो वह कैसा महसूस कर रही थीं। उन्‍होंने कहा, ‘मुझे डर था कि लोग मुझे सुनना पसंद करेंगे भी या नहीं। कहीं वह मुझे ठुकरा नहीं देंगे।’ अब तो लोग पद्मिनी को पहचानने भी लगे हैं। वह बताती हैं, ‘लोग मेरा ऑटोग्राफ मांगते हैं तो मुझे बहुत अच्‍छा लगता है।’Article 377 पर सिर्फ फैसला काफी नहीं, समलैंगिकों को समान अधिकार देने होंगे

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आपको बता दें कि पद्मिनी को पहली नौकरी कोयंबटूर के लोटस न्‍यूज चैनल ने दी थी। ऐसा पहली बार हुआ था जब कोई ट्रांसजैंडर न्‍यूज एंकरिंग कर रही हो। प‍द्मिनी की लाइफ में बहुत सारे अप्‍स एंड डाउन्‍स आए मगर वह हमेशा ही प्रयत्‍नशील रहीं। उन्‍होंने एक्टिंग के अलावा कई स्‍टेज शो किए है। वह एक ट्रेंड भारतनाट्यम डांसर भी हैं। इतना ही नहीं उन्‍होंने अपने बहुत सारे स्‍टूडेंट्स को इस क्‍लासिकल डांस में ट्रेनिंग दी है। मगर अब पद्मिनी की लाइफ सेट है। वह अब कोयंबटूर में ही वेलाकिनार में अपने पार्टनर और बेटे के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही हैं।उपहार सिनेमा हादसे में अपने बच्चों की जिंदगी गंवा देने वाली नीलम कृष्णमूर्ति की इंसाफ की लड़ाई आज भी जारी

फिलहाल पद्मिनी तमिलनाडू के ही कॉलेज से पीएचडी करने जा रही हैं। वह तमिलनाडू के पहली फुलटाइम ट्रांसजैंडर पीएचडी स्‍कॉलर बनेंगी। वह तमिल मॉर्डन लिक्‍ट्रेचर विषय में पीएचडी कर रही हैं। इतना ही नहीं उन्‍होंने एक किताब भी लिखी है ‘Neruppaatril Neendhi Vandhen ’ इसमें पद्मिनी ने अपनी जिंदगी के बारे में सब कुछ लिखा है। आप भी इसे जरूर पढ़ें।हिंदुस्तान की पहली महिला टीचर की कहानी जो दिल को छू जाएगी

भारत में धारा 377 को 6 सितंबर 2018 को खारिज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का ये ऐतिहासिक फैसला कुछ ऐसा था कि लाखों लोगों ने इसका खुल कर स्वागत किया था। इस कानून के खारिज होने से पहले तक एलजीबीटी कम्‍यूनिटी के लिए कई मुश्किलें थीं। मगर अब इस कानून के खारिज होने के बाद एलजीबीटी कम्‍यूनिटी को प्‍यार करने का अधिकार मिल गया है। मगर, अभी एक सवाल जेहन में बार-बार आता है। प्‍यार करने का इन्‍हें बेशक अधिकार मिल गया हो मगर, ग्राउंड लेवल पर आज भी हालात कुछ ज्‍यादा नहीं सुधरे हैं। आज भी एलजीबीटी को शादी करने का अधिकार नहीं है। मगर, पद्मिनी प्रकाश की कहानी सुनने के बाद हो सकता है कि एलजीबीटी कम्‍यूनिटी के लिए बने कानूनों में और भी सुधार हो सके। आप भी अपनी राय हमें जरूर दें।

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