देश बदल रहा है: पहली बार बिहार इलेक्शन कमीशन की स्टेट आइकन बनी एक ट्रांसजेंडर, मिलिए बैंकर मोनिका दास से

बिहार इलेक्शन कमीशन की पहली ट्रांसजेंडर इलेक्शन कमीशन की स्टेट आइकन मोनिका दास बनी हैं। हमारे देश में पहली बार इस तरह की पहल की गई है। 

First Transgender Women banker

एक समय था जब पटना की मोनिका दास के घर वालों को उनसे शर्म आती थी। मोनिका के ट्रांसजेंडर होने के कारण उनसे कोई दोस्ती नहीं करता था। उन्हें बुली किया जाता था। पर मोनिका ने कभी हार नहीं मानी है। अपनी मेहनत के बल पर मोनिका देश की पहली महिला ट्रांसजेंडर बैंकर और स्टेट इलेक्शन कमीशन की आइकन बनीं।

हमारे देश में जहां ट्रांसजेंडर्स के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं किया जाता है, वहां मोनिका की कहानी एक प्रेरणा बनकर सामने आती है। एक समय था जब उनकी जिंदगी में भी कई तरह की मुश्किलें आई थीं, लेकिन उन्होंने सभी का डटकर सामना किया।

पटना के हनुमान नगर स्थित सिंडिकेट बैंक में क्लर्क मोनिका दास अब एक नया इतिहास रचने वाली हैं।

विधानसभा चुनवा की पीठासीन पदाधिकारी मोनिका दास

ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी ट्रांसजेंडर को विधानसभा चुनावों में पीठासीन पदाधिकारी बनाया गया है। मोनिका दास एक बूथ की पूरी जिम्मेदारी संभालेंगी और उन्हें इसकी ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

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मोनिका दिखने में काफी सुंदर हैं पर बचपन से ही उन्हें बहुत बुली किया जाता था। बचपन में चाल-ढाल और बोलचाल से वो लड़कों जैसी हरकतें करती थीं। पर उनकी पर्सनालिटी लड़कियों जैसी थी।

दैनिक जागरण को दिए एक इंटरव्यू में मोनिका ने बताया कि उन्हें बचपन में काफी जिल्लत झेलनी पड़ती थी। उनके क्लासमेट्स उनका मजाक उड़ाते थे। यही नहीं, उनके भाई भी उनसे नाराज रहते थे। यह सब झेलना उनके लिए किसी ट्रॉमा से कम नहीं था। वो स्कूल से घर आकर काफी रोती थीं, लेकिन फिर भी पढ़ाई से उन्होंने अपना मन नहीं हटाया।

मेहनत के बल पर बनीं देश की पहली ट्रांसजेंडर महिला बैंकर

स्कूल के ट्रॉमा के साथ-साथ घर पर ताने किसी को भी परेशान कर सकते हैं। पर मोनिका ने इसके बाद हार नहीं मानी। उन्होंने पढ़ाई में अपना मन लगाया और सफलता के लिए मेहनत करने लगीं।

नवोदय विद्यालय से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। मोनिका दास पटना लॉ कालेज से एलएलबी भी हैं। कॉलेज में उन्हें गोल्ड मेडल भी मिल चुका है।

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मोनिका के पिता भगवान दास ढोली सेल्स टैक्स अफसर थे और उनकी मां अनीमा रानी बीएसएनएल की रिटायर्ड एम्प्लॉई हैं। मोनिका के दोनों भाई प्राइवेट बैंक में नौकरी करते हैं।

मोनिका 2015 से ही राष्ट्रीय बैंक में कार्यरत हैं।

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बचपन से ही झेल रही थीं तिरस्कार

एक रिपोर्ट के अनुसार मोनिका तीन साल की थी तब पड़ोसियों को उनके ट्रांसजेंडर होने के बारे में पता चला था। उसके बाद लोगों के बोलचाल का तरीका ही बदल गया था। लोग उनसे दोस्ती भी नहीं करते थे। मोनिका को अपनी इस उपलब्धि पर गर्व है। (ट्रांसजेंडर कपल ने दी खुशखबरी)

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यह सच है कि अब धीरे-धीरे हमारे समाज में बदलाव आ रहा है। धारा 377 के हटने के बाद से ही धीरे-धीरे लोग अपनी सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर खुलासा कर रहे हैं। अब धीरे-धीरे लोग इस बारे में समझने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों के लिए जजमेंट उनकी सेक्सुअल ओरिएंटेशन के हिसाब से नहीं होना चाहिए। यह फैक्ट समझने में शायद लोगों को कई साल लग जाएं। हम इस बात को ठुकरा नहीं सकते कि आज भी ट्रांसजेंडर्स और अलग सेक्सुअल ओरिएंटेशन वाले लोगों के साथ भेदभाव होता है।

मोनिका की इस उपलब्धि के लिए हमारी तरफ से बधाई। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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