Exclusive: HerZindagi Queen बनीं Joanne रियल लाइफ में भी हैं विनर, जानिए उनकी इंस्पिरेशनल स्टोरी

HerZindagi की दूसरी Anniversary पर HerZindagi Queen बनीं Joanne हैं महिलाओं के लिए इंस्पिरेशन। उनकी प्रेरक कहानी के बारे में आप भी जानिए।

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HerZindagi ने महिला सशक्तीकरण की मुहिम को प्रभावशाली तरीके से आगे बढ़ाया है। इसी सफर के 2 साल पूरे होने पर मनाई गई थी HerZindagi की सेकेंड एनिवर्सरी। इस दौरान आयोजित कॉन्टेस्ट में कई महिलाओं ने रैंप वॉक किया और ज्यूरी के मुश्किल सवालों के जवाब दिए। इसी में कंटेस्टेंट्स से सवाल पूछा गया कि आप क्या आप अपनी लाइफ में कुछ बदलना चाहती हैं? इस पर Joanne ने जवाब दिया, मैं अपनी लाइफ में कुछ भी नहीं बदलना चाहती, क्योंकि अच्छा और बुरा दोनों, ही चीजें हमें सिखाती हैं। अगर मैंने सीखा नहीं होता, तो शायद मैं यहां नहीं पहुंचती। सबसे बढ़िया जवाब देने वाली Joanne इस तरह बनीं थी HerZindagi क्वीन। लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगी कि Joanne इस कॉन्टेस्ट की ही नहीं, बल्कि रियल लाइफ की भी विनर हैं। आइए जानते हैं उनके दिलचस्प सफर के बारे में-

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बुलींग की शिकार हुईं Joanne तो किताबों से कर ली दोस्ती

Joanne चाइनीज मूल की हैं। घर में वह सबसे छोटी थीं, इसीलिए उनके लिए उनके परिवार के सदस्य बहुत प्रोटेक्टिव रहते थे। उनकी पिता फूड बिजनेस में थे और मां सेलून में काम करती थीं। कोलकाता से वे दिल्ली शिफ्ट हुए थे। अलग दिखने की वजह से लोग उनके साथ अलग तरह का व्यवहार करते थे। बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उनसे गलत तरीके से पेश आते थे। Joanne बताती हैं, 'बहुत से लोग मुझसे बात नहीं करते थे। बात सिर्फ नॉन वेजिटेरियन होने की नहीं थी, उन लोगों के मन में ये धारणा थी कि चाइनीज अच्छे नहीं होते। उस वक्त शायद मैं पहली या दूसरी क्लास में थी। लोगों के रूखे व्यवहार की वजह से मैं अकेला महसूस करती थी। मुझे नहीं पता था कि मैं इससे कैसे डील करूं। इसी वजह से मैं लोगों से बात करने में कतराने लगे। मेरे मन में डर बैठ गया था। उसी दौर में मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगने लगा और वे मेरे अकेलेपन की दोस्त बन गईं। इस दौरान मैंने नैनी ड्रूल्स से लेकर...तक, कई वैराएटी की किताबें पढ़ीं। यह अनुभव मेरे लिए बहुत अच्छा रहा। इससे मेरे विचार विकसित हुए और भाषा भी बेहतर हो गई। 9 साल की उम्र तक मेरे दोस्त बहुत कम थे। उस वक्त मैं बहुत तेज-तर्रार भी नहीं थी। मेरे पेरेंट्स अपनी भाषा और संस्कृति को लेकर काफी सजग थे, इसीलिए हम लोग घर पर चाइनीज में ही बात करते थे। वहीं स्कूल में इंग्लिश और हिंदी में पढ़ाई होती थी। इस दौरान मैं इंग्लिश और हिंदी के साथ संस्कृत में भी टॉपर रही। अपने उदाहरण से मैं यह बताना चाहती हूं कि जब जब बाहरी माहौल से सपोर्ट नहीं मिले तो दोष दूसरे पर डालने के बजाय विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए।

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इंट्रोवर्ट होने की वजह से उठाई मुश्किलें

लोगों के अलग तरह के व्यवहार के चलते जब Joanne खामोश रहने लगीं तो उनकी मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गईं। कई बार वह अपनी बात ठीक से जाहिर नहीं कर पाती थीं। वह बताती हैं, 'मैं रास्ते भटक जाती थी और उस दौरान भी लोगों से रास्ता पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी। मुझे बहुत परेशानियां होने लगी थीं। आज के समय में ईव टीसिंग जैसी चीजें तुरंत हाइलाइट हो जाती हैं, लेकिन वे चीजें तब भी समाज में थीं। एक बार मार्केट में मेरे साथ एक लड़के ने छेड़छाड़ की। मेरा उससे झगड़ा हो गया। मैंने उससे पूछा कि आप किस फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं, ऐसा बिहेव क्यों करते हैं तो उसने बेशर्मी से जवाब दिया, 'मेरा मन करता है।' उसके इस जवाब पर मैं उस पर चिल्ला उठी थी। तब बाजार में खड़े लोगों ने उस लड़के को डांटने के बजाय मुझे कहा, 'आप छोड़ दो इसे'। इस चीज ने मुझे भीतर तक प्रभावित किया। मेरे भीतर आग लगी हुई थी- मन में बार-बार यही खयाल आ रहा था कि मैं गलत नहीं हूं और अगर मैं अपने लिए खड़ी नहीं हो सकती, तो कोई मेरा साथ नहीं देगा। अगर मैं फाइट बैक नहीं करूंगी तो कोई मेरे लिए नहीं लड़ेगा।

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स्किल्स सीखने से बढ़ा हौसला

बचपन में मम्मी-पापा की हेल्प करते हुए Joanne ने बहुत सी चीजें सीखीं, जो बाद में उनके बहुत काम आईं। वह बताती हैं 'बचपन से ही मैं अपने माता-पिता के काम में उन्हें हेल्प करती थी। जब मैं 8वीं में थी तो मैंने अपनी लाइफ का पहला ब्राइडल मेकअप किया था। इससे मैं बहुत खुश हुई थी। मां के साथ मैंने धीरे-धीरे करके मेकअप करना सीख लिया था। बहुत से मॉडल्स मुझसे हेयर स्टाइलिंग और मेकअप कराना पसंद करते थे। मैं उनकी फेवरेट होती थी। मैंने 12वीं तक यह काम किया। इसके साथ ही मेरी मां स्टिचिंग भी करती थीं। उनकी हेल्प करते हुए मैंने स्टिचिंग का काम भी सीखा। इन छोटी-छोटी चीजें के जरिए लोगों से मेरी बातचीत बढ़ती गई।' Joanne के मम्मी-पापा, दोनों का अपना बिजनेस था, लेकिन वह कुछ अलग करना चाहती थीं। एक शुरुआती नौकरी में उन्हें मिल तो गई, लेकिन वहां महिलाओं के साथ होने वाले अलग व्यवहार को खामोशी से सहना Joanne ने स्वीकार नहीं किया। उन्होंने ठान लिया था, नौकरी जाए तो जाए, लेकिन मैं अपनी वैल्यूज के साथ समझौता नहीं करूंगी।'

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मुश्किल वक्त में भी खुद को रखा मजबूत

21 की उम्र में Joanne की शादी हो गई थी और 26 तक आते-आते उनकी फैमिली भी कंप्लीट हो गई थी। इस दौरान Joanne अपने परिवार की देखभाल ही करती थीं। उस वक्त पति के बिजनेस में मुश्किलें आईं तो उन्होंने फैसला लिया कि वे फिर से काम करेंगी। लेकिन मुश्किलें उनके सामने तब भी थीं। Joanne बताती हैं, 'मेरी ससुराल वाले मेरे काम करने को लेकर कंफर्टेबल नहीं थे, उन्हें लगता था कि अगर बहू नौकरी करेगी, तो बच्चे कौन देखेगा। इसे देखते हुए मैंने पार्टटाइम काम शुरू किया। हालांकि शुरू में उन्हें परेशानी लगी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया।'

एयर हॉस्टेस अकेडमी में लोगों को ट्रेन किया

पार्ट टाइम काम के बाद Joanne ने फुल टाइम काम किया। उन्होंने एयरहोस्टेस एकेडमी में ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर के तौर पर लगभग 7 साल तक काम किया। इस बारे में Joanne ने बताया,

'एयर हॉस्टेस एकेडमी में वक्त काफी अच्छा बीता। वहां युवाओं को करियर से जुड़ी सलाह देते हुए मुझे खुद को ग्रो करने का मौका मिला। वहां मैंने गरीब तबके के बच्चों को भी ट्रेन किया। 6 महीने के भीतर इन बच्चोंने ने-इंग्लिश में बात करना सीखने के साथ सेल्फ कॉन्फिडेंस भी हासिल किया और इनमें से कुछ फाइव स्टार में मैनेजर बन गए हैं तो कुछ एयरपोर्ट पर मैनेजर के तौर पर काम कर रहे हैं तो कुछ ने अपना बिजनेस शुरू कर लिया है। यह बदलाव उनकी काउंसिलिंग से संभव हुआ। ऐसे में ये समझना अहम है कि पैसे से नहीं, बल्कि स्किल्स होने से आत्मविश्वास बढ़ता है। वह दौर मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत वक्त था।'

महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाए कदम

Joanne ने ग्लोबल टैलेंट कंपनी में बच्चों की काउंसिलिंग कर उन्हें गाइड किया। वहीं महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी प्रयास किए। यहां उन्होंने महिलाओं की डिजिटल लिटरेसी पर काम करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया। Joanne बताती हैं, 'हमने इस प्रोग्राम में पढ़े-लिखे परिवार से आने-वाली और अच्छी पेटिंग करने वाली महिला को सोशल मीडिया मार्केटिंग सिखाई और उन्हें बताया कि वे कैसे अपनी पेंटिंग्स ऑनलाइन सेल कर सकती हैं। इसी तरह कुछ महिलाओं को हमने ऑनलाइन टिकटिंग का काम सिखाया। कुछ और महिलाओं को-कंप्यूटर चलाने की जानकारी नहीं थी, उन्हें एक्सेल की ट्रेनिंग दी और डाटा को कंप्यूटर पर फीड करने का तरीका बताया। यही नहीं, हमने स्मार्टफोन यूज करने के वो तरीके बताए, जो महिलाओं के काम आ सकते हैं। मेकअप आर्टिस्ट, जो अच्छा बिजनेस नहीं कर पा रही थीं, उन्हें अर्बन क्लैप से कनेक्ट किया, जिससे उनकी लाइफ बेहतर हुई। कुछ महिलाएं गरीब तबके से आने वाली महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करती हैं। उनके लिए हम अक्सर अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित करते हैं।'

दकियानूसी सोच से आगे बढ़ने की जरूरत

Joanne ने महसूस किया कि महिलाएं परेशानियों की शिकार होती हैं क्योंकि वे इसके खिलाफ आवाज नहीं उठातीं। अपनी तकलीफों पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया, 'जब मेरे पति की मौत हुई तो वह वक्त मेरे लिए काफी मुश्किल था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रयास जारी रखा। इस पर बहुत से लोग कहते थे- अभी तो इसके पति की मौत हुई है ये काजल कैसे लगा सकती है, ये घर से बाहर काम पर कैसे जा सकती है। लेकिन मैंने इन चीजों की परवाह नहीं की। घर पर मेरे ससुर बीमार थे। बच्चों की भी परवरिश करनी थी। इसीलिए मैंने ठान लिया कि मैं अपने बच्चों के लिए खुद को प्रूव करूंगी, ताकि उनके सामने एक अच्छा उदाहरण पेश कर सकूं। जिंदगी में ऐसा वक्त आता है, जो बहुत मुश्किल होता है, लेकिन यह आप पर निर्भर करता है, कि आप उससे कैसे डील करते हैं।'

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