5 जुलाई 2022 को भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु 27 साल की होने जा रही हैं। 27 की उम्र में उन्होंने जो कुछ हासिल किया है, वो भारत के लिए गर्व बेहद गर्व का विषय है। यही वजह है भारत समेत दुनिया के अन्य हिस्सों में भी पीवी सिंधु एक बड़ा नाम हैं। अपने शानदार प्रदर्शन से पीवी सिंधु ने भारत को ओलंपिक में 2 बार मेडल दिलाए हैं। इसी के साथ सिंधु 2 ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं।
आज के इस लेख में हम आपको पीवी सिंधु की इंस्पायरिंग कहानी के बारे में बताएंगे। कि आखिर कैसे भारत की इस बेटी ने अपने शानदार खेल प्रदर्शन के जरिए देश को सबको अपना फैन बनाया। तो देर किस बात की आइए जानते हैं, पीवी सिंधु के बैडमिंटन के सफर के बारे में-
पीवी सिंधु किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। शानदार खेल के कारण पूरी दुनिया उन्हें जानती है। पीवी सिंधु का पूरा नाम पुर्सला वेंकट सिंधु है। 5 जुलाई 1995 में जन्मी सिंधु के पिता का नाम पी.वी रमण और उनकी मां का नाम पी विजया है। पीवी की तरह वो दोनों भी खेल से ताल्लुक रखते हैं।
दोनों भारत के लिए नेशनल लेवल वॉलीबॉल खेल चुके हैं। पीवी सिंधु से पहले उनके पिता वेंकट सिंधु एशियाई खेलों में देश को ब्रोज मेडल दिला चुके हैं। ऐसे में बचपन से ही पीवी सिंधु खेल कूद से काफी प्रभावित रहीं हैं।
अक्सर खिलाड़ी खेल में लगकर अपनी शिक्षा को प्रभावित करते हैं। लेकिन पीवी उनमें से नहीं हैं। उन्होंने खेल के साथ पढ़ाई भी जारी रखी। शुरुआती शिक्षा की बात करें तो पीवी ने प्रारंभिक शिक्षा आंध्र प्रदेश के औक्सिलियम हाई स्कूल से की। इसके बाद सेंट एंस कॉलेज फॉर वुमन से सिंधु ने एमबीए की पढ़ाई पूरी है।
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पीवी सिंधु के घर पर वॉलीबॉल का माहौल था। लेकिन वो हमेशा से एक बैडमिंटन प्लेयर ही बनना चाहती थीं। वह बचपन से ही बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद से प्रभावित थीं। आगे चलकर वो ही पीवी सिंधु के कोच बने।
लंबी तैयारी के बाद सिंधु की बैडमिंटन की ट्रेनिंग सिकंदराबाद के इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट में ऑफ सिग्नल इंजीनियर एंड टेलीकम्यूनिकेशन में महबूब अली की देखरेख में शुरू की। इसके बाद आगे चलकर उन्होंने अपने आदर्श गोपीचंद की अकादमी में दाखिला लिया। जहां उन्होंने लंबे समय तक अपने खेल को बेहतर बनाया।
बैडमिंटन करियर में सिंधु ने कई खिताब अपने नाम किए। जहां उन्होंने भारतीय रैंकिंग चैंपियनशिप और जूनियर नेशनल में कई पदक जीते। साल 2009 में सिंधु ने सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता। इसके बाद साल 2010 में हुए ईरान अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद एक-एक कर कई जूनियर अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में पीवी सिंधु ने जीत हासिल की।
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पीवी सिंधु ने साल 2016 में हुए रियो ओलंपिक में रजत पदक अपने नाम किया। वहीं साल 2020 के टोक्यो ओलंपिक में सिंधु ने कांस्य पदक जीता। इसी के साथ सिंधु 2 ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।
राष्ट्रीय पुरस्कारों की बात करें तो पीवी सिंधु को साल 2020 में भारत के सर्वोच्च नागरिक का पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा साल 2015 में सिंधु को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। खेल में अपने अमूल्य योगदान के लिए पीवी सिंधु को साल राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
तो ये थी भारत की बेटी पीवी सिंधु की इंस्पायरिंग कहानी। जिसके बारे में हम सभी को जानना चाहिए। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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