भारतीय इतिहास हमेशा से रोचक रहा है, जिसके पन्नों में दर्ज हर किरदार अहम रहा है। इसमें न सिर्फ पुरुषों बल्कि महिलाओं की कई सहासी कहानी मौजूद हैं, जिसमें नीरजा भनोट की कहानी एक है। हालांकि, नीरजा भनोट अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन वो कहते हैं न कि कुछ किरदार ऐसे होते हैं, जिनके जाने के बाद भी दुनिया उनको याद करती है।
बता दें कि नीरजा भनोट पर न सिर्फ 2016 नीरजा फिल्म बनी बल्कि इन्हें अशोक चक्र से भी सम्मानित किया गया है। साथ ही, आपको बता दें कि अशोक चक्र से सम्मानित नीरजा भनोट पहली महिला हैं, जिन्होंने आतंकियों से लोगों को बचाया था। लेकिन बाद में खुद शहीद हो गई थीं, कैसे आइए जानते हैं।
नीरजा भनोट के बारे में जानिए-
नीरजा भनोट का जन्म 1963 में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। इनका बचपन चंडीगढ़ में बीता है और इन्होंने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ के सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकंडरी स्कूल से की है। लेकिन बीच में इनका पूरा परिवार मुंबई आकर रहने लग गया था। फिर इसके बाद नीरजा ने अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की और मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन पूरा किया था। (पहली महिला पायलट के बारे में)
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एयरलाइंस में बनाया अपना करियर-
नीरजा को मॉडलिंग करने का काफी शौक था। कहा जाता है कि शादी के बाद अपने पति को छोड़ने के बाद मुंबई में मॉडलिंग में अपना करियर बनाना शुरू किया था। लेकिन नीरजा ने एयरलाइंस में अपना करियर बनाया और एयर होस्टेस की नौकरी की। (जानें किन देशों के पास नहीं हैं एक भी एयरपोर्ट)
साहसी की कहानी-
बात 1986 की है जब कराची में पैन एम 73 विमान उड़ान भरने के लिए पायलट का इंतजार कर रहे थे। तभी अचानक 4 आतंकवादियों ने पूरे विमान को गन प्वाइंट कर लिया था। लेकिन अपनी सूझबूझ से रात के अंधेरे में नीरजा ने विमान के दरवाजे खोल दिए इस दौरान आतंकवादियों ने फायरिंग कर दी। हालांकि, सभी यात्रियों की जान बच गई, लेकिन नीरजा शहीद हो गईं।
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अचीवमेंट-
नीरजा भारत की पहली ऐसी महिला हैं, उन्हें अशोक चक्र से नवाजा गया है और नीरजा की बहादुरी को देखते हुए तमगा-ए-इंसानियत का खिताब भी दिया है। वहीं, नीरजा के नाम पर हीरोइन ऑफ हाईजैक और 2005 में अमेरिका ने जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड का खिताब भी दिया था। (पहली महिला कॉम्बैट एविएटर अभिलाषा बराक के बारे में)
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Image Credit- (@Wikipedia)
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