आधुनिक भारत के दो पुनर्जागरण केंद्र रहे हैं पहला बंगाल और दूसरा महाराष्ट्र। बंगाल हिंदू धर्म और सभ्यताओं में सुधार लाना चाहता था वहीं महाराष्ट्र इसके विपरीत था। वह हिंदू धर्म,सामाजिक व्यवस्था और परंपराओं को चुनौती दी। वर्ण जाति व्यवस्था को तोड़ने और महिलाओं पर पुरूषों के वर्चस्व को खत्म करने और सुधार लाने के लिए काफी संघर्ष किए गएं। महाराष्ट्र के पुनर्जागरण की अगुवाई वहां की महिलाएं कर रही थी। उनमें से एक महिला थी जिनका नाम सावित्रीबाई फुले था।
उन्नीसवीं सदी के पूर्व में समाज को शिक्षित बनाने को लेकर कई सुधारवादी आंदोलन चलाए गएं। समाज में अधिकतर कुरीतियों महिलाओं को लेकर बनी थी जैसी बाल विवाह,विधवा पुनर्विवाह का विरोध, अशिक्षा व अंधविश्वास की कुरीतियों से बंधी थी। सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों की शिक्षा के विरोध के बाद भी उन्हें शिक्षित करने का प्रण लिया और आगे बढ़ गईं। उन्होंने अपने लेख अज्ञान, शिक्षा के लिए जाग्रत हो जाओ, श्रेष्ठ धन, अंग्रेजी मय्या आदि कविताओं में स्त्री शिक्षा पर जोर दिया। स्त्री होने के कारण वह समाज में स्त्री शिक्षा के वजहों को बखूबी समझती थी।
सावित्रीबाई फुले ने बालिका शिक्षा के लिया खोला पहला स्कूल
प्रारंभिक दौर के आंदोलन का श्रेय पुरुषों को अधिक दिया जाता है वहीं उस समय स्त्रियों भी पूर्ण रूप से अपनी सक्रिय भागीदारी निभाती थी। 1831 में जन्मीं सावित्रीबाई फुले महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम किया। नौ साल की उम्र में इनका विवाह ज्योतिराव फुले से हुआ था। वह जब नौ वर्ष की थी उनके पति की उम्र 13 साल थी। सावित्रीबाई फुले की पढ़ाई-लिखाई में रुचि को देखते हुए उनके पति ने उनका साथ दिया। शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अहमदाबाद में टीचर की ट्रेनिंग ली और शिक्षक बनीं। (बेटियों के भविष्य के लिए करें ये काम)
पुणे में खोला महिला विद्यालय
18 साल की उम्र में वह महिलाओं को पढ़ाना शुरू कर चुकी थी। इन्होंने 1 जनवरी, 1848 में ज्योति फुले के साथ मिलकर गुलाम भारत का पहला महिला विद्यालय पुणे में खोला। यह विद्यालय महिलाओं की शिक्षा का क्रांति स्तंभ बना। इसके बाद एक साल के भीतर इन्होंने 5 नए विद्यालय खोले। 15 मई, 1848 में इन्होंने पुणे के रास्ता पेठ में दूसरा स्कूल खोला। 1852 में तीसरा स्कूल खोला। सावित्रिबाई फुले द्वारा बनाई गई संस्था सत्यशोधन समाज ने 1876 और 1879 के अकाल में अन्न सत्र चलाया। सावित्रीबाई फुले का निधन 10 मार्च, 1897 को हुआ था।
इसे भी पढ़ें-मिलिए उस महिला से जिनके संघर्षों की वजह से बदला भारत का 'रेप कानून'
इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही,अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ
Image credit- Wikipedia
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों