दुनिया के सबसे बड़े सम्मानों में से एक नोबेल पुरुस्कार की घोषणा हो चुकी है। इस साल के नोबेल पुरुस्कार को जीतने वाला एक ऐसा जोड़ा है जिसने अर्थशास्त्र यानी इकोनॉमिक्स की दुनिया में बहुत नाम कमाया है। ये है एस्थर डुफ्लो और अभीजीत बनर्जी। इन दोनों के साथ ही इनके सहयोगी माइकल क्रीमर ने भी नोबेल पुरुस्कार जीता। खास बात ये है कि नोबेल जीतने वाला ये सिर्फ 6वां जोड़ा है जिसने एक साथ एक ही विधा में नोबेल जीता है। पहले थे मैडम क्यूरी और पियरे क्यूरी।
लगभग हर जगह अभीजीत बनर्जी की उपलब्धियों को गिनवाया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही एस्थर डुफ्लो की उपलब्धियां कम नहीं जो खुद एक नोबेल पुरुस्कार जीतने वाली अर्थशास्त्री हैं और न जाने कितने रिसर्च पेपर, किताबें लिख चुकी हैं और अपनी रिसर्च से न जाने कितने ही लोगों की मदद कर चुकी हैं। एस्थर अभीजीत बनर्जी की पत्नी जरूर हैं, लेकिन वो उससे पहले अपने काम में सबसे आगे हैं।
सबसे कम उम्र में अर्थशास्त्र का नोबेल जीतने वाली महिला-
फ्रेंच अमेरिकी बैकग्राउंड से आने वाली एस्थर डुफ्लो 46 साल की हैं और वो न सिर्फ बेहद होशियार हैं बल्कि सबसे कम उम्र की महिला हैं जिन्होंने अर्थशास्त्र में नोबेल पुरुस्कार जीता है। इतना ही नहीं पिछले 50 सालों में ये पुरुस्कार सिर्फ दो ही महिलाओं को दिया गया है। एस्थर ही ऐसी हैं जो जिंदा हैं। यानी अर्थशास्त्र में नोबेल जीतने वाली एकलौती जीवित महिला इस पूरी दुनिया में एस्थर डुफ्लो ही हैं। इसके पहले 2009 में एलिनॉर ऑस्ट्रॉम को ये पुरुस्कार दिया गया था और 3 साल बाद उनकी मृत्यु हो गई थी।
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सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रही हैं एस्थर डुफ्लो-
एस्थर अपनी उपलब्धियों के लिए नहीं बल्कि किसी और कारण से सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रही हैं। लोग अभीजीत बनर्जी का नाम ले रहे हैं और एस्थर को सिर्फ और सिर्फ उनकी पत्नी के तौर पर जान रहे हैं। ये थोड़ा गलत तो है। एस्थर अपने आप में एक पहचान हैं और वो अभीजीत बनर्जी की पत्नी बनने से पहले भी एक सफल महिला रही हैं।
Esther Duflo won the John Bates Clark medal and is probably a better economist than Abhijit Banerjee. Sad to see her reduced to just Banerjee's wife in Indian media.
— avataram (@avataram) October 14, 2019
“and wife” aka Esther Duflo is the youngest economist to win the Nobel, sharing it with fellow MIT economists Abhijit Banerjee (and husband) and Harvard’s Michael Kremer. They won for ‘experimental approach’ to solving poverty.https://t.co/bcJx6qQTG6 https://t.co/7M2LNuI6l1
— Massive Social Upheaval (@schemaly) October 14, 2019
2015 में हुई है शादी, काम के चलते एक दूसरे के नजदीक आए दोनों-
एस्थर डुफ्लो और अभीजीत बनर्जी काम के चलते ही एक दूसरे के नजदीक आए हैं। अभीजीत और एस्थर दोनों ही MIT में प्रोफेसर थे। एस्थर ने जब 1999 में पीएचडी की है तब अभीजीत उनके ज्वाइंट सुपरवाइजर थे। एस्थर से शादी से पहले अभीजीत अरुंधती बनर्जी से शादी कर चुके थे। दोनों का एक बेटा कबीर भी था, लेकिन दोनों का तलाक हो गया था। 2016 में कबीर की मृत्यु भी हो गई। 2012 में एस्थर और अभीजीत का एक बेटा हुआ और इसके तीन साल बाद यानी 2015 में दोनों ने शादी की।
कई किताबों लिख चुकी हैं एस्थर-
अप्रैल 2011 में एस्थर ने एक किताब रिलीज की थी। ये किताब थी Poor Economics, इसे लिखने में एस्थर और अभीजीत दोनों ने ही मेहनत की थी। इसमें 15 साल के उनके एक्सपीरियंस के बारे में लिखा था जिसमें कई एक्सपेरिमेंट का भी जिक्र था जो इस जोड़े ने किए थे। ये एक्सपेरिमेंट गरीबी कम करने को लेकर थे। इस किताब को अर्थशास्त्र जगत में काफी सराहा गया था। इसके अलावा, एस्थर ने पांच अन्य किताबें भी लिखी हैं।
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इनकी रिसर्च से भारत के 50 लाख बच्चों को फायदा हुआ-
रॉयल स्वीडिश एकेडमी की एक रिपोर्ट कहती है कि बनर्जी, डुफ्लो और क्रेमर की रिसर्च से 50 लाख बच्चों को फायदा हुआ। इनकी रिसर्च का एक अहम हिस्सा ये कहता है कि बच्चों को किताबें और मुफ्त खाना देने का उतना प्रभाव नहीं पड़ता है जितना कि कमजोर बच्चों को चिन्हित कर उन्हें शिक्षा देने से पड़ता है। इसी के साथ, फ्री टीकाकरण को लेकर भी इन्होंने रिसर्च की है और इस रिसर्च का नतीजा ये हुआ कि टीकाकरण 18% से बढ़कर 39% हो गया। ये एक्सपेरिमेंट राजस्थान के उदयपुर में किया गया था।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर चिंता कर रहे हैं अभीजीत-
भारतीय अर्थव्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए अभीजीत बनर्जी ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत में पॉलिसी हमेशा घोषणा के स्तर तक ज्यादा रहती है। ये राजनीति के लिए अच्छा होता है और इसलिए शायद इसे पहले घोषित कर दिया जाता है, आम तौर पर लोगों को इस पॉलिसी को लेकर ज्यादा सोचना चाहिए कि कैसे ये नीतियां अमल में लाई जाएंगी। प्रधानमंत्री ने कह दिया और वो हो गया। पर इसका असर बहुत ज्यादा पड़ता है। उनका स्टेटमेंट तब आया है जब कुछ दिनों पहले ही देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ये कह चुकी हैं कि GST को लागू करने में कई खामियां रह गई हैं।
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