समय बदल गया है। अब आज के दौर में कोई भी किसी से कम नहीं है। जहां पुरुष आपना पैर जमाये बैठें थे आज वहां महिलाएं भी दस्तक दे चुकी है। आज हर फिल्ड में महिलाएं अग्रणी है। कदम-कदन पर कंधे से कंधा मिला के हर नौकरी पेशा फिल्ड में महिलाएं पहुंच चुकी है। यही वजह है कि अब महिलाओं को किसी काम के लिए पीछे भागना नहीं पड़ता है। लेकिन देश में कुछ ऐसे भी जगह है जहां महिलाओं को नौकरी के लिए नहीं रखा जाता है। लेकिन इन सभी पहलुओं को पीछे छोड़ते हुए दक्षिण भारत के केरल की दो महिलाएं आज मिसाल बन चुकी है। जिन्होंने अपने मेहनत और लगन से दिखा दिया है कि जो काम इंडियन कॉफी हाउस ने अपने 61 साल के लंबे इतिहास में नहीं किया उस काम को करना पड़ा। इन दोनों महिलाओं की मेहनत को देखते हुए आखिरकार इंडियन कॉफी हाउस को अपने यहां जॉब देना ही पड़ा। इससे पहले इंडियन कॉफी हाउस ने अपने 61 साल के समय में किसी भी महिला को नौकरी पर नहीं रखा था लेकिन अब यहां धीरे-धीरे महिलाओं के काम को देखते हुए उन्हें नौकरी पर रखा जा रहा है। उन दो महिलाओं के बारे में जिन्होंने यहां तक का सफर तय किया और कैसे-
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श्रीकुट्टी और शीना-
श्रीकुट्टी और शीना इस साल इंडियन कॉफी हाउस द्वारा भर्ती की गई 10 महिलाओं में शामिल थी जो ग्रामिण इलाको से आती है। इस ग्रामिण इलाके में किसी भी आधुनिक काम को लेकर बड़ा सवाल उड़ता रहा है लेकिन श्रीकुट्टी और शीना की मेहनत ने इस ग्रामिण जगह से निकाल के उस मुकाम तक पहुचा दिया है, जिसका श्रीकुट्टी और शीना कभी सपना देखती थी। आज श्रीकुट्टी और शीना इंडियन कॉफी हाउस में रसोईया का काम करने पर बहुत खुश है।
इंडियन कॉफी हाउस-
1958 में भारत के लगभग कई हिस्से में इंडियन कॉफ़ी हाउस को खोला गया। लेकिन इन 61 साल में अभी तक किसी भी महिला को इस होटल में काम के लिए चयनित नहीं किया गया था। श्रीकुट्टी और शीना के काबलियत और उनके खाने बनाने के बेहतरीन तरीके को देखते हुए इंडियन कॉफी हाउस को रखना पड़ा।
क्या कहते हैं कॉफी हाउस के मालिक-
इंडियन कॉफी हाउस के निदेशक में शामिल अनिल कुमार कहते हैं कि शीना ने जब पहली बार पुरुष कर्मचारियों के साथ महिला कर्मचारियों को जोड़ने के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया था तब हमें अस्वीकार करना पड़ा क्योंकि हमने इससे पहले महिलाओं को काम पर नहीं रखा था। लेकिन बाद में सभी सचिवो से बात करने पर यह र्निणय लिया गया कि अब इस संस्था में महिलाओं को भी नौकरी पर रखा जाएगा। अब यहां पर महिलाओं को परीक्षण के बाद नौकरी पर आसानी से रखा जाता है। यह कहना है अनिल कुमार का।
कौन और क्या कहती श्रीकुट्टी और शीना-
श्रीकुट्टी और शीना केरल के तिरुवंतपुरम के ग्रामिण जगह से आती है। श्रीकुट्टी कहती है कि "मैं खुश हूं कि मुझे यहां काम मिला है। और यहां तक कि मेरे आसपास के सभी लोग भी इस नौकरी से खुश है। चार महीने पहले अपने पति को खोने के बाद 24 वर्षीय श्रीकुट्टी कहती है इंडियन कॉफी हाउस में नौकरी से उन्हें अपने दो बच्चों की जरूरतों का ख्याल रखने में काफी मदद मिलती है। वही नौकरी मिलने पर शीना भी बहुत खुश है।
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आम लोगों कि राय-
इंडियन कॉफी हाउस ने महिला कर्मचारियों को नौकरी देने के फैसले का होटल के ग्राहकों द्वारा भी स्वागत किया गया है। एक कर्मचारी का कहना है कि 'मैं इंडियन कॉफी हाउस में एक नियमित रूप से कर्मचारी रहा हूँ और आश्चर्य करता था कि यहां महिलाओं को रोजगार क्यों नहीं दिया जाता है। लेकिन अब मुझे खुशी है कि इंडियन कॉफी हाउस ने महिलाओं को शामिल करने का निर्णय लिया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है'।
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