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chetna gala sinha founder of india first women cooperative bank

चेतना सिन्हा जिन्होंने अनपढ़ औरतों के साथ मिलकर बनाया भारत का पहला महिला ग्रामीण बैंक, बदल दी लाखों की किस्मत

ग्रामीण महिलाओं की परेशानियों और उनकी जरूरतों को समझने वाली चेतना सिन्हा ने भारत का पहला महिला ग्रामीण बैंक-मान देशी महिला बैंक की स्थापना की थी। 
Editorial
Updated:- 2025-03-07, 17:03 IST

हर साल 8 मार्च को मनाया जाने वाला इंटरनेशनल वुमेन्स डे दुनियाभर की महिलाओं की उपलब्धियों और योगदान को याद करने का दिन है। यह उन महिलाओं को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है, जिन्होंने समाज की रूढ़ियों को तोड़कर बदलाव लाया है। ऐसी ही एक महिला हैं चेतना सिन्हा, जिन्होंने भारत के पहले महिला सहकारी बैंक ‘मन देशी महिला बैंक’ की स्थापना की थी। मन देशी बैंक, ग्रामीण महिलाओं को छोटे लोन उपलब्ध कराने वाला एक माइक्रोफाइनेंस बैंक है। यह बैंक भारत का पहला ऐसा बैंक है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक से सहकारी बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त हुआ था। चेतना सिन्हा की प्रेरणादायक कहानी संघर्ष, सशक्तिकरण और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों की मिसाल है। 

चेतना सिन्हा जन्म और शादी 

चेतना सिन्हा का जन्म 1959 में मुंबई में हुआ था और उन्होंने 1982 में मुंबई विश्वविद्यालय से बीकॉम और अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की है। कॉलेज के दिनों में, वह सामाजिक आंदोलन से काफी प्रभावित थी और उनका दिल एक युवा किसान नेता पर आ गया था, जो ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था, लेकिन उसकी बातें सभी का ध्यान खींच लेती थीं। चेतना ने विजय सिन्हा से शादी कर ली और उनके गांव जाकर बस गईं। 

विजय सिन्हा महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित गांव मसवाड़ के रहने वाले हैं और उस समय उनके गांव में बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद नहीं थीं। साल 1987 में चेतना अपने पति के गांव जाकर बस गईं। उन्होंने गांव की महिलाओं की कठिनाइयों को करीब से जाना और महसूस किया कि गरीबी से निकलने के लिए महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त होना जरूरी है। 

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ग्रामीण महिलाओं की जरूरतों को समझा

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सतारा जिले का दौरा करते समय, चेतना सिन्हा के ऊपर एक घटना ने ऐसा असर किया कि उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई। दरअसल, एक दिन गांव का दौरा करते समय चेतना सिन्हा के पास एक महिला आई और उनसे बचत खाता खोलने में मदद मांगने लगी। उसे पारंपरिक बैंकों ने खाता खोलने से मना कर दिया था, क्योंकि वह बैंक में मिनिमम बैलेंस रखने में असमर्थ थी। इस घटना ने चेतना को एहसास दिलाया कि ग्रामीण महिलाओं के लिए एक ऐसे बैंक की जरूरत है, जो उनकी जरूरतों को समझे और उनकी मदद करे। 

देश का पहला महिला सहकारी बैंक खोला 

इस समस्या का हल खोजने के लिए चेतना सिन्हा ने महिलाओं द्वारा संचालित एक बैंक खोलने का फैसला किया। उन्होंने 1996 में बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि अशिक्षित ग्रामीण महिलाएं बैंक नहीं चला सकती हैं। चेतना को यह बात बहुत चुभ गई और उन्होंने अपने गांव की महिलाओं को शिक्षित करना शुरू किया और 6 महीने के बाद उनकी मेहनत रंग लाई। 

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उनके आवेदन को स्वीकार कर लिया और साल 1997 में मान देशी महिला बैंक की स्थापना हुई, जो भारत का पहला ग्रामीण महिला बैंक बना। आज, मान देशी बैंक की सात शाखाएं हैं, इसकी मार्केट वैल्यू 150 करोड़ रुपये से अधिक है और 2 लाख से ज्यादा महिलाएं इसकी कस्टमर हैं। यह बैंक पारंपरिक बैंकों से काफी अलग है और यह गरीब महिलाओं को छोटे माइक्रोलोन कम ब्याज दर पर देता है। 

मान देशी बैंक माइक्रोलोन उपलब्ध कराता है

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मान देशी बैंक लड़कियों को साइकिल खरीदने के लिए भी लोन उपलब्ध कराता है और महिलाओं को बिजनेस शुरू करने के लिए सिलाई मशीन या बुनियादी उपकरण खरीदने के लिए लोन देता है। साल 2012 में बैंक ने भारत का पहला महिला वाणिज्य चैंबर स्थापित किया, जिससे महिला एन्टरप्रेन्योर्स को अपने बिजनेस को बढ़ाने का मौका मिला। HSBC बैंक के सहयोग से मान देशी बैंक ने ई-कार्ड भी लॉन्च किए हैं, जिससे ग्रामीण महिलाएं अपने लेन-देन को डिजिटल रूप से ट्रैक कर सकती हैं।

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चेतना सिन्हा की उपलब्धियां 

चेतना सिन्हा के काम को दुनिया भर में सराहा गया। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया, जिसमें नारी शक्ति पुरस्कार भी शामिल है। साल 2018 में, उन्होंने इतिहास रच दिया जब वह वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में सह-अध्यक्षता करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने वैश्विक मंच से कहा कि ग्रामीण महिलाएं न केवल मदद पाने वाली हैं, बल्कि वे आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाने वाली सक्रिय भागीदार भी हैं।

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Image Credit - instagram/@chetnagalasinha


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