सेक्स एजुकेशन को लेकर अभी भी हमारे समाज में खुलकर बात नहीं होती है। न ही इसपर लोग बात करना चाहते हैं, लेकिन समाज को अन्य चीजों की जानकारी और शिक्षा के अलावा सेक्स और सेक्सुएलिटी के बारे में भी अच्छे से पता होना बहुत जरूरी है। समाज को सेक्स एजुकेशन के बारे में बताने के लिए अभी तक दो-चार फिल्में जैसे ओएमजी 2', 'छत्रीवाली', 'जनहित में जारी' और 'शुभ मंगल सावधान' जैसी हिंदी फिल्में बनाई गई है, जिसे देखकर समाज सेक्स एजुकेशन के महत्व को जान पाए। बड़ों से लेकर जवान तक हर कोई अपने शरीर से अनजान हैं, उन्हें सेक्स और इंटिमेसी के बीच का अंतर ही नहीं पता। समाज में पुरुष और महिला के अलावा लिंगों की पहचान या कामुकता के पता लगाने को पाप या शर्म का नाम दिया जाता है। यहीं पर सेक्स एजुकेशन कदम रखती है और हमारे मन में चल रहे सेक्स, सेक्सुएलिटी और इंटिमेसी से जुड़े सवालों के बवंडर को हल करती है।
कौन है अर्तिका सिंह
मुट्ठी भर सेक्स एजुकेटर के बीच, अर्तिका सिंह न सिर्फ समाज की बंदिशों को तोड़ रही है, बल्कि पेट्रियार्की को भी तोड़ते हुए आगे बढ़ रही है। इंस्टाग्राम पर अर्तिका सिंह के 18 हजार से अधिक फॉलोवर्स हैं। अर्तिका सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को सेक्सुअलिटी के बारे में एजुकेट करती हैं। साथ ही अपने इंस्टाग्राम पर सेक्सुअलिटी और सेक्स एजुकेशन से जुड़े रील्स पोस्ट करती हैं। मिथ्स को तोड़ते हुए सेक्स, ऑर्गेज्म और सुरक्षित सेक्स के अनुभवों पर कंटेंट क्रिएट कर पोस्ट करती हैं।
अर्तिका सिंह सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर होने के साथ-साथ एक गैर लाभकारी संगठन NGO, तारिणी फाउंडेशन की भी फाउंडर हैं और उनका कहना है कि " एक यौन शिक्षक वो नहीं जो युवा लड़कियों और महिलाओं को बचा रहा है, बल्कि वो है जो लोगों को जानकारी, संसाधन और उपकरण प्रदान कर लोगों को सशक्त बना रहे हैं, ताकि वे खुद को बचा सकें।
कैसे बनी अर्तिका सेक्स एजुकेटर
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स्कूल के दिनों में अर्तिका के शिक्षक ने उन्हें मानव विज्ञान से जुड़े एक किताब से परिचित कराया था। अर्तिका विज्ञान की छात्रा थी जिसे पढ़ने में रुचि थी। अर्तिका ने स्कुल के दिनों से ही कई स्वयंसेवी काम किए हैं और जब को-करीकुलर एक्टिविटी की बात आती तो अर्तिका सबसे आगे रहती थी। अर्तिका ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो एक सेक्स एजुकेटर बनना चाहती हैं, लेकिन उन्हें हमेशा से पता था कि उन्हें लोगों के लाइफ एक्सपीरियंस को डॉक्यूमेंट करने में इंटरेस्ट है।
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उन्होंने बताया कि मेरे पिता डॉक्टर हैं इसलिए उनका इंटरेस्ट हेल्थ केयर इंडस्ट्री की ओर शुरू से था। कॉलेज के टाइम में उन्हें मेंस्ट्रुअल हेल्थ और हाइजीन से जुड़े प्रोजेक्ट से जुड़ने का मौका मिला। ये तीन महीने का प्रोजेक्ट था, जिसमें जमीनी स्तर पर 2 महीने काम करने के बाद सेक्स एजुकेटर को यकीन हो गया कि वह पब्लिक हेल्थ में अपना करियर बनाना चाहती है। साल 2018 में अर्तिका ने दिल्ली विश्वविद्यालयके हंसराज कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और एनजीओ शुरू करने के काम पर आगे बढ़ गई।
अर्तिका ने अपनी जर्नी के बारे में बताते हुए आगे बताया की जब उन्होंने तारिणी फाउंडेशन शुरू किया तो उनके माता पिता को दूसरे लोगों बताना चुनौतीपूर्ण था कि उनकी बेटी अपनी आजीविका के लिए क्या करती है। " मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर से आती हूं और सेक्स एजुकेटर कुछ ऐसा है जिसे स्पष्ट करना मुश्किल है"। 'मेरी मां लोगों को कहती थी कि वह स्वास्थ्य सेवा में काम करती है और पापा कहते थे कि वह मेंस्ट्रुअल हेल्थ केयर और एंपावरमेंट में काम करती है'। इस फील्ड में 7 साल तक काम करने के बाद अब मम्मी पापा अपनी बेटी के बारे में परिचय देते हुए गर्व महसूस करते हैं।
एक सेक्स एजुकेटरहोने की चुनौतियाँ
यदि आप अर्तिका के इंस्टाग्राम हैंडल पर जाएंगे तो आप देख पाएंगे कि उन्होंने सेक्स एजुकेशन, इंटिमेसी, सेक्सुअलिटी से जुड़े कई तरह के पोस्ट और रील्स मिलेंगे। ये ऐसे कंटेंट हैं, जो ट्रोलर्स का ध्यान तुरंत खींचते हैं और वे कमेंट करने से जरा भी नहीं कतराते, उन्हें जो ठीक न लगे या जो उनके हिसाब से गलत है उसपर वे तुरंत कमेंट कर देते हैं। शुरुआत में लोगों के द्वारा की गई कमेंट उन्हें परेशान करती थी, लेकिन अब उन्हें कमेंट से फर्क नहीं पड़ता और वो ऐसे कमेंट्स को डिलीट कर देती हैं।
कंटेंट क्रिएटर होने की चुनौतियां
अर्तिका ने बताया कि सोशल मीडिया पर रहना किसी चैलेंज से कम नहीं है, अक्सर लोग एल्गोरिदम में खुद को खो देते हैं। उन्होंने कहा कि जब आप लोगों को बढ़ते हुए देखते हैं और आप नहीं बढ़ रहे होते हैं, तो आप इस भ्रम में फंस जाते हैं, कि आप जो कर रहे हैं वो काम कर रहा है कि नहीं। आप अपने कंटेंट को समझने और दोहराने या अपने दर्शकों को समझने के साथ अपने विचारों को कैसे बढ़ाएं, यह जानने की कोशिश करें। अर्तिका को इन सबके बीच ऐसा लगता है कि कोई भी आसानी से अपने रास्ते से भटक सकता है और उद्देश्य की भावना को खो सकता है।
महिलाएं करती हैं पेट्रियार्की को प्रमोट
जमीन स्तर पर काम करने को लेकर अर्तिका ने बताया कि उन्होंने विभिन्न समुदाय के लोगों से बात की और सभी की अपनी ही अलग चुनौतियां है। NGO के पहले प्रोजेक्ट के दौरान उन्होंने अपनी टीम को नई दिल्ली के सेमी-रूरल क्षेत्र के बारे में जानकारी दी। वे पेट्रियार्की माइंडसेट के लिए तैयार थे। हालांकि, टीम ने उनसे बातचीत करने से पहले यह सुनिश्चित किया कि किसी भी स्थिति में वो लोगों के प्रश्नों का जवाब देंगे और उन्हें सुरक्षित यौन प्रथाओं के बारे में अवेयर करने की पूरी कोशिश करेंगे। उन्होंने बताया कि हमने जितना सोचा था, महिलाएं अपने यौन और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर कहीं ज्यादा कंट्रोल में थी, जो कि थोड़ा आश्चर्यजनक था।
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अर्तिका ने जीता यंग पर्सन ऑफ द ईयर का अवार्ड
NGO शुरू करने के बाद अर्तिका और भी ज्यादा लोगों को शिक्षित करने के लिए रील बनाना स्टार्ट किया, ताकि वह सोशल मीडिया और इंस्टाग्राम की मदद से और भी ज्यादा लोगों तक पहुंच सके और उपयोगी जानकारी को प्रमोट कर सके। साल 2021 में, उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHS) के सेक्सुअल हेल्थ विंग और ब्रूक सेक्सुअल हेल्थ पुरस्कारों से 'यंग पर्सन ऑफ द ईयर' का पुरस्कार जीता। अर्तिका को यूनेस्को द्वारा समर्थित RNW मीडिया ग्लोबल डिजिटल सेक्स एजुकेटर्स हब भी मिला हुआ है।
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"ज्ञान ही शक्ति है"
अर्तिका के लिए, 'शक्ति' का अर्थ है देवी दुर्गा, जो बचाती है। लेकिन अपने काम के संदर्भ में अर्तिका का मानना है कि सेक्स एजुकेटर युवा लड़कियों या महिलाओं को नहीं बचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विषय और आपके शरीर के बारे में ज्ञान है, जो आपको कुछ स्थितियों से बचाता है।
हर जिंदगी के 'शक्ति रूपेण संस्थिता' अभियान के तहत हम आपके लिए ऐसी ही महिलाओं की कहानी लेकर आए हैं, जिन्होंने अपने दम पर उद्योग जगत में अपना नाम बनाया है।
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