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एसिड अटैक के बाद भी नहीं डगमगाया Shaheen Malik का हौसला, आज कर रही हैं 300 महिलाओं की मदद

एसिड अटैक सर्वाइवर शाहीन मलिक ने अब तक 300 से अधिक एसिड अटैक सर्वाइवर्स के जीवन को बदला है। इस आर्टिकल में जानें उनकी इंस्पायरिंग जर्नी।  
Editorial
Updated:- 2023-10-12, 15:14 IST

Shaheen Malik Journey: दुनियाभर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के आंकड़े कम नहीं हैं। यही कारण है कि आज भी माता-पिता अपनी बेटियों को घर से बाहर भेजने से थोड़ा कतराते हैं। बलात्कार, एसिड अटैक जैसे मामले आए दिन खबरों में बने रहते हैं। कॉलेज या ऑफिस जाने वाली महिलाओं पर राह चलते एसिड अटैक आम बात हो गई है।एसिड अटैक किसी भी महिला के जीवन को खत्म कर देती हैं। 

हरजिंदगी के 'शक्ति रूपेण संस्थिता' अभियान के तहत हम आपके लिए ऐसी ही महिलाओं की कहानी लेकर आएंगे। आज हम आपको एसिड अटैक सर्वाइवर शाहीन मलिक की इंस्पायरिंग जर्नी बताने वाले हैं। 

कौन हैं शाहीन मलिक? 

 

 

 

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शाहीन मलिक एक आम महिला हैं। वह भी बाकी लड़कियों की तरह ही अपनी जीवन गुजार रही थीं। हालांकि साल 2009 में उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जो उनकी पूरी जिंदगी को बदल दिया। शाहीन मलिक साल 2009 के दौरान एमबीए कर रही थी और साथ ही नौकरी भी कर रही थी। वह पढ़ना चाहती थी अपने जीवन में काफी कुछ करना चाहती थीं। 

शाहीन मलिक कैसे हुई एसिड अटैक का शिकार?

 

 

 

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शाहीन मलिक 19 नवंबर 2009 को जब वह अपने दफ्तर से बाहर निकल रही थी उस दौरान उन्हें एक व्यक्ति दिखा, जो चेहरे पर रूमाल बांध-कर खड़ा था। जैसे ही शाहीन उस लड़के के बगल में जाकर खड़ी हुई, उस लड़के ने उनके चेहरे पर एसिड डाल दिया। शाहीन बताती है कि वह दिन मुझे आज भी याद है। उस दिन को मैं कभी भूल नहीं सकती हूं। मुझे अस्पताल पहुंचने में इतना लेट हो गया था कि मेरा चेहरा 90 प्रतिशत तक एसिड के कारण जल चुका था। मेरी एक आंख पूरे तरीके से खराब हो चुकी थीं।

किसने किया शाहीन मलिक पर एसिड अटैक?

 

 

 

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शाहीन के साथ एसीड अटैक उनके कलिग्स और उनके कॉलेज के 4 छात्रों ने मिलकर किया था। शाहीन पढ़ाई में अच्छी थीं। यही कारण था कि उनके साथ के लोग उनसे ईर्ष्या करते थे। 4 लोगों में एक नाबालिग भी था। हालांकि अब भी यह केस 3 लोगों के खिलाफ कोर्ट में दर्ज हैं।  

शाहीन मलिक का संघर्ष

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एक लड़की जो पढ़ाई में होनहार थी। अपने जीवन में काफी कुछ करना चाहती थी इस एसिड अटैक के बाद उसका जीवन काफी बदल गया। शाहीन कहती हैं, "एसिड अटैक के बाद मेरा जीवन केवल अस्पताल से घर और घर से अस्पताल तक ही सीमित रह गया था। उस दौरान मैं डिप्रेशन का शिकार हुई थी। हालांकि मेरे परिवार के ऊपर इस दौरान फाइनेंशियल बर्डन काफी ज्यादा बढ़ गया था। जिसके बाद साल 2013 में मैंने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। जिसके बाद मुझे ऐसी जगह नौकरी मिली जहां एसिड अटैक सर्वाइवर के लिए काम होता था''। 

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शाहीन मलिक ने शुरू किया खुद का NGO

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वह कहती हैं ''वहां नौकरी करने के दौरान मुझ जैसी कई लड़कियां वहां मिलीं। जिसके बाद साल 2013 से मैंने सोशल वर्क करना शुरू किया। जिसके बाद मैंने, दिल्ली वुमन कमीशन, स्टॉप अटैक जैसी कई संस्थाओं के साथ काम किया। जिससे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला और साल 2021 में मैंने खुद की संस्था स्टार्ट कर दी। इस संस्था का नाम मैंने 'ब्रेव सेल्स फाउंडेशन' रखा। एनजीओ और उसके आश्रय गृह, यानी 'अपना घर' के माध्यम से, शाहीन ने 300 से अधिक एसिड अटैक सर्वाइवर्स को उनकी सर्जरी करवाने में मदद की है। साथ ही, उन्हें मुआवजे दिलवाए और उन्हें एक नया जीवन भी दिया है।

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'ब्रेव सोल्स फाउंडेशन' के जरिए एसिड अटैक सर्वाइवर को सभी प्रकार की मदद दी जाती है। उनकी पढ़ाई के साथ ही उनका इलाज भी किया जाता है। शाहीन मलिक कहती हैं कि हमारा शेल्टर होम है, जिसमें एसिड अटैक सर्वाइवर्स रहती हैं। यहां अलग- अलग राज्य से लड़कियां आती हैं। यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़, मुम्बई और वेस्ट बंगाल जैसे राज्यों की लड़कियां आती हैं।उन्होंने कहा, ''यहां हम केवल उनके इलाज ही नहीं बल्कि उनकी लीगल केस भी देखते हैं। साथ ही, हम उन्हें साइकोलॉजिकल थेरेपी भी देते हैं। अब तक हमने अपने NGO की तरफ से कई लड़कियों की मदद की हैं। अब भी हम यह काम कर रहे हैं। 

हरजिंदगी के 'शक्ति रूपेण संस्थिता' अभियान के तहत हम आपके लिए ऐसी ही महिलाओं की कहानी लेकर आएंगे, जो तेजाब हमले से झुलसी और पीड़ित महिलाओं के लिए लड़ रही हैं।

अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

 

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