भारत एक अनोखा देश है और यहां हर जगह आपको किसी ना किसी तरह की मिसाल देखने और सुनने को मिल जाएगी। भारत के इतिहास की बात की जाए तो हमेशा ऐसी स्थितियां सामने आई हैं जहां पर पुरुषों और महिलाओं दोनों ने ही बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। जैसे बाजीराव और मंगल पांडे प्रसिद्ध हैं उसी तरह झांसी की रानी के साहस की मिसालें दी जाती हैं। भारत में राजघराने और राज परिवार तो बहुत रहे हैं, लेकिन उनमें से कुछ ने ही इतिहास में अपनी जगह बनाई है। जितने राजा फेमस हैं उतनी ही राजकुमारियां भी प्रसिद्ध हैं।
भारत में ऐसी कई राजकुमारियां रही हैं जिन्होंने अपने लिए बनाए गए नियमों को तोड़ा भी और साथ ही साथ कुछ नया करने की हिम्मत भी दिखाई। आज हम उन्हीं राजकुमारियों की बात करने जा रहे हैं।
1. जयपुर की महारानी गायत्री देवी
12 साल की उम्र में गायत्री देवी ने 21 साल के राजा सवाई मान सिंह बहादुर को अपना दिल दे बैठी थीं। एक इंटरव्यू में गायत्री देवी ने बताया था कि जब वो 16 साल की थीं तब सवाई मान सिंह ने उन्हें शादी के लिए पूछा था और कहा था कि वो पोलो खेलते हैं, पहले से शादीशुदा हैं और वो गायत्री से शादी करना चाहते हैं। 21 साल की उम्र में गायत्री ने सभी के विरोध के बाद भी सवाई मान सिंह से शादी कर ली। गायत्री देवी 1940 के दौर में जयपुर के राजा की तीसरी पत्नी बनी थीं।
गायत्री देवी और इंदिरा गांधी की कहानी भी काफी फेमस है जहां ये माना जाता है कि इंदिरा गांधी ने जलन के कारण गायत्री देवी को जेल में बंद करवा दिया था। गायत्री देवी संसद की सदस्य भी रही थीं और इंदिरा गांधी की प्रतिद्वंद्वी भी थीं। वो गायत्री देवी के ही प्रयास थे कि जयपुर में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खुला था। वो गायत्री देवी ही थीं जिन्होंने ये कहा था कि वो घूंघट नहीं करेंगी और विरोध किया था। गायत्री देवी को अपने जमाने की आइकन माना जाता है।
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2. कपूरथला की सीता देवी
कपूरथला की सीता देवी एक ऐसी राजकुमारी थीं जिन्होंने अपने लिए पारंपरिक रिवाज नहीं चुने। सिर्फ 13 साल की उम्र में उन्हें कपूरथला के महाराजा के छोटे बेटे करमजीत से शादी करनी पड़ी थी, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो अपनी शादी के बाद रुक जातीं। उन्होंने कई यूरोपीय भाषाओं में महारत हासिल की। उनका फैशन सेंस उस जमाने में सबसे अच्छा माना जाता था और 1930 के दशक में वो इतनी फेमस हो गई थीं कि 1936 में उन्हें वोग मैग्जीन ने 'सेक्युलर गॉडेस' टाइटल दिया था। इसके तीन साल बाद लुक मैग्जीन ने उन्हें दुनिया की 5 सबसे अच्छी ड्रेस्ड महिलाओं की लिस्ट में रखा था।
किसी भी महिला के लिए पूरी दुनिया में इस तरह फेमस होना काफी अच्छा माना जाता है और सीता देवी ने ये काम पूरा किया था। सीता देवी को आज भी फैशन आइकन के रूप में जाना जाता है।
3. बड़ौदा की इंदिरा देवी
बड़ौदा के चर्चित महाराज सयाजीराव गायकवाड़ और उनकी दूसरी पत्नी की इकलौती बेटी इंदिरा का नाम यकीनन उस समय की बागी और अपने मन की करने वाली राजकुमारियों में गिना जाता है। इंदिरा देवी की शादी कम उम्र में ही ग्वालियर के माधवराव सिंधिया से तय हो गई थी। 1911 में वो दिल्ली के एक कार्यक्रम में शिरकत करने आईं और वहां कूंच बिहार के राजा के छोटे भाई जितेंद्र से उनकी मुलाकात हुई। थोड़े ही दिनों में दोनों में प्यार हो गया और शादी के बारे में बात भी हुई।
इंदिरा ने उस दौर में चिट्ठी लिखकर खुद ही अपनी सगाई तोड़ ली। उस दौर में राजघरानों के बीच ये स्कैंडल बन गया और फिर धीरे-धीरे करके सभी इस बारे में बात करने लगे, लेकिन इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी और अपने दिल की बात मानी।
शादी के बाद जितेंद्र के भाई की मौत हो गई और जितेंद्र राजा बन गए। इसके बाद जीतेंद्र भी शादी के 10 साल के अंदर ही मर गए और इंदिरा ना सिर्फ सबसे जवान विधवा बन गईं बल्कि वो 5 बच्चों की मां भी बन चुकी थीं, लेकिन उन्होंने कूच बिहार को बखूबी संभाला और आगे बढ़ती रहीं। आपको ये भी बता दें कि इंदिरा राजे (इंदिरा देवी) जयपुर की महारानी गायत्री देवी की मां थीं। अब आप समझ ही गए होंगे कि किस तरह से महारानी गायत्री देवी में समाज से लड़ने का साहस आया था।
4. हैदराबाद की प्रिंसेज नीलोफर
प्रिंसेस नीलोफर का जन्म तुर्की में हुआ था और वो ऑटोमन एम्पायर की आखिरी राजकुमारी थीं जिनकी शादी उस समय हैदराबाद के निज़ाम से हुई थी। हैदराबाद के निज़ाम उस दौर में दुनिया के सबसे अमीर शासक हुआ करते थे। नीलोफर की खुद की कोई संतान नहीं थी और ऐसे में उन्होंने अपनी सोशल लाइफ को ही अपनी जिंदगी बना लिया था। वो चैरिटी किया करती थीं और एलीट महिलाओं के क्लब में शामिल रहती थीं।
1949 में नीलोफर का ख्याल रखने वाली प्रिय मेड की बच्चा पैदा करते समय मौत हो गई थी। नीलोफर का ध्यान मेडिकल फैसिलिटी की ओर गया और उन्होंने हैदराबाद के रेड हिल्स इलाके में एक अस्पताल बनवाया। नीलोफर से काफी कुछ उम्मीदें की गई थीं, लेकिन नीलोफर ने सिर्फ अपनी जिंदगी को शाही राज काज के कामों में नहीं गंवाया। उन्होंने नीलोफर अस्पताल की स्थापना की ताकि आगे चलकर कोई भी मां इस पीड़ा से ना गुजरे।
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5. तमिलनाडु की वेलु नचियार
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई से भी पहले वेलु नचियार ने अंग्रेजी फौज का मुकाबला किया था। वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उनके पिता को कोई बेटा नहीं हुआ था और वो अपना राज्य अंग्रेजी सरकार को नहीं देना चाहते थे। वेलु नचियार तमिलनाडु के राजा रामनद की बेटी थी जो 1730 में पैदा हुई थीं। उनका कोई भाई नहीं था और इसलिए उन्हें एक राजकुमार की तरह ही पाला गया। उन्हें युद्ध नीति और हथियारों को लेकर बहुत सारी बातें बताई गई थीं।
वेलु की शादी शिवगंगई के राजा से हुई थी जिन्होंने अंग्रेजी और फ्रेंच आर्मी के बीच युद्ध में 1772 में अपनी जान गवां दी थी। अपनी बेटी को लेकर वेलु हैदराबाद भाग निकली थी। 1780 तक वेलु अलग-अलग तरह से ताकत हासिल करती रहीं और उन्होंने हैदर अली शाह के साथ मिलकर अलग-अलग जगहों पर सुसाइड अटैक करवाए और अपना राज्य शिवगंगई वापस लिया।
ये थीं वो 5 रानियां और राजकुमारियां जिन्होंने खुद को समय के हिसाब से नहीं ढाला बल्कि अपने हिसाब से अपना समय बनाया। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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