इतिहास में जयपुर की महारानी गायत्री देवी का नाम बहुत ही आदर से लिया जाता है। वो बेखौफ महिला जिसकी सुंदरता की मिसालें दी जाती थीं, जो राजघराने से लेकर राजनीति तक सभी में अव्वल रही और जिसने आखिरी दम तक अपना जीवन अपनी शर्तों पर जिया। राजमाता के नाम से प्रसिद्ध महारानी गायत्री देवी जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय की तीसरी पत्नी थीं। 29 जुलाई को गायत्री देवी की पुण्यतिथि पर हम उनके बारे में कुछ बातें बताने जा रहे हैं।
इस कहानी में हम उनसे जुड़ा वो किस्सा याद करते हैं जो हिंदुस्तान के इतिहास के कुछ सबसे चर्चित राजनीतिक विवादों में से एक रहा है। महारानी गायत्री देवी और इंदिरा गांधी शुरुआत में एक ही स्कूल में पढ़ती थीं।
दोनों की स्कूलिंग रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन स्कूल से हुई थी। माना जाता है कि इनकी रंजिश के पीछे यहीं का कोई किस्सा रहा था। खबरों की मानें तो इंदिरा गांधी गायत्री देवी से जला करती थीं, हालांकि इसे लेकर कोई भी पुष्टीकरण नहीं मिलता, लेकिन ये जरूर कहा जाता है कि इनकी रंजिश की शुरुआत यहीं से हुई थी।
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स्कूल के जमाने में क्यों थी इंदिरा गांधी को जलन?
इसको लेकर लेखक खुशवंत सिंह के अलावा किसी ने भी कुछ साफतौर पर नहीं लिखा है। खुशवंत सिंह के अनुसार इंदिरा गांधी को उस समय स्कूल में गायत्री देवी की खूबसूरती और उनकी प्रसिद्धि से जलन होती थी। गायत्री देवी की खूबसूरती के चर्चे उसी जमाने से होते थे।
गायत्री देवी की पर्सनल लाइफ किसी फिल्म से कम नहीं थी-
गायत्री देवी ने 12 साल की उम्र में ही सवाई मान सिंह 2 को अपना दिल दे दिया था। सिमी ग्रेवाल के टॉक शो में उन्होंने कहा था कि राजा साहब उनके लिए किसी सपने की तरह थे और जैसे ही उन्होंने ये जाकर अपनी मां से कहा तो उनकी मां को लगा कि ये गायत्री का बचपना है। गायत्री देवी राजा साहब की तीसरी पत्नी थीं और कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) के महाराजा की बेटी ने 1930 के दशक में लव मैरिज कर सबको चौंका दिया था।
16 साल की उम्र में गायत्री को सवाई मान सिंह (जो पहले से ही शादीशुदा थे) ने प्रपोज किया था और गायत्री के 21 साल के होते ही दोनों ने सबके विरोध के बीच शादी कर ली थी। गायत्री देवी पर्दा सिस्टम से नफरत करती थीं और इसके लिए उन्होंने काफी कुछ किया। गायत्री देवी की लोकप्रियता इतनी थी कि उन्होंने चुनाव भी अपने दम पर जीता था और यहीं से शुरू हुई थी गायत्री देवी और इंदिरा गांधी की दूसरी रंजिश।
चुनाव जीतकर गायत्री देवी ने बना दिया था वर्ल्ड रिकॉर्ड-
जयपुर लोकसभा सीट से 1962 में गायत्री देवी ने चुनाव लड़ा था और ये कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध था। दरअसल, इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री उन्हें कांग्रेस से जुड़ने का न्योता दिया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया और स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ने के बारे में कहा। इस दौर में 2,46,516 में से 1,92,909 वोट गायत्री देवी को मिले थे और उस वक्त उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था क्योंकि उन्हें ऐसी मेजोरिटी में वोट मिले थे।
खुशवंत सिंह के हवाले से ये बात भी कही जाती है कि जब संसद में गायत्री देवी आती थीं तब इंदिरा गांधी को बिल्कुल पसंद नहीं आता था। इंदिरा गांधी से जुड़े लोग महारानी गायत्री देवी को 'शीशे की गुड़िया' भी कहा करते थे।
इमरजेंसी के दौरान गायत्री देवी को भेजा गया था जेल-
इंदिरा गांधी ने जब इमरजेंसी की घोषणा की थी तब मीसा एक्ट (Maintenance of Internal Security Act (MISA)) के तहत कई विरोधी नेताओं को जेल भेजा गया था। जिस समय ये हुआ उस समय गायत्री देवी मुंबई में अपना इलाज करवा रही थीं इसलिए वो पहली अरेस्ट से बच गई थीं, लेकिन जैसे ही वो दिल्ली पहुंची वैसे ही उनके यहां इनकम टैक्स का छापा पड़ा था।
उन्हें कन्जर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज एक्ट [COFEPOSA] के तहत जेल भेज दिया गया। इस पूरे प्रकरण पर फिल्म 'बादशाहो' भी बनाई गई है। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी के आदेश पर गायत्री देवी का जयपुर का महल भी खुदवा दिया गया था।
गायत्री देवी इस समय 56 साल की थीं और इसी दौर में भारतीय राजाओं के अधिकारों को छीनने का एक्ट सामने आया था। इस सबके तहत गायत्री देवी को 6 महीने के लिए जेल में रखा गया था। इस दौरान गायत्री देवी को माउथ अल्सर हुआ था और उनके इलाज तक के लिए इजाजत आने में 3 हफ्ते लग गए थे।
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जेल के दौरान गायत्री देवी ने किए कई अहम फैसले-
गायत्री देवी की किताब 'A Princess Remembers: Memoirs of the Maharani of Jaipur' में लिखा था कि उनके साथ कितना अमानवीय व्यवहार किया गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जेल में उन्होंने अपने 6 महीने बहुत अच्छे से बिताए और उसके बाद पेरोल पर आज़ाद हुईं। जेल में गायत्री देवी साथ के कैदियों और उनके बच्चों को पढ़ाया भी करती थीं।
गायत्री देवी ने जेल से छूटने के बाद अपने घर की ओर रुख किया और तब उन्हें पता चला कि उनके घर पर भी नजर रखी जा रही है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसके बाद गायत्री देवी ने कहा था, 'मैं इंदिरा से बात करना चाहती हूं।'
अंत तक बनी रही ये रंजिश-
गायत्री देवी ने इसके बाद राजनीति से अपना नाता तोड़ लिया और कहा था, 'जिस देश का लोकतंत्र तानाशाह के हाथ हो वहां सरकार नहीं बनाई जा सकी।' माना जाता है कि इसके बाद गायत्री देवी ने इंदिरा गांधी को सिर्फ एक बार फोन किया था जब 1980 में संजय गांधी की मौत हुई थी। उस समय इंदिरा गांधी ने गायत्री देवी से बात करने से इंकार कर दिया था।
माना जाता है कि राज परिवारों को मिलने वाले सरकारी भत्ते प्रिवी पर्स को खत्म करने की बात और उसके नियमों में संशोधन भी इंदिरा गांधी ने गायत्री देवी से रंजिश के चलते कराया था।
ये विवाद कभी खत्म नहीं हुआ और ये दोनों ताकतवर महिलाएं अब इस दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं पर उनके किस्से अभी भी चर्चित हैं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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