आज के डिजिटल दौर में, हमारा ज्यादातर समय लैपटॉप, कम्प्यूटर, टीवी और मोबाइल की स्क्रीन के सामने गुजरता है। हम काम करते समय 10-12 घंटे लैपटॉप के सामने बैठते हैं और साथ ही मोबाइल फोन भी चलाते रहते हैं। ज्यादा स्क्रीन टाइम हमारी आंखों पर बहुत बुरा असर डालता है, जिसकी वजह से हमारी आंखों में दर्द, जलन और पानी निकलने लगता है। इन सबकी वजह हम लैपटॉप-फोन स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट को मानते हैं और इससे बचने के लिए हम ब्लू कट चश्मा पहनते हैं, ताकि हमारी आंखें सेफ बनी रहें। लेकिन, कई बार मन में सवाल आता है कि क्या ब्लू कट चश्मे से बेहतर एंटी-ग्लेयर चश्मे होते हैं? ब्लू कट चश्मा लंबे समय तक पहनने से कोई नुकसान भी हो सकता है क्या?
ऐसे सवालों के जवाब के लिए हमने नोबल आई केयर, गुरुग्राम के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दिग्विजय सिंह से बातचीत की और उनसे पूछा कि क्या ब्लू कट लेंस पहनने से कोई नुकसान हो सकता है और हमें केवल एंटी-ग्लेयर लेंस पहनना चाहिए?
ब्लू लाइट का प्रभाव
डॉक्टर ने बताया कि ब्लू लाइट का आंख की रेटिना पर गहरा असर पड़ता है, खासतौर पर सबसे ज्यादा असर रेटिना के बीच वाले भाग मैक्युला पर होता है। शोध से पता चला है कि लंबे टाइम तक ब्लू लाइट में रहने से आपकी रेटिना खराब भी हो सकती है। साथ ही, ब्लू लाइट हमारी स्लीपिंग साइकिल को भी प्रभावित करती है। जब आप ब्लू कट चश्मा पहनते हैं, तो यह ब्लू लाइट को रेटिना तक पहुंचने से रोकता है, जिससे रेटिना पर असर थोड़ा कम पड़ता है। इसके अलावा, ब्लू कट चश्मा पहनने से नींद और एकाग्रता में सुधार होने लगता है।
हालांकि, इस पर कोई स्टडी नहीं हुई है लेकिन यह एक अवधारणा है। कोविड के दौरान, ब्लू कट चश्मा की बिक्री में काफी तेजी से उछाल आया था, क्योंकि लोगों का ज्यादा समय फोन, लैपटॉप और टीवी पर गुजर रहा था।
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एंटी-ग्लेयर और ब्लू कट लेंस में कौन बढ़िया?
एंटी-ग्लेयर चश्मा भी आंखों के लिए बढ़िया है, लेकिन आप ब्लू कट चश्मे को खराब नहीं बोल सकते हैं। एंटी-ग्लेयर चश्मा स्क्रीन की चमक को कम करने में मदद करता है। आजकल लैपटॉप, मोबाइल और कम्प्यूटर स्क्रीन में मैट फिनिश और एंटी-ग्लेयर कोटिंग आने लगी है। अगर आपके पास ऑप्शन है, तो आपको एंटी-ग्लेयर चश्मा ही चुनना चाहिए, क्योंकि यह रिफ्लेक्शन को कम करता है और क्लियरिटी में सुधार करता है। रात में ड्राइविंग करते समय, पढ़ते समय एंटी-ग्लेयर चश्मा सही है। ये ब्लू लाइट को रोकता नहीं है, लेकिन ब्राइटनेस को कम करके विजुअल कम्फर्ट प्रदान करता है। हालांकि, अगर आप ब्लू कट चश्मा लेना चाहते हैं, तो इसके इस्तेमाल में कोई बुराई नहीं है।
जब हमने उनसे सवाल किया कि क्या हमें केवल एंटी-ग्लेयर चुनना चाहिए या ब्लू कट ग्लास सही है? तो डॉक्टर ने सलाह दी कि अगर लैपटॉप, कम्प्यूटर और मोबाइल पर ज्यादा समय बिताते हैं, तो आपको ब्लू कट और एंटी-ग्लेयर लेंस का कॉम्बिनेशन वाला लेंस लगाना चाहिए। इसके अलावा, जो स्क्रीन पर ज्यादा समय नहीं बिताते हैं, लेकिन उन्हें क्लियरिटी बढ़ाने और ब्राइटनेस को कम करने के लिए लेंस की जरूरत है, तो उनके लिए एंटी-ग्लेयर लेंस सही रहेगा।
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ब्लू कट चश्मे के कुछ नुकसान
डॉक्टर ने आगे कहा कि ब्लू कट चश्मे के कुछ नुकसान भी हैं, जैसे- ये चश्में कलर्स की नैचुरल एपीयरेंस को बदल सकते हैं, जिससे वे थोड़े yellowish दिखाई दे सकते हैं। ब्लू कट चश्मे कम रोशनी या इनडोर में अच्छे से काम नहीं करते हैं, क्योंकि ओवरऑल लाइट ट्रांसमिशन को कम कर सकते हैं।
आगे डॉक्टर ने कहा कि कुछ मरीज आते हैं, तो उनकी शिकायत होती है कि ब्लू कट चश्मा ज्यादा इस्तेमाल करने से उनकी आंखें बहुत ड्राय होने लगती हैं और उन्हें थकान भी महसूस होती है। हालांकि,यह नॉर्मल लेंस की तुलना में महंगे होते हैं। कुल मिलाकर, ब्लू कट चश्मे का इस्तेमाल सुरक्षित है और इसको आप आराम से लगा सकते हैं।
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