आंखों की अहमियत क्या है ये आपको समझाने की जरूरत नहीं है। पर हमारी लाइफस्टाइल कुछ इस तरह से बदल गई है कि हम अपनी आंखों को स्ट्रेस देते रहते हैं। सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक हम स्क्रीन पर कुछ न कुछ देखते रहते हैं। इसी के साथ, हम हमेशा अपनी आंखों को धूल, मिट्टी, प्रदूषण और आई स्ट्रेन से बचा नहीं पाते हैं। इस कारण होता ये है कि नजर कमजोर होने के साथ-साथ आंखों पर स्ट्रेन भी बहुत पड़ जाता है।
कई बार हमें ऐसा लगता है कि आंखों ड्राई हो रही हैं, कई बार इनमें खुजली शुरू हो जाती है और कई बार तो ये लाल भी हो जाती हैं। अगर गौर किया जाए तो हम अपनी आंखों से ज्यादा महत्व अपनी स्किन, बालों और अन्य हेल्थ कंडीशन को दे देते हैं। पर आंखों को भी आपके थोड़े ध्यान की जरूरत है।
कई बार आंखों से जुड़ी बीमारियां और तकलीफें सिर्फ हमारी कुछ लापरवाही के कारण होती हैं। आंखों की सेहत का ध्यान रखने के लिए क्या करना चाहिए ये जानने के लिए हमने ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट डॉक्टर चारू त्यागी से बात की ( Dr.Charu Tyagi, Ophthalmologist)। डॉक्टर चारू PRACTO पर भी कंसल्ट करती हैं।
डॉक्टर चारू के मुताबिक आंखों की केयर बहुत छोटी-छोटी चीज़ों से भी हो जाती है और अगर आपने इनपर थोड़ा सा ध्यान दिया तो बहुत सारी बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने 6 ऐसी टिप्स बताई हैं जो आपकी मदद कर सकती हैं।
1. सनग्लासेस न भूलें
वैसे तो ये हर मौसम में मददगार साबित हो सकते हैं, लेकिन गर्मियों में तो आपको और ज्यादा ख्याल रखना चाहिए। अल्ट्रावायलेट किरणें आंखों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती हैं और इसलिए आंखों को और भी ज्यादा समस्या होती है। सनग्लासेस रेटिनल डैमेज को रोक सकते हैं और ये आपकी आंखों के ऊपर की स्किन को भी रोक सकते हैं। धूप से आईलिड्स की स्किन पर रिंकल्स भी पड़ते हैं और आंखों पर स्ट्रेन भी होता है। आंखों के आस-पास स्किन कैंसर होने का कारण भी धूप बन सकती है।
सनग्लासेस आपको आंखों की कई तकलीफों से बचा सकते हैं, लेकिन उन्हें खरीदते समय ध्यान रखें कि इनमें 100% यूवी प्रोटेक्शन होना चाहिए जो UV-A और UV-B रेज को रोक सके।
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2. आंखों के लिए सही डाइट लें
रेटिनल फंक्शन को खराब करने के लिए शरीर में विटामिन की कमी ही काफी है। अगर आपकी आंखों में तकलीफ हो रही है तो कई तरह की सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि गाजर आंखों की सेहत के लिए अच्छी होती है और ये सही भी है, लेकिन ऐसा ही हम सभी पौष्टिक सब्जियों के लिए कह सकते हैं। खासतौर पर हरी पत्तेदार सब्जियां रेटिनल फंक्शन बेहतर करने में मदद करती हैं।
रिसर्च में सामने आया है कि अगर डाइट में विटामिन-सी, विटामिन-ई, जिंक, ल्यूटेन (एक कैरोटीनॉयड जो आंखों के लाइट फिल्टर फंक्शन को ठीक कर सकता है), जेएक्सान्थिन, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स आदि भरपूर मात्रा में होता है तो उम्र के कारण कम होने वाली आंखों की रौशनी को ज्यादा दिनों तो बेहतर रखा जा सकता है। सही डाइट उम्र का असर आंखों पर कम करती है।
3. स्मोकिंग से दूर रहें
यकीन मानिए स्मोकिंग एक ऐसी समस्या है जो शरीर के कई फंक्शन्स को खराब कर सकती है और इसमें से एक स्मोकिंग भी है। उम्र के कारण आंखों की रौशनी कम होना (age-related macular degeneration (ARMD)) स्मोकिंग के कारण और तेज हो जाता है। स्मोकर्स ज्यादा जल्दी आंखों की रौशनी कम होने की समस्या का शिकार हो जाते हैं और साथ ही साथ तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों को मोतियाबिंद की समस्या भी जल्दी होती है।
4. बेसलाइन आई एग्जामिनेशन
ये बहुत अच्छी बात है कि आपकी आंखों में कोई समस्या नहीं है और आपकी आंखों की रौशनी भी ठीक है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप आंखों का एग्जामिनेशन ही न करवाएं। 40 की उम्र आते-आते बेसलाइन आई एग्जामिनेशन करवा ही लेना चाहिए। हालांकि, अब 30 के बाद भी इसे करवाने की सलाह दी जाती है। ये वो उम्र होती है जब आपकी आंखों की समस्या बढ़ती है और आंखों की बीमारी होने की गुंजाइश रहती है।
शुरुआती स्क्रीनिंग के साथ ही आपका आई स्पेशलिस्ट आपको सही सलाह दे पाएगा। कई बार आंखों की बीमारी शुरुआती स्टेज पर ही पता चल जाती है जिससे आपको समझ आ जाता है कि आगे का ट्रीटमेंट किस तरह से करना है।
5. अपनी फैमिली हिस्ट्री के हिसाब से ही काम करें
आंखों से जुड़ी कोई बड़ी बीमारी होना किसी तरह की फैमिली हिस्ट्री के कारण भी हो सकता है। अगर retinitis pigmentosa (रेटिना सेल्स का टूटना), high myopia (पास की नजर कमजोर होना), उम्र से जुड़ी आंखों की बीमारी, मोतियाबिंद, डायबिटीज के कारण आंखों की दिक्कत, ग्लाउकोमा (ऑप्टिक नर्व का डैमेज होना) या ऐसी कोई भी समस्या पहले किसी फैमिली मेंबर को रही है तो बेहतर होगा कि आप अपनी आंखों को लगातार डॉक्टर से चेक करवाते रहें और उनकी सलाह का पालन करें।
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6. आंखों को ज्यादा स्ट्रेन न करें
अगर आपका काम ऐसा है कि आपको स्क्रीन टाइम ज्यादा देना होता है तो 20-20-20 रूल चुनें। अपनी स्क्रीन से हर 20 मिनट में आंखों को हटाकर किसी अन्य ऑब्जेक्ट को 20 सेकंड तक देखें। ये ऑब्जेक्ट आपसे 20 फिट की दूरी पर होना चाहिए। अगर आंखों की थकान फिर भी बनी रहती है तो हो सकता है कि आपको आंखों से जुड़ी कोई और बीमारी हो रही हो जैसे आंखों का ड्राई होना, आंखों का फोकस जाना, लेंस या चश्में में दिक्कत होना।
बेहतर होगा कि 30 के बाद कम से कम साल में 1 बार आप अपनी आंखों का चेकअप करवा लें। और शरीर को रेस्ट देने के साथ-साथ आंखों को रेस्ट देना भी बहुत जरूरी होता है और इसलिए आपको स्क्रीन टाइम को कम करने की भी जरूरत होगी।
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Image Credit: Freepik/ Shutterstock
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