इस बीमारी के कारण बचपन में ही नेत्रहीन हो सकता है आपका बच्चा, ऐसे करें बचाव

अगर किसी कारणवश बच्चे का जन्म 9 महीने से पहले हो जाता है, तो रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी नाम की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2023-11-16, 11:42 IST
premature retinopathy symptoms

प्रीमेच्योर बच्चों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती है। इन्हीं में से एक है रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी। ये एक गंभीर बीमारी है जिसमे में छोटे बच्चों के आंखों की रोशनी चली जाती है। साफ शब्दों में कहें तो ये बीमारी बचपन में अंधापन का प्रमुख कारण होता है। इस वक्त भारत रेटिनोपैथी का प्रीमेच्योरिटी की महामारी से गुजर रहा है,

क्योंकि भारत में समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। आइए इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं। इस बारे में जानकारी दे रही हैं Dr. Shalini Singh, M.S.,FCPS, F.M.R.F, (Senior Consultant - Vitreo Retina) Dr. Shroff's Charity Eye Hospital

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी क्या है? (Premature Retinopathy)

What are the complications of premature retinopathy

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी नाम की बीमारी प्रीमेच्योर बेबी में देखने को मिलती है। यह आंख से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें आंख के परदे की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती है। एक्सपर्ट के मुताबिक जब बच्चा पेट में पल रहा होता है, उस वक्त 20 से 40 में हफ्ते में उसकी आंखों का रेटिना बन रहा होता है। अगर किसी कारणवश बच्चे का जन्म 9 महीने से पहले हो जाता है, तो इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक 34 सप्ताह से पहले और दो किलो से कम वजन वाले बच्चों में यह खतरा बना रहता है। बच्चे का जन्म तय समय से पहले हो जाने से रेटिना विकसित नहीं हो पता है। वहीं जन्म के 30 दिन के अंदर अगर इस बीमारी का पता लगा लिया जाए तो आरोपी को रोका जा सकता है।

यह भी पढ़ें-आंखों की देखभाल के 6 आसान तरीके जो बचा सकते हैं किसी भी बीमारी से

क्यों बढ़ रहा है रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी का खतरा

आरओपी के जोखिम कारकों और लक्षणों के बारे में माता-पिता,डॉक्टर और लोगों के बीच जागरूकता की कमी होती है इस वजह से बच्चे को बचपन में ही अंधेपन का शिकार होना पड़ता है। इसके अलावा इस बीमारी को समझने के लिए जांच स्क्रीनिंग होना जरूरी है। लेकिन गांव या रूरल एरिया में इन चीज़ों की सुविधा ही नहीं होती है ऐसे में बच्चों को ताउम्र अंधेपन के साथ जीना पड़ता है। (आंखों की सूजन से ऐसे पाएं छुटकारा)

ऐसे करें बचाव

factors affecting retinopathy of prematurity

  • प्रीमेच्योर बच्चों के जन्म के बाद रोप टेस्ट कराना चाहिए।
  • जन्म के 30 दिन के अंदर जांच कराना सही होता है।
  • प्रीमेच्योर शिशु की आंखों को ठीक रखने के लिए हर कुछ दिन पर जांच करवाते रहें।

यह भी पढ़ें-आंखों को हेल्दी रखने के लिए अपनाएं ये 3 उपाय

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit- Freepik

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP