एस्ट्रोजन बेहद जरूरी हार्मोन है, जो महिलाओं के शरीर के कई जरूरी कार्यों को कंट्रोल करता है। यह न सिर्फ पीरियड्स और रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ा होता है, बल्कि हड्डियों की मजबूती, दिल की सेहत, दिमागी संतुलन और त्वचा और बालों की हेल्थ पर भी गहरा असर डालता है। यही कारण है कि इसे महिलाओं के लिए 'लाइफ हार्मोन' भी कहते हैं।
जब शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल नॉर्मल से कम हो जाता है, तब महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह कंडीशन अक्सर मेनोपॉज, हार्मोनल असंतुलन, स्ट्रेस या अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के कारण हो सकती है। आइए जानें कि महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की कमी से क्या होता है? इसके बारे में हमें आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर चंचल बता रही हैं।
एस्ट्रोजन की कमी का सबसे सीधा असर महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर पड़ता है। इस हार्मोन का लेवल कम होने पर पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं या फिर बिल्कुल बंद हो सकते हैं।
पीरियड्स का नियमित होना ओव्यूलेशन के लिए जरूरी है। अगर ओव्यूलेशन ठीक से न हो, तो गर्भधारण करने में समस्या आ सकती है, जिससे इनफर्टिलिटी भी हो सकती है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन की कमी से वजाइना में ड्राईनेस बढ़ जाती है, जिससे फिजिकल रिलेशन के दौरान दर्द महसूस हो सकता है।
एस्ट्रोजन से हड्डियों में मजबूती बनी रहती है। जब इसका लेवल गिरता है, तब हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। यह समस्या अक्सर 40 की उम्र के बाद शुरू होती है। हड्डियों की कमजोरी से ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी हो सकती है, जिसमें हड्डियां बहुत ही नाज़ुक हो जाती हैं और टूटने का खतरा बढ़ जाता है।
जब महिला के शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है, तब इसका असर आपके बालों और त्वचा पर भी दिखाई देता है।
बाल पतले होने लगते हैं और त्वचा भी रूखी और कम लचीली होने लगती है, जिससे समय से पहले एजिंग के लक्षण जैसे झुर्रियां नजर आने लगती हैं।
दिल को हेल्दी रखने के लिए भी एस्ट्रोजन का लेवल सही होना बेहद जरूरी है। जब एस्ट्रोजन का लेवल कम होता है, तब शरीर में 'बैड' कोलेस्ट्रॉल (LDL) का लेवल बढ़ सकता है। 'बैड' कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ लेवल दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ा देता है।
हॉट फ्लैश, जिसमें अचानक गर्मी और पसीना आता है, आमतौर पर ये समस्याएं मेनोपॉज के दौरान होती हैं, लेकिन एस्ट्रोजन की कमी से यह समस्या 40 की उम्र से पहले भी हो सकती है।
इसके अलावा, एस्ट्रोजन का लेवल कम होने पर मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन के लक्षण भी महसूस हो सकते हैं।
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डॉक्टर चंचल का कहना है कि महिलाओं के लिए एस्ट्रोजन का बैलेंस बनाए रखना बेहद जरूरी है। बैलेंस डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और पर्याप्त नींद की मदद से इसके लेवल को बेहतर किया जा सकता है।
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