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what happens if women have low estrogen levels

इस 1 हार्मोन की कमी से महिलाओं के शरीर में क्‍या होता है? एक्‍सपर्ट से जानें

एस्ट्रोजन महिलाओं के लिए लाइफ हार्मोन है। इसकी कमी से पीरियड्स, मेनोपॉज, हड्डियों की कमजोरी, दिल की सेहत, मूड स्विंग्स और त्वचा-बालों पर असर पड़ता है। आइए एक्सपर्ट से एस्ट्रोजन की कमी के लक्षण और समाधान के बारे में जानें। 
Editorial
Updated:- 2025-09-22, 14:27 IST

एस्ट्रोजन बेहद जरूरी हार्मोन है, जो महिलाओं के शरीर के कई जरूरी कार्यों को कंट्रोल करता है। यह न सिर्फ पीरियड्स और रिप्रोडक्टिव सिस्‍टम से जुड़ा होता है, बल्कि हड्डियों की मजबूती, दिल की सेहत, दिमागी संतुलन और त्‍वचा और बालों की हेल्थ पर भी गहरा असर डालता है। यही कारण है कि इसे महिलाओं के लिए 'लाइफ हार्मोन' भी कहते हैं।

जब शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल नॉर्मल से कम हो जाता है, तब महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह कंडीशन अक्सर मेनोपॉज, हार्मोनल असंतुलन, स्ट्रेस या अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी समस्‍याओं के कारण हो सकती है। आइए जानें कि महिलाओं के शरीर में एस्‍ट्रोजन की कमी से क्‍या होता है? इसके बारे में हमें आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्‍टर चंचल बता रही हैं।

रिप्रोडक्टिव सिस्‍टम से जुड़ी समस्‍याएं

एस्ट्रोजन की कमी का सबसे सीधा असर महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्‍थ पर पड़ता है। इस हार्मोन का लेवल कम होने पर पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं या फिर बिल्कुल बंद हो सकते हैं।

Reproductive health problem

पीरियड्स का नियमित होना ओव्यूलेशन के लिए जरूरी है। अगर ओव्यूलेशन ठीक से न हो, तो गर्भधारण करने में समस्‍या आ सकती है, जिससे इनफर्टिलिटी भी हो सकती है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन की कमी से वजाइना में ड्राईनेस बढ़ जाती है, जिससे फिजिकल रिलेशन के दौरान दर्द महसूस हो सकता है।

हड्डियाों का कमजोर होना

एस्ट्रोजन से हड्डियों में मजबूती बनी रहती है। जब इसका लेवल गिरता है, तब हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। यह समस्या अक्सर 40 की उम्र के बाद शुरू होती है। हड्डियों की कमजोरी से ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी हो सकती है, जिसमें हड्डियां बहुत ही नाज़ुक हो जाती हैं और टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

बाल और त्वचा से जुड़ी समस्याएं

जब महिला के शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है, तब इसका असर आपके बालों और त्‍वचा पर भी दिखाई देता है।

Hair and skin problems

बाल पतले होने लगते हैं और त्‍वचा भी रूखी और कम लचीली होने लगती है, जिससे समय से पहले एजिंग के लक्षण जैसे झुर्रियां नजर आने लगती हैं।

हार्ट हेल्‍थ को खतरा

दिल को हेल्‍दी रखने के लिए भी एस्ट्रोजन का लेवल सही होना बेहद जरूरी है। जब एस्ट्रोजन का लेवल कम होता है, तब शरीर में 'बैड' कोलेस्ट्रॉल (LDL) का लेवल बढ़ सकता है। 'बैड' कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ लेवल दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ा देता है।

हॉट फ्लैश और मूड स्विंग्स

हॉट फ्लैश, जिसमें अचानक गर्मी और पसीना आता है, आमतौर पर ये समस्‍याएं मेनोपॉज के दौरान होती हैं, लेकिन एस्ट्रोजन की कमी से यह समस्या 40 की उम्र से पहले भी हो सकती है।

Hot flashes

इसके अलावा, एस्ट्रोजन का लेवल कम होने पर मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन के लक्षण भी महसूस हो सकते हैं।

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एस्ट्रोजन लेवल बढ़ाने के नेचुरल तरीके

डॉक्टर चंचल का कहना है कि महिलाओं के लिए एस्ट्रोजन का बैलेंस बनाए रखना बेहद जरूरी है। बैलेंस डाइट, रेगुलर एक्‍सरसाइज और पर्याप्त नींद की मदद से इसके लेवल को बेहतर किया जा सकता है।

  • कुछ प्‍लांट में नेचुरल कंपाउंड होते हैं, जो एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं। इन कंपाउंड्स को फाइटोएस्ट्रोजन कहा जाता है। आप अपने खाने में सोयाबीन, अलसी, तिल, सूखे मेवे और कुछ फलियां जैसे छोले को शामिल कर सकती हैं।
  • बहुत ज्‍यादा या बहुत कम वजन का असर एस्‍ट्रोजन के लेवल पर पड़ता है। रेगुलर एक्‍सरसाइज करने से वजन कंट्रोल रहता है और हार्मोन का बैलेंस बना रहता है।
  • शरीर में कुछ विटामिन और मिनरल की कमी, जैसे कि विटामिन -बी और डी, हार्मोन पर असर डालते हैं। सही मात्रा में इन पोषक तत्वों को लेने से हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • ज्‍यादा तनाव शरीर में कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन को बढ़ाता है और इसका असर एस्ट्रोजन के लेवल पर पड़ता है। योग, मेडिटेशन या अन्य रिलैक्सेशन तकनीकों से तनाव कम होता है।

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Image Credit: Shutterstock 

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