बिहार की शान, शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं। उन्होंने ऐसे वक्त में इस दुनिया को अलविदा कहा है जब छठ का त्यौहार है। वैसे तो उन्होंने कई गीत गए हैं लेकिन वह छठ पर्व के गीत को आवाज देने के लिए वह दुनिया भर में मशहूर रही हैं, और अब जब छठ का पर्व है तो उनकी आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई है।
बता दें की शारदा सिन्हा 72 साल की थीं और पिछले कुछ सालों से बीमार चल रही थी। कल रात वह जिंदगी की जंग हार गईं। साल 2018 में शारदा सिन्हा को मल्टीपल मायलोमा नाम की बीमारी हुई थी। आइए जानते हैं क्या होती है यह बीमारी? इसके लक्षण क्या होते हैं? इसको लेकर हमने हेल्थ एक्सपर्ट से बात की। इस बारे में Dr. Shrey Kumar Srivastav, senior consultant Sharda Hospital जानकारी दे रहे हैं।
मल्टीपल मायलोमा कौन सी बीमारी है?
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हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि मल्टीपल मायलोमा एक तरह का रक्त कैंसर है जो प्लाज्मा कोशिकाओं से शुरू होता है। प्लाज्मा कोशिकाएं सफेद रक्त कोशिकाएं (WBC) होती हैं, जो शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनती हैं। मल्टीपल मायलोमा में यह कोशिकाएं बोन मैरो यानी की हड्डी के अंदर स्थित मांसपेशियों के टिशु में बहुत तेजी से बढ़ने लगती है। इससे हड्डियों में ट्यूमर बन सकते हैं और रक्त में हानिकारक प्रोटीन छोड़ने लगते हैं। जब प्लाज्मा कोशिकाएं ज्यादा बढ़ती है तो यह हेल्दी रक्त कोशिकाओं को दबा देती हैं जिससे शरीर का काम सही तरीके से नहीं हो पता है। बहुत ज्यादा प्रोटीन और बोन मैरो में होने वाले बदलाव के कारण बाकी शरीर के अंग जैसे गुर्दे को भी नुकसान हो सकता है।
मल्टीपल मायलोमा के कारण?
एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बीमारी का अब तक सही कारण पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है, लेकिन यह जीन में बदलाव, कुछ केमिकल से संपर्क और कमजोर इम्यून सिस्टम से जुड़ी हो सकती है। इसके जोखिम कारकों की बात करें तो यह अधिकतर 60 साल के बाद वाले लोगों को होता है। यह पुरुषों में ज्यादा होता है और इसके लिए फैमिली हिस्ट्री भी जिम्मेदार होती हैं।
मल्टीपल मायलोमा के लक्षण?
- गुर्दे की समस्याएं जैसे गुर्दे का फेल होना क्योंकि रक्त में असामान्य प्रोटीन का जमाव हो जाता है।
- अचानक से वजन में कमी होना।
- उच्च कैल्शियम स्तर के कारण उल्टी, कब्ज और भ्रम होना।
- बार-बार संक्रमण होना क्योंकि इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है।
- थकावट जो एनीमिया के कारण होती है।
- हड्डियों में दर्द खासकर रीढ़ पसलियों में।
क्या है इसका इलाज
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एक्सपर्ट बताते हैं कि मल्टीपल मायलोमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इलाज के माध्यम से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है जो की जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। यह बीमारी आमतौर पर फिर से लौट सकती है। इसलिए नियमित निगरानी देखभाल जरूरी होती है, फिलहाल नए उपचारों पर शोध जारी है।
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Image Credit- freepik
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