कई बार हम काम करते हुए अपने काम में मन लगाने के लिए कोई ऐसी एक्टिविटी करते हैं जिससे हमारा ध्यान उस काम में केंद्रित रहे। कुछ लोग काम में मन लगाने के लिए लगातार अपने पैर हिलाते हैं। बैठे -बैठे पैरों को हिलाना या फिर सोते समय ऐसा करना वैसे तो एक आम दशा भी हो सकती है। लेकिन कई बार ये किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
कई बार आप अपने डेस्क पर काम कर रहे हैं, शायद अपने दिन भर में कई कॉल्स भी निपटाए होंगे लेकिन आपने पिछले एक घंटे से अपना पैर हिलाना बंद नहीं किया है। हो सकता है कि आप इस बात पर ध्यान न दे पाएं लेकिन आपकी सेहत से जुड़ी किसी समस्या का कारण भी हो सकता है। हमने कई लोगों को ऐसी गतिविधि करते हुए देखा और इस बात का पता लगाने के लिए हमने Samarth Suryavanshi, Physiotherapis से बात की। उन्होंने हमें इस बारे में कुछ जानकारी दी जो आपको भी जाननी चाहिए।
बैठे -बैठे पैर हिलाना चिंता का संकेत
वैसे तो इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन इसका एक मुख्य कारण रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम हो सकता है जो लगभग 10 प्रतिशत लोगों को हो सकता है। दरअसल यह एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो नर्वस सिस्टम से जुड़ी होती है। ये वैसे तो महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही होता है लेकिन इस सिंड्रोम से प्रभावित लोगों में महिलाएं ज्यादा हैं।
क्या है रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को बैठने और सोने में अचानक से दर्द होने लगता है और जब हम पैरों को मूव करते हैं तो इस दर्द में कमी होने लगती है। जब यह दर्द की स्थिति बार-बार होती है तो इसे रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम कहा जाता है। यह समस्या आयरन की कमी के कारण भी हो सकती है। कई बार गर्भवती स्त्रियों में डिलीवरी से कुछ दिन पहले हार्मोनल बदलाव से भी यह समस्या बढ़ने लगती है। लेकिन डिलीवरी के कुछ दिन बाद ही यह समस्या कम होकर ठीक होने लगती है।
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जेनेटिक भी हो सकते हैं इसके कारण
वैसे तो इस सिंड्रोम का सही कारण बता पाना मुश्किल है लेकिन कई बार ये जेनेटिक भी हो सकता है। कई बार घर में माता या पिता को ये समस्या होती है जो बच्चों में होने की संभावना होने लगती है।
कैसे हो सकता है इलाज
इस सिंड्रोम को ठीक करने के लिए ऑर्थोपैडिक्स या फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट (फिजियोथेरेपिस्ट के बताए टिप्स)लिया जा सकता है। ऑर्थोपैडिक्स ट्रीटमेन्ट में कुछ दवाइयां दी जाती हैं जिसमें डोपामिन हार्मोन को बढ़ाया जा सकता है जिससे इस सिंड्रोम को कम करने में मदद मिलती है। इसमें कैल्शियम के सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं और आयरन की दवाएं दी जाती हैं जिससे इसे कण्ट्रोल किया जा सके। फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट में थेरेपी के दौरान ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाया जा सकता है। जब सर्कुलेशन लेग्स में बना रहा है तो दर्द कम करने में मदद मिलती है। मसल्स की स्टेचिंग करके भी इस सिंड्रोम को ठीक किया जा सकता है।
इस प्रकार यदि आपको भी बार-बार पैर हिलाने की आदत है तो ये आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं क्योंकि ये बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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