मछली खाना हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है, यह बात तो आप सभी जानती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि खाने में सिर्फ टेस्ट या प्रोटीन देने के अलावा यह आपको बहुत कुछ देती है। जी हां मछली से आप अपने नर्वस सिस्टम को लंबे समय तक हेल्दी् रख सकती हैं। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि एक नई रिसर्च से इसका बात का खुलासा हुआ है। चल्मर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा की गई एक रिसर्च ने मछली खाने और भविष्य में बेहतर नर्वस हेल्थ के बीच के लिंक की खोज की है।
Parvalbumin,एक प्रकार का प्रोटीन है जो अलग-अलग तरह की मछलियों में बड़ी मात्रा में पाया जाता है, पार्किंसंस रोग से निकटता से जुड़े कुछ प्रोटीन संरचनाओं के गठन को रोकने में हेल्प करते है। मछली को लंबे समय से एक हेल्दी फूड माना जाता है, जो लंबे समय तक संज्ञानात्मक हेल्थ से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसके कारण स्पष्ट नहीं है। आमतौर पर मछली में पाए जाने वाले ओमेगा -3 और -6, फैटी एसिड के कारण ही इसे जिम्मेदार माना जाता है।
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हालांकि, इस विषय के बारे में वैज्ञानिक अनुसंधान ने मिश्रित निष्कर्ष निकाले हैं। अब, चल्मर्स की नई रिसर्च से पता चला है कि प्रोटीन Parvalbumin,जो कई प्रकार की मछलियों में बहुत आम है, इस प्रभाव में योगदान दे सकता है।
पार्किंसंस रोग की पहचानों में से एक अल्फा-सिंक्यूक्लिन नामक विशेष मानव प्रोटीन का एमिलॉयड गठन है। अल्फा-सिंक्यूक्लिन को कभी-कभी 'पार्किंसंस प्रोटीन' के रूप में भी जाना जाता है। चल्मर शोधकर्ताओं ने अब खोजा है कि parvalbumin एमाइलॉइड संरचनाएं बना सकता है जो अल्फा-सिंक्यूक्लिन प्रोटीन के साथ मिलकर बनते हैं। Parvalbumin अपने स्वयं के उद्देश्यों के लिए उनका उपयोग कर प्रभावी रूप से अल्फा- सिंक्यूक्लिन प्रोटीन को साफ करता है', इस प्रकार उन्हें बाद में अपने संभावित हानिकारक स्टारर्च बनाने से रोकता है।
अध्ययन पर मुख्य लेखक पर्निला स्टफशेडे ने बताया, " Parvalbumin 'पार्किंसंस प्रोटीन' एकत्र करता है और वास्तव में इसे पहले से जोड़कर इसे एकत्रित करने से रोकता है।
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कुछ मछलियों में parvalbumin प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है, इसलिए अगर हम अपनी डाइट में मछली अधिक मात्रा में लेते हैं तो यह पार्किंसंस रोग से लड़ने का एक आसान तरीका हो सकता है। सॉकी सैल्मन और रेड स्नैपर समेत हेरिंग, कॉड, कार्प और रेडफिश, विशेष रूप से parvalbumin का हाई लेवल होता हैं, लेकिन यह कई अन्य मछलियों में भी आम है।
शोधकर्ता नाथली Scheers का कहना है कि "गर्मी के अंत में मछली आमतौर पर बहुत पौष्टिक होती है, ऐसा मेटाबॉलिक एक्टिविटी के बढ़ने के कारण होता है। बहुत अधिक सूर्य में रहने के बाद मछली में parvalbumin का लेवल बहुत अधिक होता हैं, इसलिए शरद ऋतु के दौरान यह खपत में बढ़ोतरी हो सकती है,"।
स्टफशेडे ने भविष्य में इन नर्वस संबंधी समस्याओं से निपटने के तरीकों को खोजने के महत्व पर बल दिया। "ये बीमारियां उम्र के साथ आती हैं, और लोगों में लंबे समय तक रहती हैं। भविष्य में इन बीमारियों का विस्फोट होने जा रहा है - और डरावनी बात यह है कि वर्तमान में हमारे पास कोई इलाज नहीं है। इसलिए हमें जो भी असरकार दिखता है उस पर हमें पालन करने की ज़रूरत है।"
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