आकर्षण का सिद्धांत यानी लॉ ऑफ अट्रैक्शन (Law of Attraction) को लेकर आजकल काफी बातें हो रही है। देखा जाए तो सोशल मीडिया के इस दौर में इसके बारे में हजारों तरह के तथ्य इंटरनेट पर मौजूद हैं। कुछ लोग जहां इसे जीवन बदलने के सिद्धांत बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग इसे चमत्कारी मंत्र बता रहे हैं। ऐसे में हमने सेहत के संबंध में इसकी उपयोगिता जानने की कोशिश की।
बता दें कि इसके लिए हमने मेंटल हेल्थ थेरेपिस्ट श्यामली श्रीवास्तव से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं। मेंटल हेल्थ थेरेपिस्ट श्यामली श्रीवास्तव कहती हैं कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए आकर्षण के सिद्धांत यानी ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ का प्रयोग काफी समय से किया जाता रहा है। यहां तक सेहत संबंधी समस्याओं से राहत पाने में भी इसका प्रयोग काफी हद तक होता रहा है।
हालांकि लोगों को पहले ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ की अवधारणा के बारे में सही जानकारी नहीं थी, इस वजह से सेहत के लिए ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन' की उपयोगित भी लोगों के समझ में नहीं आ पाई। पर अब जबकि इस दिशा में बहुत सारे शोध और उनके सकारात्मक परिणाम सामने आ चुके हैं तो इसकी महत्ता पर भी चर्चा शुरू हो गई। तो चलिए इस बारे में जरा विस्तार से जानते हैं कि ‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ किस तरह से सेहत से जुड़ी समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है।

सकारात्मक सोच बनती है समस्याओं से निजात में सहायक
‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ में सकारात्मक सोच की शक्ति की प्रयोग किया जाता है, यही सकारात्मक सोच दर्द और बीमारियों से राहत पाने में निजात पाने में मददगार बनती है। असल में सकारात्मक सोच तनाव को नियंत्रित करने में सीधे तौर पर सहायक साबित होती है। वहीं तनाव के नियंत्रित होने से ब्लड प्रेशर, दिल की धड़कन और रक्त संचार संयमित होता है, जो कि बीमारियों के प्रभाव को कम करने में सहायक साबित होता है।
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संकल्प की शक्ति से मिलती है दर्द से राहत
‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ में संकल्प की शक्ति का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए मरीज को समस्या से बाहर निकलने के लिए संकल्प (Affirmation) कराए जाते हैं कि वह बहुत जल्द ही तकलीफ देह स्थिति से बाहर निकलने वाला है। यह इच्छा शक्ति इसे दर्द से निजात दिलाने में मददगार साबित होती है।
इसे साइंस के नजरिए से समझे तो असल में जब आप संकल्प और इच्छा शक्ति के साथ बेहतर होने की कल्पना करते हैं तो इससे आपके शरीर में सकारात्मक बदलाव होने शुरू हो जाते है। इसके चलते शरीर में डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन जैसे हैप्पी हार्मोन का संचार बढ़ता है, जो कि दर्द को कम करने में सहायक साबित होते हैं।
हाई वाइब्रेशन एनर्जी करती है दवा का काम
‘लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ के सिद्धांत में हाई वाइब्रेशन एनर्जी का अपना महत्व है। इसके जरिए व्यक्ति में शारीरिक से लेकर मानसिक और व्यवहारिक बदलाव लाए जा सकते हैं। इसकी यही उपयोगिता शारीरिक समस्याओं से बाहर लाने में सहायक साबित होती है। दरअसल, जब आप हाई वाइब्रेशन एनर्जी में रहते हैं तो आपके शरीर के सभी अंग बेहतर ढंग से काम करना शुरू कर देते हैं। यह बीमारियों से बाहर निकलने में उत्प्रेरक या कह लें की दवा की तरह असर करता है।
आपकी एनर्जी आपको दर्द और बीमारी से बाहर निकलने में सहायक साबित होती है। यही वजह है कि डॉक्टर भी मरीज को अपनी एनर्जी हाई रखने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि इसका सकारात्मक असर शारीरिक स्थिति में बदलाव के रूप में देखने को मिल सके।
कुल मिलाकर समझा जाए तो आकर्षण का सिद्धांत यानी लॉ ऑफ अट्रैक्शन (Law of Attraction) व्यक्ति को भावनात्मक और व्यवाहिरक रूप से शारीरिक समस्याओं से बाहर निकलने में मददगार साबित होता है। इसलिए आप भी इसका प्रयोग कर लाभ ले सकते हैं, लेकिन बेहतर होगा कि इसे उपयोग में लाने से पहले किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की राय जरूर लें। दरअसल, विशेषज्ञ की देख-रेख और सलाह इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाने में मददगार हो सकती है।
उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।
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