herzindagi
shilpa shetty kundra health main

शिल्पा शेट्टी के APLA डिजीज के कारण हुए मिसकैरेज, इस बीमारी के बारे में एक्‍सपर्ट से जानें

बॉलीवुड की एक्‍ट्रेस शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने दूसरे बच्‍चे के लिए APLA डिजीज के कारण सरोगेसी का विकल्प चुना। आइए इस बीमारी के बारे में डॉक्‍टर से विस्‍तार में जानें।  
Editorial
Updated:- 2020-05-27, 14:26 IST

बॉलीवुड की एक्‍ट्रेस शिल्पा शेट्टी कुंद्रा और उनके पति राज कुंद्रा ने इस साल की शुरुआत में नन्‍ही परी का स्‍वागत किया। उन्‍होंने अपनी बच्‍ची के जन्‍म के लिए सरोगेसी को चुना। हाल ही में एक बड़े मीडिया हाउस से इंटरव्‍यू में, एक्‍ट्रेस ने बताया कि उन्‍होंंने बेटी के जन्‍म के लिए सरोगेसी को क्‍यों चुना। शिल्‍पा ने बताया, ''जब अपने बेटे के जन्‍म के लंबे समय बाद वह बच्‍चा चाहती थी, तो उन्‍हें मिसकैरेज का सामना करना पड़ा, ऐसा एपीएलए नामक ऑटो-इम्यून डिजीज (एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम) के कारण हुआ। इसके कारण कपल ने सरोगेसी का विकल्प चुनने का फैसला किया। 

शिल्‍पा ने आगे बताया "वियान के बाद, मैं लंबे समय से एक और बच्चा चाह रही थी। लेकिन मैं एपीएलए नामक एक ऑटो इम्यून बीमारी से ग्रस्‍त थी, जब भी मैं प्रेग्‍नेंट होती, तो यह बीमारी अपना खेल दिखा देती। इसके कारण मेरा कई बार मिसकैरेज हुआ। यह एक वास्तविक मुद्दा था। आगे उन्होंने कहा, "मैं नहीं चाहती थी कि वियान अकेला बड़ा हो, मैं भी दो में से एक हूं और मुझे इस बात की जानकारी है कि भाई-बहन का होना कितना जरूरी होता है। इसके लिए मैंने कई उपाय किए, लेकिन कोई भी उपाय काम नहीं आया। उस समय जब मैं एक बच्चे को गोद लेना चाहती थी, मैंने अपना नाम वगैरह सब कुछ दे दिया है। लेकिन उस समय ईसाई मिशनरी का कारा के साथ कोई झगड़ा हो गया था, जिस वजह से वह रास्ता भी बंद हो गया। मैंने 4 सालों तक इंतजार किया, हालांकि, जब मैं बहुत परेशान हो गई, इस वजह से हमने सरोगेसी का रास्‍ता चुनने का फैसला किया।" फरवरी 2020 में एक्‍ट्रेस दूसरी बार बेबी गर्ल समीशा की मां बनी और उन्होंने यह न्‍यूज अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्‍यम से अपने फैंस के साथ शेयर की।

इसे जरूर पढ़ें: शिल्पा शेट्टी ने नन्ही परी समीशा के घर आने का जश्न गर्ल गैंग के साथ मनाया

आप में से जो लोग इस ऑटो-इम्यून बीमारी के बारे में सोच रहे हैं कि यह क्‍या होती है? और प्रेग्‍नेंसी में यह कैसे प्रॉब्‍लम का कारण बनती है? तो इस बारे में हर जिंदगी ने Dr Mayur Dass, Consultant Gynaecologist and Obstetrician, Max Hospital Patparganj से बात की और इससे जुड़े कुछ सवाल किए। तब उन्‍होंने हमें इसके बारे में विस्‍तार से बताया।

health fitness inside

एपीएस क्या है?

एंटी-फॉस्‍फोलिपिड एंटीबॉडी सिंड्रोम एक सिस्‍टेमिक ऑटाइम्‍यून डिजीज है, जिसमें हमारे शरीर में ऐसे एंटीबोडीज बनती हैं जो हेल्‍दी सेल्‍स पर हमला करती है और वेस्‍कुलर थ्रोम्‍बोसिस (ब्‍लड क्‍लॉट) के अवसर को बढ़ा देते हैं। इससे प्रेग्‍नेंसी की जटिलताओं विशेष रूप से रिकरंट प्रेग्‍नेंसी लॉस का कारण हो सकता है।

प्रेग्‍नेंसी में एपीएस क्यों चिंताजनक है?

एंटीफॉस्फोलिपिड एंटीबॉडीज (APA) एंटीबॉडी का विषम समूह (एंटी-कार्डिओलिपिन एब यानि एसीएल, ल्यूपस एंटी कायगुलेंट है जैसे एलए या एंटी β2 ग्लाइकोप्रोटीन 1 एंटीबॉडी): फॉस्फोलिपिड के खिलाफ निर्देशित जैसे प्रोटीन कम्‍प्‍लेक्‍स और β2 ग्लाइकोप्रोटीन -1- प्रोप्रोटीन -1 को टारगेट किया जाता है। (प्लेसेंटा में ब्‍लड क्‍लॉट के कारण भ्रूण में ब्‍लड फ्लो कम हो जाता है) और इस प्रकार प्रसूति जटिलताओं का कारण बनता है जैसे कि रिकरंट प्रेग्‍नेंसी लॉस, इंट्रायूटराइन ग्रोथ रेटार्डेशन (आईयूजीआर), अपरिपक्व डिलीवरी, मिसकैरेज, फीटल लॉस, प्री एक्लेम्पसिया आदि।

shilpa shetty kundra health inside

क्‍या सभी प्रेग्‍नेंसी के लिए एपीएस के चेकअप की जरूरत होती है?

सभी गर्भवती महिलाओं के लिए एपीएस की रेगुलर चेकअप की सिफारिश नहीं की जाती है। लेकिन जिन महिलाओं में थ्रोम्बोसिस या रिकरंट प्रेग्‍नेंसी लॉस का इतिहास होता है या 3 या अधिक लगातार मिसकैरेज का जोखिम होता हैं और उनका रेगुलर चेकअप किया जाना चाहिए। जो प्रेग्‍नेंसी के लिए कोशिश कर रहे होते हैं उनमें सामान्य जनसंख्या में लगभग 1 प्रतिशत बार-बार मिसकैरेज होता है। लगभग 10-15 प्रतिशत महिलाओं में बार-बार मिसकैरेज का निदान एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम के कारण होता है।

 

एपीएस के साथ कुछ महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी में कोई भी समस्या नहीं होती है, हालांकि, प्रसूति थ्रोम्बोसिस के अलावा प्रेग्‍नेंसी की जटिलता किसी भी लेवल पर हो सकती है। इनमें देर से फीटल लॉस, फीटल ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन (IUGR), प्री एक्लेम्पसिया (बीपी बढ़ा हुआ) शामिल हैं। अगर इसका इलाज न किया जाए तो महिलाओं में फीटल लॉस का जोखिम 90 प्रतिशत होता है।

इसे जरूर पढ़ें: शिल्पा शेट्टी की बेटी समीशा हुई 2 महीने की, इस खास दिन पर 15 नंबर को बताया लकी

shilpa shetty kundra health inside

क्या एपीएस से ग्रस्‍त महिलाओं की प्रेग्‍नेंसी सफल हो सकती है?

उचित प्रबंधन, अच्‍छी देखभाल, परामर्श और शुरुआत से ही ट्रीटमेंट लेने से, एपीएस होने के बावजूद 80-90 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं मां बन सकती हैं। 

(LMWH) लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन इंजेक्शन दैनिक रूप से (खुराक गंभीरता और थ्रोम्बोटिक घटना के इतिहास पर निर्भर करती है) और साथ में कम खुराक एस्पिरिन की सिफारिश की जाती है। इसके अलावा डॉपलर अल्ट्रासाउंड के साथ फीटल की निगरानी, फीटल की भलाई पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।

 

एंटी फॉस्फोलिपिड सिंड्रोम के कारण मां और बच्‍चे में गंभीर समस्‍याएं हो सकती है। लेकिन सही इलाज से ब्‍लड क्‍लॉट बनने के अवसर को कम किया जाता है और बच्‍चे का जन्‍म दर 80 प्रतिशत से ज्‍यादा हो सकती है। प्रेग्‍नेंसी से पहले चेकअप और सलाह से भविष्य में प्रेग्‍नेंसी के संबंध में निर्णय लेने में हेल्‍प मिलती है। 

इस तरह अगर कोई भी महिला एपीएस से ग्रस्‍त है तो प्रेग्‍नेंसी की प्‍लानिंग करने से पहले इन बातों को जरूर ध्‍यान में रख लें। ऐसी ही और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़े रहें।             

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।