कैंसर जिसका नाम सुनते ही हमारे हाथ-पैर कांपने लगते हैं।
आज हर दूसरा व्यक्ति इस समस्या से परेशान हैं।
लेकिन क्या कभी आपने सोचा हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है?
जी हां कैंसर का नाम सुनते ही हम घबराने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि आजकल के खान-पान और इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजें कैंसर को बढ़ावा दे रही हैं। हम लोग बिना सोचे समझे ऐसी चीजों का इस्तेमाल करने लगी हैं, जिनका असर सीधा हमारी हेल्थ पर पड़ता है। आजकल का खान-पान तो दूषित हो ही रहा है पर अब रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली ये चीजें हमें भयानक बीमारियां जैसे कैंसर, दिल और हड्डियों के रोग की तरफ भी ले जा रही हैं। और सबसे ज्यादा अफसोस की बात यह हैं कि यह चीजें हमारे द्वारा बनाई गई हैं।
देश में कैंसर बहुत तेजी से फैल रहा है ऐसा इसलिए लोगों ने नेचुरल चीजों को छोड़कर केमिकल से खुद से बनीं चीजों का इस्तेमाल करना शुरू किया है तब से कैंसर के मामले बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। आइए जानें कौन सी है ये चीजें, जिन्होंने कैंसर के खतरे को इतना ज्यादा बढ़ा दिया है। और ये चीजें लगभग सभी घरों में पाई जाती है और इनका इस्तेमाल लोग बिना सोचे समझे कभी-कभार हद से ज्यादा कर लेते हैं। लेकिन सबसे पहले यह जान लेते हैं कैंसर क्या है।
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कैंसर को एक बेहद खतरनाक बीमारी माना जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि जब हमें इसके लक्षणों का पता चलता है तब तक यह काफी बढ़ चुकी होती है। इसका इलाज संभव हैं लेकिन तभी जब इसके लक्षणों की जानकारी समय रहता हो जाए। हमारी बॉडी सेल्स से बनी होती है जैसे-जैसे बॉडी को इनकी जरूरत होती है वैसे वैसे ये सेल्स कंट्रोल रूप से विभाजित और बढ़ती रहती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बॉडी को इन सेल्स की कोई जरूरत नहीं होती है, फिर भी इनका बढ़ना जारी रहता है। सेल्स का यह असामान्य विकास कैंसर कहलाता है जिसमें सेल्स नॉर्मल कंट्रोल खो देती हैं।
चाय पीनी हो या कोल्ड ड्रिंक, या फिर खाना पैक करना हो, खाने-पीने की सभी चीजों के लिए प्लास्टिक के गिलास और पॉलिथीन का इस्तेमाल बहुत ज्यादा बढ़ गया है। जी हां स्टायरोफोम से बने प्रोडेक्ट्स का इस्तेमाल बहुत ही आम हो चुका हैं। ये सॉफ्ट प्लास्टिक से बने कप दिखने में भले ही कितन अच्छे क्यों न लगे पर आपकी हेल्थ के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकते है। ये केमिकल से बनता है और इसमें पॉली स्टाइरीन होता है, जो एक पोलिमर है। ये खतरनाक केमिकल जब गर्म चीज जैसे गर्म पानी और चाय या कॅाफी से मिलता है तो रिएक्शन करता है जिसके कारण हमारी बॉडी पर बहुत बुरे प्रभाव पड़ते हैं। इसके अत्यधिक इस्तेमाल से आपको कैंसर भी हो सकता है।
कैंसर प्रिवेंशन कोएलिशन का मानना है कि इस तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट के इस्तेमाल से गर्भाशय के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हर 5 में से 1 महिला इनका इस्तेमाल करती है। पाउडर महिला के प्रजनन तंत्र द्वारा गर्भाशय तक पहुंचता है। जननांगों में पाउडर इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में गर्भाशय कैंसर सामान्य महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा होता है। टेलकम पाउडर और कैंसर के संबंध में पहले भी कई शोध हो चुके हैं लेकिन शोधकर्ताओं ने इसका संबंध ओवरी के कैंसर से भी माना है। उनके अनुसार, जो महिलाएं गुप्तांगों पर भी पाउडर का इस्तेमाल करती हैं, उनके लिए ओवरी के कैंसर का खतरा अधिक हो जाता है। अध्ययन में पाया गया कि नहाने के बाद गुप्तांगों पर टेलकम पाउडर लगाने से उसमें मौजूद हाइड्रोअस मैग्नीशियम कार्सिनोजेनिक नामक तत्व स्किन सेल्स में चले जाते हैं जिससे वे कैंसर के ट्यूमर को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह शोध कैंसर प्रिवेंशन रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
शायद आपको यकीन नहीं होगा लेकिन यह सच हैं कि मच्छर भगाने वाले कॉइल से भी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। जी हां कॉइल्स जो मच्छरों को मारने के लिए बनाई जाती हैं उनमें बहुत से केमिकल्स मिलाये जाते हैं ताकी मच्छरों को दूर कर सके पर इनके धुएं के कई खतरनाक प्रभाव देखने के मिलते हैं। सिरदर्द और एलर्जी तो आम लक्षण हैं पर इसके ज्यादा इस्तेमाल से आपको कैंसर भी हो सकता है। वैज्ञानिको का कहना है ये मच्छर मारने वाली कॉइल से निकलने वाली सुगंध मे धीमा जहर है जो धीरे-धीरे शरीर मे जाता रहता है और कोई बार आपने भी महसूस किया होगा इसे सूंघने से गले मे हल्की-हल्की जलन होने लगती है। मच्छरों को भगाने के लिए आप नेचुरल तरीकों का इस्तेमाल करें तो बहुत बेहतर होगा वरना ये कॉइल्स आपको बहुत बीमार बना सकते हैं।
घर में कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिनका इस्तेमाल हम रोजाना करते हैं और अनजाने में उनसे होने वाले खतरों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसी ही एक चीज क्लीनिंड प्रॉडक्ट भी हैं। लंबे वक्त तक जो महिलाएं इनका इस्तेमाल करती हैं उनमें कैंसर पाए जाने के काफी मामले सामने आए हैं। इनमें अल्काइल फिनोल, ट्राइक्लोसन और टेट्राक्लोरोएथलिन जैसे केमिकल होते हैं। ये केमिकल्स हॉर्मोन प्रणाली पर असर डालते हैं जिनसे हॉर्मोन्स का संतुलन बिगड़ता है। साथ ही ये ब्रेस्ट से जुड़े कैंसर का कारण भी बनते हैं।
अक्सर पूजा- पाठ में प्रयोग होने वाली अगरबत्ती भी कैंसर के लिए जिम्मेदार मानी गई है। वैज्ञानिकों द्वारा किये गये शोध की रिपोर्ट के अनुसार अगरबत्ती को जलाने पर उसके धुएं के साथ कुछ बारीक कण भी निकलते हैं जो कि हवा में घुल-मिल जाते हैं। अगरबत्तियों से निकलने वाले जहरीले कण बॉडी सेल्स को बेहद प्रभावित करते हैं। शोध के दौरान रिपोर्ट में पता चला कि अगरबत्ती के धुएं में तीन तरह से विशेष तत्व होते हैं जो कि कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह विषैले तत्व म्यूटाजेनिक, जीनोटॉक्सिक और साइटोटॉक्सिक के नाम से जाने जाते हैं। जेनेटिक म्यूटेशन यानी आनुवंशिक उत्परिवर्तन से व्यक्ति के डीएनए में परिवर्तन हो सकता है जो कि एक अच्छा संकेत नहीं है। लिहाजा अगरबत्ती से निकलने वाले हानिकारक धुएं से शरीर में मौजूद जीन का रूप परिवर्तित हो जाता है जो कैंसर और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां होने की पहली स्टेज है। इस धुएं को जब हम सांस के साथ अंदर लेते हैं तो वह हमारे फेफड़ों तक पहुंचकर फेफड़ों में जलन, उत्तेजना और रिएक्शन उत्पन्न कर सकता है।
जी हां जब हम नेचुरल तरीकों से दूर रहकर केमिकल से बनी चीजों का इस्तेमाल करने लगते हैं तो कई प्रकार के रोग हमें घेर लेते हैं। इसलिए हेल्दी रहने के लिए नेचुरल चीजों का इस्तेमाल बेहद जरूरी है।
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