बच्चे की सेहत मां-बाप की पहली प्राथमिकता होती है और इसके लिए अभिभावक हर संभव कोशिश भी करते हैं। हरजिंदगी अभिभावकों की इस प्राथमिकता को बखूबी समझती है और इसलिए हम इस विषय में उपयोगी जानकारी आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। हमारा यह आर्टिकल भी इस दिशा में छोटा सा प्रयास है जहां हम बच्चों के लिए बेहद उपयोगी ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Breathing exercises for kids) बता रहे हैं।
गौरतलब है कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रखने में मददगार होती है। अगर नियमित रूप से बच्चों को ब्रीदिंग एक्सरसाइज का अभ्यास कराया जाए तो इससे बच्चे का दिल, दिमाग और श्वसन प्रणाली तीनों ही बेहतर तरीके से काम करेंगे। साथ ही इससे बच्चों में गुस्सा और तनाव को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। तो चलिए जानते हैं बच्चों के लिए कुछ लाभकारी और असरदार ब्रीदिंग एक्सरसाइज के बारे में...
डीप बेली ब्रीदिंग, सांसों को संयमित कर लाभ पाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रचलित ब्रीदिंग तकनीक है, जिसे मेडिकल वर्ल्ड में डायाफ्रामिक ब्रीदिंग के नाम से भी जाना जाता है। असल में इस तकनीक में बेहद धीमी गति से सांस लेने का अभ्यास किया जाता है, जो बच्चे के समग्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार हो सकता है।
इसके अभ्यास के लिए बच्चे को धीमी गति से इस तरह से सांस लेनी होता है कि उसका पेट फूल जाए। पर ध्यान रहे कि इसमें सीने में हवा नहीं भरनी होती है, बल्कि वह सिर्फ पेट में होती है और फिर उसे धीरे-धीरे उसे मुंह से छोड़ना होता है।
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बनी ब्रीदिंग, गहरी सांस लेने की तकनीक है जिसका अभ्यास बच्चों के लिए आसान और रुचिकर होता है। बता दें कि यह तकनीक खरगोश की सांस लेने की प्रक्रिया से प्रेरित है, इसलिए इसे बनी ब्रीदिंग (Bunny breathing) कहते हैं। इसमें बच्चे को तीन बार नाक से सांस भरनी होती है और फिर उसे मुंह से छोड़ना होता है।
बच्चों में गुस्सा, तनाव और मानसिक अवसाद को नियंत्रित करने में बबल ब्रीदिंग काफी लाभकारी साबित हो सकती है। इसका अभ्यास आप बच्चे को वास्तविक बबल स्टिक से भी करा सकते हैं। वहीं अगर आपके पास बबल स्टिक नहीं है तो उसकी कल्पना के जरिए भी इसका अभ्यास किया जा सकता है। इसके लिए बच्चे को नाक से गहरी सांस लेने के बाद बुलबुले बनाने के लिए फूंक मारने का अभिनय करते हुए मुंह से धीरे-धीरे सांस छोड़नी होगी।
बता दें कि इसके नियमित अभ्यास से फेफड़े मजबूत होते हैं और श्वसन संबंधी समस्याओं से बचाव होता है। इसलिए बचपन से बच्चों में इस ब्रीदिंग तकनीक का अभ्यास करना बेहद लाभकारी हो सकता है।
फ्लावर ब्रीदिंग भी बच्चों के कराने योग्य आसान और कारगर ब्रीदिंग तकनीक है। इसमें फूलों को सूंघने के साथ बच्चों को गहरी सांस लेने का अभ्यास कराया जाता है। दरअसल, फूलों की महक बच्चों को आसानी आकर्षित करती है, ऐसे में इसे सूंघने के बहाने में वो गहरी सांस आसानी से ले पाते हैं। ऐसा करने से सांसों की गति संयमित होती है, जिससे फेफड़ों के साथ ही हृदय को मजबूती मिलती है।
बच्चों को फ्लावर ब्रीदिंग का अभ्यास कराते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे कि बच्चों को फूलों की महक से एलर्जी हो सकती है, इसलिए आपको फूल का चुनाव सोच-समझ कर करना होगा। साथ ही आप यह भी सुनिश्चित कर लें उस फूल में किसी तरह के कीट-पतंग न लगे हो। इसके बाद ही फूल के जरिए बच्चे को ब्रीदिंग एक्सरसाइज कराएं।
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