हाइट बढ़ाना आज कई लोगों के मन में एक प्रमुख चिंता है। एक अच्छी हाइट व्यक्ति को आत्मविश्वासी बनाती है। लेकिन कहा जाता है कि हाइट बढ़ने की भी एक निश्चित उम्र होती है और उस उम्र के बाद महिलाओं की हाइट नहीं बढ़ती। हालांकि आयुर्वेदिक डॉक्टर जैना पटवा कहती हैं, 'उम्र के साथ-साथ जेनेटिक्स का भी अहम रोल होता है। ऐसा भी देखा गया है कि महिलाओं की हाइट बढ़ने की उम्र जो 18-21 है, उसके बाद भी कई कारणों से हाइट बढ़ जाती है। इससे पहले हमें हाइट का कॉन्सेप्ट समझना बेहद जरूरी है। जिस तरह एक गमले का पौधा बिना पानी, धूप और खाद के बढ़ता नहीं, ठीक वैसी एनोलॉजी हमारे शरीर की होती है।'
आयुर्वेद कहता है कि हमारा शरीर वात, कफ और पित्त से बना है। यह हमारे शरीर के विकास पर काम करते हैं। अगर आप चाहती हैं कि आपकी हाइट बढ़े, तो उस निश्चित उम्र से पहले इन टिप्स को ध्यान जरूर रखें।
क्या है हाइट का कॉन्सेप्ट?
ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन हाइट बढ़ाने की समस्या के समाधानों में से एक है। यह पिट्यूटरी ग्लैंड के एंटीरियर भाग में मस्तिष्क के भीतर होता है। किशोरावस्था में इसका प्रोडक्शन बहुत होता है और शरीर का विकास होता है, लेकिन वयस्कता तक पहुंचने पर इसके लेवल में गिरावट होती है और हमारा शरीर बढ़ना बंद कर देता है।
आयुर्वेद हाइट बढ़ाने में कैसे मदद करता है?
अपने पूरे जीवन में, हम लगातार HGH उत्पन्न करते हैं। हमारे शरीर के रासायनिक संतुलन को बनाए रखना और सेल रिजूवनेट दो मुख्य कारण हैं जिससे हमारा शरीर HGH उत्पन्न करता है। ऐसे में अगर सही तरीके का इस्तेमाल किया जाए, तो शरीर में हार्मोन के स्तर में भी वृद्धि होती है। अधिकांश लोग हाइट इसलिए नहीं बढ़ा पाते क्योंकि वह अपने शरीर को बढ़ाने में जरूरी चीजों को नहीं लेते। कुछ मामलों में, अवरोधक कारकों की पहचान करके, उन्हें ठीक कर हाइट को बढ़ाया जा सकता है।
उम्र और हाइट का रिलेशन
एक निश्चित उम्र होती है जिस पर लोग आमतौर पर बढ़ना बंद कर देते हैं। पुरुषों के लिए यह उम्र -25 है। महिलाओं के लिए यह उम्र 18-21 है। ऐसा प्यूबर्टी के बाद होता, लेकिन इसे बदला जा सकता है। आयुर्वेद चिकित्सा, व्यायाम, शारीरिक गतिविधियों और सही पोषक तत्वों से भरपूर खानपान के साथ ऐसा संभव है। इसके साथ ही इस बात को ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि यह सच है कि आप एक उम्र से अधिक (18-21, ज्यादा से ज्यादा 25) उम्र में हाइट नहीं बढ़ा सकती हैं।
हाइट बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक थेरेपी
रासायना थेरेपी: टिश्यू को मजबूती प्रदान करती है। यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करता है, याददाश्त बढ़ाता है, महत्वपूर्ण अंगों के कामकाज में सुधार करता है और सभी ऊतकों को पोषण देता है।
कायाकल्प थेरेपी: यह मोटर और सेंसरी ऑर्गन को शक्ति प्रदान करता है। साथ ही टिश्यू को पोषण प्रदान करता है।
सुवर्ण प्राशन थेरेपी: यह थेरेपी शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करती है। इस तरह से शरीर के विकास में भी मदद मिलती है।
पंचकर्म थेरेपी: इसमें अभ्यंगम, वस्थि और नास्यम इन तीन तरीकों से शरीर में विकास की प्रक्रिया को बढ़ाया जा सकता है।
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आयुर्वेदिक हर्ब्स जो हाइट बढ़ाने में मदद करते हैं-
- गुग्गुल
- अश्वगंधा
- शतावरी
- लक्षा
- अस्थि श्रृंखला
- बला
- गुडुची
खानपान और जीवनशैली करती है हाइट को प्रभावित
नीचे दिए गए आवश्यक पोषक तत्व और भोजन एक अच्छी ऊंचाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं:
विटामिन-ए: शरीर के समुचित विकास के साथ-साथ यह शरीर के समुचित कार्य के लिए भी आवश्यक है। संतरे, नींबू, पपीता, गाजर, शकरकंद आदि जैसे फलों में विटामिन-ए उपलब्ध होता है। अंडे की जर्दी, फिश कॉड, लिवर, सालमन, ब्रोकली और टमाटर में भी मौजूद होता है। आपको रोजाना 4000-5000 आईयू विटामिन ए लेने की जरूरत होती है।
प्रोटीन: प्रोटीन शरीर के टिश्यूज की वृद्धि और मरम्मत में मदद करता है। मांस, दूध, नट्स, अंडे, सोया और मछली जैसे खाद्य पदार्थ प्रोटीन से भरपूर होते हैं। आपको रोजाना 45-55 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।
विटामिन-डी:यह शरीर के विकास को भी नियंत्रित करता है। यह अंडे की जर्दी, मछली में पाया जा सकता है। प्रारंभिक सूर्य स्नान या सूर्य नमस्कार भी विटामिन-डी के संश्लेषण में मदद करता है। विटामिन-डी का अनुशंसित दैनिक सेवन 400 आईयू है।
खनिज: आपको कैल्शियम, फास्फोरस, जस्ता और मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है, क्योंकि ये हड्डियों के विकास के लिए बहुत आवश्यक हैं।
डॉ. जैना पटवा कहती हैं, 'ऊंचाई बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों के साथ, परिणामों में सुधार के लिए हमेशा स्ट्रेचिंग व्यायाम की सलाह दी जाती है। उचित पोस्टुरल अलाइनमेंट बनाए रखने से उम्र बढ़ने के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के साथ-साथ विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। आपकी वृद्धि बढ़ाने वाली सफलता के लिए स्पाइनल कॉलम महत्वपूर्ण है। रीढ़ की हड्डी की रोजाना औषधीय तेलों जैसे अश्वगंधा, तैलम, बाला तैलम, लाक्षादि तैलम आदि से मालिश की जानी चाहिए।'
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