जैसा कि हम में से अधिकांश लोग जानते हैं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज योग का खजाना है। ऐसा ही एक आसन कपालभाति प्राणायाम है। 'प्राणायाम', जैसा कि नाम से पता चलता है, का अर्थ है सांस लेने की तकनीक। 'कपाल' शब्द का अर्थ खोपड़ी और 'भाति' का अर्थ चमकना या रोशन करना है।
कपालभाति प्राणायाम सबसे लोकप्रिय योग आसनों में से एक है जो श्वसन क्रिया में सुधार करता है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभ प्रदान करने के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
यह तकनीक लोगों को उनकी समग्र भलाई में मदद करने के लिए तैयार की गई है। यह एक षट क्रिया है, जिसका अर्थ है कि यह एक सफाई तकनीक है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करती है। इस तेजी से सांस लेने की तकनीक में आपके पेट की मसल्स का उपयोग करके धीमी, निष्क्रिय सांस लेना और बलपूर्वक सक्रिय सांस छोड़ना शामिल है।
आइए इसे करने के तरीके और फायदों के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से विस्तार से जानते हैं। इस बारे में हमें योग गुरू नेहा जी बता रही हैं। योगा गुरु नेहा, द योग गुरु तथा वुमेन हेल्थ रिसर्च फाउंडेशन (ट्रस्ट) की संस्थापक हैं।
कपालभाति प्राणायाम करने का तरीका
- रीढ़ को सीधा करके आराम से बैठें।
- हाथों को घुटनों पर रखें और हथेलियां आसमान की ओर खुली रखें।
- गहरी सांस अंदर लें।
- जैसे ही आप सांस छोड़ती हैं, नाभि को वापस रीढ़ की ओर स्ट्रेच करें।
- जितना हो सके आराम से करें।
- पेट की मसल्स के संकुचन को महसूस करने के लिए आप अपना दाहिना हाथ पेट पर रख सकते हैं।
- जैसे ही आप नाभि और पेट को आराम देते हैं, सांस अपने आप आपके फेफड़ों में चली जाती है।
- कपालभाति का एक चक्कर पूरा करने के लिए ऐसी 20 सांसें लें।
- चक्कर पूरा करने के बाद, अपनी आंखें बंद करके आराम करें और अपने शरीर में संवेदनाओं का निरीक्षण करें।
- कपालभाति की दो और परिक्रमा करें।
कपालभाति प्राणायाम के फायदे
डाइजेस्टिव सिस्टम में मजबूती
कपालभाति डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत करता है। यह गैस, एसिडिटी, कब्ज आदि में तो फायदेमंद होता ही है साथ ही यह कपालभाति करने से बॉडी के अंदर होने वाली अल्सर की समस्या से भी बचाता है और ब्लॉकेज नहीं होने देता है।
हार्ट के लिए अच्छा
यह कार्डियो वैस्कुलर सिस्टम के लिए बहुत अच्छा होता है। इसमें जब बार-बार पंपिंग की जाती है, तब ब्लड की सप्लाई बढ़ती है और सीधा हार्ट पर जाकर उसकी ब्लॉकेज को खोलता है, आर्टरीज और वेन्स की ब्लॉकेज भी खोलती है। जिन महिलाओं को हार्ट से संबंधित समस्याएं होती हैं, उनको कपालभाति की फर्स्ट फॉर्म कराई जाती है। इसमें पूरा इनहेल होता है और थोड़ा सा पंप किया जाता है।
नर्वस सिस्टम
यह नवर्स सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र के लिए भी बहुत अच्छा प्राणायाम है। इसमें पंपिंग करने से हमारे ब्रेन के सेल्स में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ जाता है। कई महिलाओं को कपालभाति करते समय बीच में उबासी आती है। उबासी आने का मतलब यह है कि ब्रेन के सेल्स बहुत थके हुए हैं और जब ऑक्सीजन जाता है तब वह रिलैक्स हो जाते हैं। इससे उनकी काम करने की क्षमता बढ़ती है, मेमोरी मजबूत होती है और जिन लोगों को माइग्रेन, स्ट्रेस, एग्जाइंटी आदि जैसी समस्याएं होती हैं, कपालभाति के अभ्यास से पूरी तरह से ठीक हो जाती हैं।
हार्मोंस करता है बैलेंस
यह रिप्रोडक्टिव सिस्टम के लिए भी बहुत अच्छा होता है। इसके नियमित अभ्यास करने से ब्लड की सप्लाई यूट्रस, फैलोपियन ट्यूब और ओवरीज में बढ़ती है, जहां पर साफ-सफाई का काम हो जाता है। जैसे कि पीसीओडी होने परसिस्ट बन जाते हैं। यह सिस्ट हार्मोनल इंबैलेंस के कारण बनते हैं। लेकिन जब कपालभाति प्राणायाम किया जाता है तब इससे हार्मोंस बैलेंस होते हैं। अगर पीसीओडी में कपालभाति किया जाए, तो बदलाव दिखाई देने लगता है।
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मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है
कपालभाति को शरीर से विषाक्त पदार्थों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को निकालने में मदद करता है। यह श्वास तकनीक पित्त को भी बढ़ाती है और इसलिए मेटाबॉलिक रेट वजन कम करने में मदद करती है। यह आपकी त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता है और आपको ग्लोइंग त्वचा प्रदान करता है।
महिलाएं ये 5 फायदे पाने के लिए रोजाना कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास कर सकती हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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