जब हम वर्कआउट करते हैं तो उसमें स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करना बहुत पसंद करते हैं। स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग ना केवल मसल्स बिल्डअप में मददगार है, बल्कि इससे अतिरिक्त कैलोरी को बर्न करने में मदद मिलती है। अमूमन स्ट्रेन्थ ट्रेनिंग करते हुए फिटनेस फ्रीक लोग डेडलिफ्ट करना पसंद करते हैं। जबकि अगर आप अपने वर्कआउट में वैरिएशन लाना चाहते हैं तो इसमें सूमो डेडलिफ्ट को शामिल किया जा सकता है।
सूमो डेडलिफ्ट वेट लिफ्टिंग में एक बेहतरीन वैरिएशन है, जो बैलेंस और स्टेबिलिटी को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह पारंपरिक डेडलिफ्ट का एक वैरिएशन है, जिसे परफॉर्म करते हुए आपके अपने पैरों को अधिक चौड़ा रखना पड़ता है। यह पोजिशन सूमो रेसलर जैसी नजर आती है, यही वजह है कि इसे सूमो डेडलिफ्ट कहा जाता है। जब आप अपने वर्कआउट में सूमो डेडलिफ्ट को शामिल करते हैं तो इससे आपको कई सारे लाभ मिलते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको सूमो डेडलिफ्ट करने से मिलने वाले कुछ बेमिसाल लाभों के बारे में बता रहे हैं-
हिप मोबिलिटी होती है इंप्रूव
जब आप सूमो डेडलिफ्ट करते हैं तो इस दौरान पैरों को अधिक खोला जाता है और इससे हिप को बाहरी घुमाव की आवश्यकता होती है, जिससे हिप की स्ट्रेन्थ और फ्लेक्सिबिलिटी बेहतर होती है।
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कमर दर्द होता है कम
आमतौर पर जब डेडलिफ्ट किया जाता है तो उस दौरान कमर पर अधिक दबाव पड़ता है। वहीं, सूमो डेडलिफ्ट रीढ़ पर कम दबाव डालता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें पीठ लगभग सीधी होती है जबकि पैर और कोर लिफ्ट के दौरान सीधा सपोर्ट प्रदान करता हैं। पैर रीढ़ से तनाव को दूर करते हैं, जिससे पीठ दर्द की संभावना कम हो जाती है।
कई मसल्स पर करता है काम
सूमो डेडलिफ्ट एक कंपाउंड एक्सरसाइज है, जो एक साथ कई मसल्स पर काम करती हैं। सूमो डेडलिफ्ट आपके ग्लूट्स और क्वाड्रिसेप्स के अलावा आपकी लोअर और अपर बैक पर भी काम करती है। सूमो डेडलिफ्ट करते हुए आपके क्वाड्रिसेप्स, ग्लूट्स, हैमस्ट्रिंग और काफ की मसल्स टारगेट हाती हैं। साथ ही साथ, पैर और पीठ की मसल्स पर भी अच्छा असर पड़ता है। लिफ्ट के दौरान आपको अधिक एनर्जी की जरूरत होती है। इसलिए, जब आप सूमो डेडलिफ्ट करते हैं तो इससे ना केवल कैलोरी बर्न होती है, बल्कि इससे स्ट्रेंथ बढ़ती है और मसल्स बिल्डिंग में भी मदद मिलती है।
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पोश्चर इंप्रूव करने में मददगार
सूमो डेडलिफ्ट उन लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प है जिन्हें बैक या फ्लेक्सिबिलिटी से जुड़ी कोई समस्या है। इसके अलावा, अगर आप रेग्युलर डेडलिफ्ट नहीं कर पाते हैं तो इसे वैरिएशन के साथ सूमो डेडलिफ्ट कर सकते हैं। यह एक्सरसाइज आपके पोश्चर को इंप्रूव करने के साथ-साथ पीठ के निचले हिस्से की ताकत को बेहतर बनाने में भी मददगार है।
वर्कआउट में मिलती है वैरायटी
जब आप एक्सरसाइज करना शुरू करते हैं तो एक वक्त ऐसा आता है, जब आपको अपने वर्कआउट से कोई लाभ नहीं मिलता है। ऐसे में आपको वर्कआउट में वैरिएशन लाने की जरूरत होती है। इस दौरान सूमो डेडलिफ्ट को वर्कआउट में शामिल करना अच्छा विचार हो सकता है। इससे आप अपनी मसल्स को एक अलग तरह का चैलेंज देते हैं। साथ ही साथ, जब आप नई एक्सरसाइज को शामिल करते हैं, तो इससे कहीं ना कहीं वर्कआउट की बोरियत दूर होती है।
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