सूर्य नमस्कार एक गतिशील प्रक्रिया है, जो आपके स्वास्थ्य को दुरुस्त रखती है। यह मन और शरीर पर काम करती है और आपको शक्ति देती है। यह ऐसे व्यक्ति के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है, जो जीवन में अटका हुआ महसूस करता है।
यदि आप पहली बार सूर्य नमस्कार कर रहे हैं, तो बहुत धीमी गति से शुरुआत करें। एक बार जब आपको सूर्य नमस्कार करना अच्छे से आ जाए, तब आप काउंट बढ़ा सकते हैं। आप 5-12 चक्रों के साथ शुरू कर सकते हैं और 108 चक्रों तक बढ़ा सकते हैं। लेकिन, यह काउंट सावधानीपूर्वक ही करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार करने के सही तरीके के बारे मे हमें अक्षर योग संस्थान के योग और आध्यात्मिक गुरु हिमालयन सिद्ध अक्षर बता रहे हैं। उनका कहना है, ''सूर्य नमस्कार योगासन को सुबह जल्दी किया जा सकता है, क्योंकि इस समय ज्यादा फायदा होता है। एक संपूर्ण शरीर वर्कआउट के रूप में रोजाना सूर्य नमस्कार करने से शारीरिक और मानसिक शक्ति मिलती है। यह मन को शांत करता है, आपको अपने शरीर पर कमांड देता है, आपकी ऊर्जा को संतुलित करता है और आपको अधिक सावधान बनाता है। यह अभ्यास सूर्य भगवान से मिलने वाली ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है।''
सूर्य नमस्कार की विधि
- आधा चक्र-12 आसन
- एक चक्र- 24 आसन
- शुरुआत में अपने पैरों को एक साथ और हाथों को अपनी तरफ रखें।
प्रणाम आसन
- सांस छोड़ें और अपने हाथों को चौड़ा करें।
- फिर सिर के ऊपर नमस्ते की मुद्रा में जोड़ें।
- फिर मुड़ें और हथेलियों को देखें।
- नमस्ते की मुद्रा में हाथों को चेस्ट के सामने लाएं।
हस्तउत्थान आसन
- हाथों को आगे से ऊपर उठाएं।
- सांस लेते हुए धीरे से पीछे झुकें।
- हथेलियां एक-दूसरे के सामने होनी चाहिए।
पादहस्तासन
- सांस छोड़ते हुए नीचे झुकें।
- दोनों हथेलियों को अपने पैरों के पास रखें।
- हथेलियां सपाट और घुटने सीधे होने चाहिए।
अश्वसंचालन आसन
- सांस लें और दाहिने पैर को आगे की ओर करें।
- बाएं घुटने का टखना 90 डिग्री के कोण पर एक पंक्ति में होना चाहिए।
- बायां घुटना पैर की उंगलियों से आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
- आंखें ऊपर की ओर रखें।
संतुलन आसन
- इस आसन में शरीर को पंजों पर संतुलित करें।
- फिर कंधों और कलाई को एक रेखा में रखते हुए शरीर को सीधा रखें।
अष्टांग प्रणाम
- सांस छोड़ें और घुटनों को जमीन पर और चेस्ट को हथेलियों के बीच में रखें।
- ऊपर आकाश की ओर मुंह करके कोहनी मोड़ें।
- इस आसन में अपनी सांस को रोककर रखें।
भुजंगासन
- सांस लेते हुए ऊपर उठें और ऊपर देखें।
- अपनी नाभि/पेट को जमीन पर दबाएं।
- कोहनियों को अंदर रखें।
अधोमुखस्वानासन आसन
- सांस छोड़ें और कूल्हों को ऊंचा उठाते हुए पीछे की ओर धकेलें।
- एड़ियों को फर्श पर धकेलें।
अश्वसंचालन आसन
- सांस लें और दाहिने पैर को हथेलियों के बीच में लाएं।
- थाइज को नीचे दबाएं और ऊपर देखें।
- फिर एड़ी को बाहर की ओर धकेलते हुए बाएं घुटने को जितना संभव हो सके सीधा रखें।
पादहस्तासन
- सांस छोड़ें और बाएं पैर को दाहिने पैर के बगल में लाएं।
- पैर हथेलियों के बीच में एक साथ और हथेलियां फर्श पर सपाट होनी चाहिए।
- नाक घुटने तक और शरीर का ऊपरी हिस्सा थाइज पर होना चाहिए।
हस्तउत्थान आसन
- हाथों को आगे से ऊपर उठाएं।
- सांस लेते हुए धीरे से पीछे झुकें।
- हथेलियां एक साथ रहें।
प्रणाम आसन
- सांस छोड़ें और बाजुओं को साइड में खोलें।
- फिर उन्हें शरीर को छुए बिना चेस्ट के सेंटर में नमस्ते में जोड़ें।
- इसे एक पूरा चक्र बनाने के लिए बाईं ओर दोहराएं।
सूर्य नमस्कार लोकप्रिय रूप से भगवान सूर्य को उनकी जीवनदायी ऊर्जा के लिए आभार व्यक्त करने का एक तरीका है। शरीर के दाएं और बाएं हिस्से के लिए एक के बाद एक किए जाने वाले 12 आसन शरीर को आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
एक पूरा चक्र 24 आसनों से बना होता है, जिसमें दोनों साइड शामिल होते हैं और इसे 5 चक्रों से शुरू करके धीरे-धीरे चक्रों की संख्या 11, 21, 28 और इसी तरह 108 बार तक बढ़ाना चाहिए।
आप भी इस तरीके से सूर्य नमस्कार करके खुद को फिट रख सकती हैं। अगर आपको भी योग से जुड़ी जानकारी चाहिए, तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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