हम सभी खुद को फिट रखने के लिए वर्कआउट करते हैं और वर्कआउट के दौरान कई अलग-अलग एक्सरसाइज को शामिल करते हैं। जब बात कोर वर्कआउट की होती है, तो उसमें क्रंचेस को जरूर शामिल किया जाता है। इन्हें एब्स की बेहतरीन एक्सरसाइज माना जाता है। क्रंचेस में आप कई वैरिएशन कर सकत हैं। इन्हीं में से एक है साइड क्रंचेस, जिन्हें ऑब्लिक क्रंच या साइड ऑब्लिक क्रंच के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बॉडीवेट एक्सरसाइज है जो आपकी कोर स्ट्रेंथ को बेहतर बनाने में मदद करती है। इस एक्सरसाइज को करते हुए आपकी ऑब्लिक मसल्स अधिक एक्टिव और टोन होती है।
जो लोग अपने वर्कआउट में साइड क्रंचेस को शामिल करते हैं, उन्हें एक अधिक टोन्ड लुक मिलता है। साथ ही साथ, यह एक अच्छे कार्डियो वर्कआउट के रूप में काम करता है जो आपकी हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाता है और आपको वजन कम करने में मदद करता है। साइड क्रंचेस करने के एक या दो नहीं, बल्कि कई फायदे हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको साइड क्रंचेस करने के कुछ बेहतरीन लाभों के बारे में बता रहे हैं-
ऑब्लिक मसल्स की बढ़ती है स्ट्रेंथ
जब आप साइड क्रंच करते हैं तो इससे आपकी ऑब्लिक मसल्स टारगेट होती हैं, जिससे ना केवल उनकी स्ट्रेंथ बढ़ती है, बल्कि वह अधिक टोन होती है। जब आप इन मसल्स का वर्कआउट करती हैं तो इससे आपकी वेस्टलाइन अधिक डिफाइन नजर आती है। साथ ही साथ, ऑब्लिक मसल्स की स्ट्रेंथनिंग बढ़ने से कोर स्टेबिलिटी पर भी अच्छा असर पड़ता है।
बढ़ती है कोर स्टेबिलिटी
साइड क्रंचेस करने का एक लाभ यह भी है कि इससे आपकी कोर स्टेबिलिटी इंप्रूव होती है। इस एक्सरसाइज के दौरान ऑब्लिक्स और अन्य कोर मसल्स एंगेज होती हैं, जिससे कोर अधिक स्टेबल होता है। इससे आपको कहीं ना कहीं अपने ओवरऑल वर्कआउट में लाभ मिलता है। दरअसल, अन्य एक्सरसाइज के दौरान भी आपकी कोर मसल्स एंगेज होती हैं। ऐसे में वह अगर अधिक स्टेबल व स्ट्रेंथन होगा, तो इससे आपको काफी फायदा मिलेगा।
इंप्रूव होता है पोश्चर
साइड क्रंचेस करने का एक फायदा यह है कि आपकी बॉडी पोश्चर को धीरे-धीरे इंप्रूव करता है। दरअसल, साइड क्रंचेस ऑब्लिक मसल्स को मजबूती देता है, जो स्पाइन और पेल्विस को स्टेबलाइज करने में मदद करता है। इससे कहीं ना कहीं आपका बॉडी पोश्चर इंप्रूव हाता है। जब आप बॉडी पोश्चर सही होता है तो आपको कमर दर्द से लेकर उससे जुड़ी अन्य समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
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होती है कैलोरी बर्न
यह सच है कि सिर्फ साइड क्रंचेस करने से आप बहुत ज़्यादा कैलोरी बर्न नहीं कर सकते हैं, लेकिन अगर आप इन्हें अपन फुल बॉडी वर्कआउट रूटीन में शामिल करते हैं तो इससे आप अतिरिक्त कैलोरी आसानी से बर्न कर सकते हैं। इससे आपका मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट होता है और धीरे-धीरे बॉडी अधिक शेप में नजर आने लगती है।
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फ्लेक्सिबिलिटी होती है इंप्रूव
अगर आप साइड क्रंचेस को वर्कआउट रूटीन में शामिल करते हैं तो इससे स्पाइन और हिप्स की फ्लेक्सिबिलिटी इंप्रूव होती है। जब फ्लेक्सिबिलिटी बेहतर होती है तो इससे आपकी बॉडी की ओवरऑल मोबिलिटी पर भी अच्छा असर पड़ता है। इतना ही नहीं, इससे मसल्स में किसी तरह खिंचाव होने या फिर चोट लगने का जोखिम काफी कम हो जाता है।
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Image Credit- freepik
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