भारत में अगर सबसे लोकप्रिय फैशन आउटफिट की बात की जाए तो पहला नाम साड़ी का ही होगा। भारतीय महिलाओं में साड़ी का क्रेज कभी कम नहीं हुआ। इसकी एक वजह यह भी है कि साड़ी में पैटर्न, वैरायटी और आर्ट की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रंग-रूप की कलाएं विरास्त के रूप में स्थापित हैं। इन कलाओं के अनोखे नमूने साड़ियों पर भी देखे जा सकते हैं। हर साड़ी अपने आप में एक अलग फैशन को क्रिएट करती है। मगर, आज हम कुछ ऐसी साड़ियों के बारे में बात करेंगे जो केवल प्रिंट, कलर और पैटर्न तक सीमित नहीं हैं। इन साड़ियों में आपको पौराणिक कथाएं और रीति-रिवाज नजर आएंगे।
कलमकारी, बालूचरी, मधुबनी और विवाह पट्टू कुछ ऐसी ही स्टोरी टेलिंग साड़ियों में से एक हैं। आइए इनकी खासियतों और इनमें हो रहे बदलावों के बारे में जानते हैं।
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आपने रामायण, महाभारत, पंच तंत्र और मुगलों की कई कहानियां सुनी होंगी। इनसे जुड़ी कई पेंटिंग्स भी आपने देखी होंगीं। मगर, इन दिलचस्प कहानियों को आप आंध्र प्रदेश की ट्रेडिशनल आर्ट कलमकारी से तैयार साड़ियों में भी देख सकते हैं। इस आर्ट की खासियत को आप इसके नाम से ही समझ सकते हैं। 'कलमकारी' यानी कलम से की गई कलाकारी। इस आर्ट का इतिहास बहुत पुराना है। मुगलों के जमाने में इस आर्ट को पहचान मिली थी। प्रकृतिक रंगों से सजी इस कला को जन्म देने वाले गोलकोंडा और कोरामंडेल के कलमकार थे। इस कला पर सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश के मच्छलीपटनम के कृष्णा में काम किया जाता था। सिल्क की साड़ी नई जैसी रखना चाहती हैं तो ये 7 आसान टिप्स अपनाएं
आज कलमकारी आर्ट में आधुनिकता के रंग देखने को मिलते हैं। कलमकारी का काम ज्यादातर चेन्नूर सिल्क और मलमल कॉटन पर किया जाता है। फैशन जगत में इस आर्ट को काफी महत्व दिया गया है। इन साड़ियों में भगवान कृष्ण, गणेश, विष्णु, सरस्वती, राधा-कृष्ण की कई कथाओं को पेंटिंग के माध्यम से उकेरा गया है। इस पर आधुनिकता की परत भी अब चढ़ गई है। जहां पहले कलमकारी का कम चुनिंदा रंगों में नजर आता था वहीं अब इनमें वाइब्रेंट कलर्स और मोनोक्रोम शेड्स देखने को मिलते हैं। आपको साड़ियों के साथ ही कलमकारी की हुई कुर्तियां, दुपट्टे और दूसरे फैशन एक्सेसरीज भी मिल जाएंगी।सिल्क साड़ी पहनते समय रखें इन 5 बातों का खयाल, नहीं होगी संभालने में दिक्कत और स्टाइलिंग होगी बेहतर
बॉलीवुड फैशन डिजाइनर एवं पिनाकल फैशन ब्रांड की ओनर श्रुती सनचेती कलमकारी, बालूचरी, मधुबनी जैसी स्टोरी टेलिंग साड़ियों के बारे में कहती हैं ,
'समय के साथ ही इन डिजाइंस में बदलाव हुए हैं। मगर, इन आर्ट्स की सोल को नहीं बदला गया है यह उतनी ही नैचुरल और ऑथेंटिक हैं। वेदिक काल से लेकर मुगल काल तक कई घटनाएं घटी हैं जो इन कलाओं का हिस्सा बनती गईं। समय बदलता गया साथ में कहानियां भी बदलती गईं। '
फैशन इंडस्ट्री में मधुबनी आर्ट एक जानामाना नाम है। यह भी एक तरह की फोक आर्ट है जिसमें हिंदू धर्म और इस धर्म के देवी-देवताओं की कथाओं को नेचुरल कलर से उकेरा जाता है। यदि इस आर्ट की इतिहास को खंगाला जाए तो पता चलता है कि बिहार के मधुबनी में रहने वाले लोग इसे अपने घर की गोबर से लिपी दिवारों पर अनोखें चित्रों के माध्यम से बनाते थे। खासतौर पर जब किसी के घर पर शादी होती थी या त्योहारों पर इस कला को दीवारों पर उकेरा जाता था। मधुबनी में कृष्ण और राम कथाएं चित्रों के माध्यम से देखने को मिलती हैं। पहले यह कला बिहार के मुजफ्फरपुर, मधुबनी, दभंगा आदि स्थानों तक ही सीमित थी।
इस कला के बारे में कम ही लोगों को जानकारी थी। मगर, फैशन इंडस्ट्री के माध्यम से इस कला को नई पहचान मिली है। दिवारों के साथ-साथ अब मधुबनी साड़ियां भी आने लगी हैं। इन साड़ियों में नैचुरल कलर्स के माध्यम से पौराणिक कथाएं, पशुपक्षी, पेड-पौधे और जयामितीय आकरों को उकेरा जाता है। पहले इस आर्ट में केवल गलाबी, पीला, नीला, सिंदूरी लाल, सुगापाखी हरा रंग ही प्रयोग किया जाता था। वहीं काले रंग का भी इस कला में विशेष महत्व था। मगर, अब मधुबनी आर्ट में आधुनिक रंग भी नजर आने लगे हैं। बेस्ट बात तो यह कि बड़े-बड़े फैशनल डिजाइनर्स ने इस आर्ट को अपने डिजाइनर आउटफिट्स में जगह देनी शुरू कर दी है।ईशा अंबानी और राधिका मर्चेंट में किसका साड़ी लुक आपको लग रहा है बेस्ट? हमें बताएं
बंगाल के बिसनपुर और बालूचर की ट्रेडिशनल आर्ट बालूचरी का इतिहास भी पुराना है। इस साड़ी का मुख्य आकर्षण होता है इसका पल्लू इस साड़ी के पल्लू में आपको महाभारत और रामायण काल की कथाएं नजर आएंगी। जिन्हें बेहद खूबसूरती के साथ जरी और रेश्म के धागों से की गई कारीगरी के द्वारा पल्लू पर काढ़ा जाता है। ज्यादातर बालूचरी आर्ट आपको सिल्क की साड़ियों में ही देखने को मिलेगी।
इस साड़ी से जुड़े इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स पर नजर डालें तो पहले के समय में बंगाल के जमिदारों के घर की महिलाएं ही बालूचरी साड़ी पहनती थीं। यह साड़ियां केवल त्योहारों या शादियों में पहनी जाती थीं। वर्ष 2009 और 2010 में इस आर्ट को नैश्नल अवॉर्ड भी मिल चुका है। अब फैशन डिजाइनर्स ने इस साड़ी को नए रंग और ढंग के साथ पेश किया है। हां, इस साड़ी के पल्लू में अभी भी कहानियां पौराणिक ही हैं मगर, उसके विषय नए हो गए हैं। जैसे इन साड़ियों के पल्लू में में आपको अर्जुन की कहानियां और भगवत गीत से जुड़ी चीजें भी देखने को मिल सकती हैं। यह एक ईको-फ्रेंडली साड़ी है और इस लिए आज भी इस साड़ी पर रेश्म के धागों का काम देखने को तो मिलता ही साथ ही इस साड़ी को बनाने में केले के पेड़ की जड़, बांस का पेड़, फूलों के रंग, नीम और हल्दी की पत्ती का इस्तेमाल भी होता है।सिल्क की साड़ियां खरीदने के लिए सबसे बेस्ट हैं चेन्नई के ये फेमस मार्केट्स
विवाह पट्टू साउथ इंडिया की एक ट्रडिशनल साड़ी है। इस साड़ी को खातसतौरपर विवाहित महिलाएं पहनती हैं। इस साड़ी पर भी विवाह से जुड़ी रीतियों को चित्रों और एम्ब्रॉयडरी के माध्यम से उकेरा जाता है। इन साड़ियों में भगवान की चित्रों और कथाओं का भी चित्रों के माध्यम से वर्णन देखा गया है। कुछ समय पहले देश के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी की वाइफ नीता अंबानी ने अपने बेटे आकाश अंबानी की शादी के फंक्शन में 'विवाह पट्टू' साड़ी पहनी थी जिस पर भगवान श्रीनाथ की मूर्ती बनी थी। वहीं 'द चिन्नई सिल्क' के डायरेक्टर ने वर्ष 2008 में राजा रवि वर्मा की फेमस पेंटिंग 'गैलेक्स ऑफ म्यूजीशियन' की थीम पर एक 'विवाह पट्टू' साड़ी तैयार की थी। इसे गिनीज बुक ऑफी वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था। आपको बता दें कि इस साड़ी के पल्लू के साथ ही इसके बॉर्डर पर भी चित्रों के माध्यम से कहानियां उकेरी जाती हैं। फैशन इंडस्ट्री में 'विवाह पट्टू' साड़ी का फैशन धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा है। 'विवाह पट्टू' पर सोने के तारों का काम भी होता है। यदि मेहंगी और डिजाइनर साड़ी की ओर जाए तों आपको इस साड़ी विशेष रत्नों और कीमती धातुओं का काम भी नजर आएगा।
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अब आप बताएं कि आपको कौन सी स्टोरी टेलिंग साड़ी सबसे रोचक और सुंदर लगी।
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