मेट्रो ड्राइवर कैसे होते हैं लोको पायलट से अलग? जानें दोनों के बीच अंतर, योग्यता और भर्ती प्रक्रिया

मेट्रो ड्राइवर और लोको पायलट दोनों ही बेहद जिम्मेदारी वाले पेशे हैं। मेट्रो ड्राइवर शहर के भीतर ऑटोमेटेड ट्रेनों का संचालन करते हैं, जबकि लोको पायलट लंबी दूरी की ट्रेनों को नियंत्रित करते हैं। आइए इसी के साथ इन दोनों के बीच के अंतर को विस्तार से समझ लेते हैं।
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भारत में रेल परिवहन का अहम योगदान है। इसमें मेट्रो ट्रेन और भारतीय रेलवे दोनों की अलग-अलग भूमिका होती है। मेट्रो ट्रेनों को मेट्रो ऑपरेटर या मेट्रो पायलट चलाते हैं, वहीं भारतीय रेलवे की ट्रेनों को लोको पायलट चलाते हैं। दोनों ही पेशे चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन इनकी योग्यता, भर्ती प्रक्रिया और कार्यप्रणाली में काफी अंतर होता है। इसी कड़ी में आइए मेट्रो ड्राइवर और लोको पायलट के बीच के अंतर के बारे में विस्तार से जानते हैं। साथ ही, इन दोनों की योग्यता और भर्ती प्रक्रिया को समझेंगे।

मेट्रो ड्राइवर और लोको पायलट में क्या अंतर है?

metro driver eligibility and application process

  • मेट्रो ड्राइवर मेट्रो ट्रेनों का संचालन करता है, लेकिन लोको पायलट भारतीय रेलवे की लंबी दूरी की ट्रेनों का संचालन करता है।
  • मेट्रो ड्राइवर अर्बन ट्रांसपोर्ट के लिए होते हैं, जबकि लोको पायलट इंटरसिटी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए होते हैं।
  • मेट्रो ड्राइवर का काम आसान होता है, क्योंकि इसकी अधिकतर ट्रेनें ऑटोमेटिक होती हैं। जबकि लोको पायलट की ड्यूटी थोड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इसमें मैनुअल कंट्रोल और निगरानी जरूरी होता है।
  • मेट्रो ड्राइवर्स को शिफ्ट में तय समय के अंदर कार्यभार संभालना होता है, जबकि लोको पायलट को लंबी दूरी के सफर के कारण अधिक समय तक काम करना पड़ जाता है।
  • मेट्रो ड्राइवर की भर्ती प्रक्रियाइसकी कंपनियां DMRC, LMRC, MMRC द्वारा निकली वैकेंसी के तहत होती है। जबकि लोको पायलट के लिए रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) द्वारा भर्ती निकाली जाती है।

मेट्रो ड्राइवर की योग्यता

  • उम्मीदवार को 12वीं पास (Science & Mathematics) या डिप्लोमा/डिग्री (इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, सिविल) होना चाहिए।
  • कुछ मेट्रो सिस्टम आईटीआई (ITI) डिग्री धारकों को भी अवसर देते हैं।
  • इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को प्राथमिकता दी जाती है।

मेट्रो ड्राइवर कैसे बनें?

metro driver

  • लिखित परीक्षा - जनरल नॉलेज, गणित, रीजनिंग, और तकनीकी ज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • साइकोमेट्रिक टेस्ट - ट्रेन ऑपरेशन से जुड़ी मानसिक क्षमता जांचने के लिए होता है।
  • इंटरव्यू - तकनीकी और व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित इंटरव्यू लिया जाता है।
  • मेडिकल टेस्ट - आंखों की रोशनी, रंग पहचानने की क्षमता और स्वास्थ्य की जांच होती है।
  • चयनित उम्मीदवारों को 6 महीने से 1 साल की ट्रेनिंग दी जाती है।
  • ट्रेनिंग के दौरान सिमुलेटर, रियल ट्रेन ऑपरेशन और सेफ्टी नियमों की जानकारी दी जाती है।
  • ट्रेनिंग पूरी करने के बाद असिस्टेंट ऑपरेटर या ऑपरेटर के रूप में जॉइनिंग मिलती है।

लोको पायलट के लिए योग्यता

Indian railways loco pilot

  • 10वीं पास + आईटीआई (ITI) या डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स) अनिवार्य है।
  • बीटेक (B.Tech) डिग्री धारकों को भी प्राथमिकता दी जाती है।
  • रेलवे भर्ती में न्यूनतम 60% अंकों के साथ पास होना जरूरी है।

लोको पायलट कैसे बनें?

Indian railways loco pilot

  • RRB की ओर से एक सीबीटी टेस्ट ली जाती है, जिसमें गणित, रीजनिंग, विज्ञान, तकनीकी और सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • इसके बाद, साइकोमेट्रिक टेस्ट होता है, जिसमें प्रतिक्रिया समय और निर्णय लेने की क्षमता की जांच की जाती है।
  • फिर, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और मेडिकल टेस्ट होता है। इसमें आंखों की रोशनी, फिटनेस और स्वास्थ्य जांच होती है।
  • चयनित कैंडिडेट्स को रेलवे ट्रेनिंग सेंटर में 6 महीने से 1 साल तक की ट्रेनिंग दी जाती है।
  • ट्रेनिंग के बाद असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में पोस्टिंग दी जाती है।
  • अनुभव के आधार पर सीनियर लोको पायलट और फिर चीफ लोको पायलट बनने का अवसर मिलता है।

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Image credit- Freepik


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