
भारत में उच्च शिक्षा को और अधिक सुलभ और लचीला बनाने के लिए, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने साल में दो बार प्रवेश (एडमिशन) प्रक्रिया की मंजूरी दे दी है। यह नया नियम शैक्षणिक सत्र 2024-25 से लागू होगा। यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है, जिसका मकसद भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीला और गतिशील बनाना है।

यूजीसी अध्यक्ष (UGC Chairman) एम जगदीश कुमार के मुताबिक अब विश्वविद्यालय और कॉलेज साल में दो बार प्रवेश प्रक्रिया आयोजित करेंगे। इससे छात्रों को अलग-अलग कारणों से किसी भी प्रवेश सत्र को चुनने की सुविधा मिलेगी। यह नया नियम छात्रों को अपने शैक्षणिक और व्यक्तिगत समय सारणी के मुताबिक प्रवेश लेने में सहायक होगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई छात्र किसी वजह से एक सत्र में प्रवेश नहीं ले पाता है, तो वह अगले सेशन में प्रवेश ले सकता है।
UGC ने यह भी सुनिश्चित किया है कि दोनों प्रवेश सत्रों के लिए शैक्षणिक कैलेंडर सही और स्पष्ट तरीके से हो। इससे छात्रों और शिक्षण संस्थानों को अपने कार्यक्रमों की योजना बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में समर और विंटर सेमेस्टर की प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे छात्रों को और भी ज्यादा विकल्प और अवसर मिलेंगे। छात्रों के पास अब दो बार प्रवेश लेने का अवसर होगा, जिससे वे आसानी से अपनी शिक्षा पूरा कर सकेंगे।
यूजीसी के अध्यक्ष ने ‘पीटीआई-भाषा' से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 से भारतीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया साल में दो बार, जुलाई-अगस्त और जनवरी-फरवरी में आयोजित की जाएगी। इस फैसले का मकसद छात्रों को अधिक लचीलापन और अवसर प्रदान करना है, खासकर उन छात्रों के लिए जो किसी वजह से पहले सत्र में प्रवेश नहीं ले पाते हैं और इसके चलते उनका पूरा साल खराब हो जाता है।

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साल में दो बार प्रवेश प्रक्रिया की पहल से न केवल छात्रों को लाभ होगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बेहतर होंगे। इस कदम के कई सकारात्मक प्रभाव होंगे जो शिक्षा और रोजगार दोनों क्षेत्रों में खास होंगे। साल में दो बार प्रवेश के साथ, विश्वविद्यालय अधिक बार रोजगार मेले और प्लेसमेंट गतिविधियों का आयोजन कर सकेंगे, जिससे छात्रों को नौकरी खोजने में मदद मिलेगी।
साल में दो बार प्रवेश से हायर एजुकेशन अपने संसाधनों जैसे संकाय, प्रयोगशालाएं, कक्षाएं और सहायक सेवाओं की योजना को बेहतर बना सकेंगे। इससे संसाधनों का पूरा इस्तेमाल किया जा सकेगा और किसी भी समय संसाधनों का अनावश्यक बोझ नहीं पड़ेगा। दो प्रवेश सत्र होने से फैकल्टी को भी अपनी शिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों की योजना बनाने में आसानी होगी। इससे शिक्षकों पर कार्यभार समान तौर पर बांटा जाएगा और वे अपने शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावी ढंग से निभा सकेंगे।
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यूजीसी प्रमुख कुमार ने इस बात पर जोर दिया है कि विश्वविद्यालयों में साल में दो बार प्रवेश की अवधारणा दुनिया भर के कई देशों में पहले से ही लागू है। यूएसए, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में यह एक आम प्रणाली है। साथ ही यह बदलाव अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए भारतीय विश्वविद्यालयों को अधिक आकर्षक बना सकता है।
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