Loco Pilot Qualification And Salary Details: भारतीय रेलवे को दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क माना जाता है। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रोजाना करीब 22,593 ट्रेनें चलती हैं। रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) हर साल लाखों की संख्या में उम्मीदवारों की भर्ती करता है। भारत में बड़ी संख्या में युवा लोको पायलट यानी ट्रेन के ड्राइवर बनने का सपना देखते हैं।
ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर को लोको पायलट कहा जाता है। इसके लिए रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की ओर से भर्ती प्रक्रिया का संचालन किया जाता है। 8वां वेतन आयोग से इनके वेतन में भी वृद्धि होने की संभावना है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय रेलवे में काम करने वाले लोको पायलट को कितनी सैलरी मिलती है? आइए जानें, ट्रेन के ड्राइवर की सैलरी कितनी होती है?
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लोको पायलट कौन होता है?
ट्रेन चलाने वाले व्यक्ति यानी ड्राइवर को ही लोको पायलट कहा जाता है। ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लोको पायलट की होती है। यही कारण है कि इसे बहुत ही जिम्मेदारीपूर्ण कार्य माना जाता है।
लोको पायलट की सैलरी कितनी होती है?
रिपोर्ट्स की मानें, तो लोको पायलट उनके अनुभव के स्तर पर निर्भर करती है। एक असिस्टेंट लोको पायलट को 25,000 से 35,000 रुपये तक की मासिक सैलरी मिलती है। वहीं, एक अनुभवी लोको पायलट को 50,000 से 1,00,000 तक की सैलरी प्रति माह दी जाती है। इसके अलावा रेलवे कर्मचारियों को कई तरह के भत्ते, अलाउंस और अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। इन सभी चीजों तो मिलाकर उनकी कुल आय काफी बढ़ जाती है।
लोको पायलट के लिए योग्यताएं
लोको पायलट बनने के लिए उम्मीदवार को पास कई तरह की योग्यताएं होना आवश्यक है। जैसे-
- उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 50% अंकों से 12वीं पास होना चाहिए।
- उसके पास आईटीआई (ITI) प्रमाणपत्र होना चाहिए, जो उसके ट्रेड से संबंध रखता हो।
- वहीं, रेलवे के कुछ पदों के लिए डिप्लोमा या ग्रेजुएशन भी बहुत जरूरी होता है।
लोको पायलट भर्ती प्रक्रिया
लोको पायलट के लिए सीधी भर्ती नहीं होती है। उम्मीदवार को शुरुआत में असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर रखा जाता है। उन्हें इस पद पर कठोर ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग और अनुभव के बाद ही उन्हें लोको पायलट का पद मिलता है और ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी जाती है। इसके लिए पहले चरण में कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट देना होता है। इसके बाद, उन्नत स्तर की परीक्षा और साइकोमेट्रिक टेस्ट दोना होता है। आखिरी चरण में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और मेडिकल टेस्ट होता है।
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Image Credit:Her zindagi
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