स्कूली बैग का बोझ हुआ हल्का, 10 दिन बिना बैग के होगी क्लास, जानें क्या है शिक्षा मंत्रालय की नई गाइडलाइन

शिक्षा मंत्रालय ने 6वीं से 8वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए एक गाइडलाइन जारी की है। जिसके अनुसार, अब हर स्कूल को साल में कम से कम 10 दिन ऐसे रखने होंगे जब बच्चों को बिना बैग के स्कूल आना होगा।

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शिक्षा मंत्रालय ने एक नई और बेहद सराहनीय पहल की है, जिसके तहत 6वीं से 8वीं क्लास के छात्रों को साल में 10 दिन बिना बैग के स्कूल जाना होगा। इस फैसले का मकसद छात्रों पर कॉपी और किताब का बोझ कम करना और उन्हें अधिक इंटरैक्टिव, रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करना है। हर स्कूल को साल में 10 दिन ऐसे रखने होंगे जब बच्चों को बिना बैग के स्कूल आना होगा। इन दिनों में बच्चे प्रैक्टिकल एक्टिविटी और प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देंगे।

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शिक्षा मंत्रालय ने 29 जुलाई को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अमल के 4 साल पूरे होने के अवसर पर NCERT की सिफारिशों पर एक नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत 6वीं से 8वीं कक्षा के बच्चों के लिए साल में 10 दिन पढ़ाई के अलावा पर्सनालिटी ग्रूमिंग और स्किल्स डेवलपमेंट से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने का प्रावधान किया गया है। इस पहल का खास मकसद बच्चों को पढ़ाई के बोझ से राहत देना और उन्हें अलग-अलग जीवन कौशल यानी लाइफ स्किल्स सिखाना है।

शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुख्य बिंदु

  1. बैगलेस डेज: स्कूलों को अपने वार्षिक कैलेंडर में 10 बैगलेस डेज को अनिवार्य रूप से शामिल करना होगा, जिसमें छात्र बिना बैग के स्कूल आएंगे।
  2. एक्टिविटीज: इनडोर और आउटडोर एक्टिविटी के विकल्प दिए गए हैं, जिनमें स्कूल अपनी सुविधा के हिसाब से चुन सकते हैं।
  3. एनुअल कैलेंडर: स्कूलों को सलाह दी गई है कि वे अपने वार्षिक कैलेंडर में साल में दो बार 5-5 दिन तय करें, जब छात्रों को बिना बैग के स्कूल बुलाया जाएगा।
  4. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020: बैगलेस डेज के समय बच्चों को लोकल आर्टिस्ट से मिलवाया जाए, ऐतिहासिक स्मारकों पर लेकर जाया जाए और उन्हें क्लासरूम से बाहर की दुनिया से रूबरू करवाया जाए।
  5. फन मोड: 10 बैगलेस डेज के दौरान स्कूल का माहौल पूरी तरह से फन मोड में कन्वर्ट किया जाएगा, जिसमें छात्रों को अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स से मिलवाया जाएगा और उन्हें कई एक्टिविटी में शामिल किया जाएगा।

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10 बैगलेस डेज के दौरान बच्चे अलग-अलग गतिविधियों में होंगे शामिल

  • बच्चों को चिड़ियों, पौधों, पानी और मिट्टी से रूबरू करवाया जाएगा।
  • बच्चों को लकड़ी का काम, मिट्टी के बर्तन बनाने का काम, कागज से कई तरह की चीजें बनाने का काम सिखाया जाएगा।
  • बच्चों को बागवानी के बारे में बताया जाएगा और तरह-तरह के फूलों के बारे में समझाया जाएगा।
  • बच्चों को सोलर एनर्जी, बायो गैस प्लांट दिखाए जाएंगे और ग्रीन एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी के बारे में बताया जाएगा।
  • बच्चों को पोस्ट ऑफिस, बैंक, नेशनल पार्क, एजुकेशनल टूर, फील्ड विजिट, महिला पुलिस स्टेशन, सरकारी दफ्तर, यूनिवर्सिटी-कॉलेज समेत कई जगहों पर ले जाया जा सकता है।
  • बच्चों को बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट, डूडलिंग, स्क्रैपबुक बनाना, बंबू क्राफ्टिंग करना सिखाया जाएगा।
  • बच्चे एजुकेशनल गेम्स खेलेंगे या क्विज में हिस्सा लेंगे।
  • बच्चों को म्यूजिक और कल्चरल एक्टिविटी सिखाई जाएगी।
  • बच्चों को रोबोटिक्स, AI और नेटवर्किंग के बारे में बताया जाएगा।

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क्या है एक्सपर्ट्स की राय

इस विषय पर हमारे साथ एक्सपर्ट्स के तौर पर अब्दुल अजीम जुड़ें हैं। आपको बता दें, अब्दुल अजीम शिक्षा के क्षेत्र में पिछले 6 सालों से काम कर रहे हैं, मध्य प्रदेश के शिक्षा तथा जनजातीय कार्य विभाग के साथ साथ उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग के साथ स्कूलों में नवाचार, 21 वीं सदी के कौशल आधारित शिक्षण के विषय पर काम कर चुके हैं।

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हाल में इंटैको टेक्निकल सर्विसेज के साथ कार्यरत हैं, जिसका सामाजिक उत्तरदायित्व आशादीप फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ कौशल विकास एवं प्रशिक्षण पर आधारित है। इसके साथ ही स्वयंसेवी संस्था द विंग्स ऑफ डिजायर के उपाध्यक्ष भी हैं, जो अलीगढ़ में बालिका शिक्षा, कैंसर जागरूकता एवं पर्यावरण संरक्षण जैसे संवेदनशील विषयों पर कार्य करती है। अब्दुल अजीम इस फैसले को बच्चों के हित में देखते हैं और बताते हैं कि यह उनके करियर पाथ के लिए बहुत मददगार साबित होगा।

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Image Credit- freepik

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