शादी के बाद जब नहीं दुल्हन घर आती है तो घर बड़े बुजुर्ग उसे एक आर्शीवाद जरूर देते हैं और वो होता है, दूधो नहाओ पूतो फलो। यह एक प्राचीन कहावत भी है। इस कहावत का मतलब है कि जल्दह ही तुम एक पुत्र को जन्मफ दो, जो वंश को आगे बढ़ाए। मगर सवाल यह उठता है कि 21वीं सदी में जब महिलाएं पुरुषों से हर क्षेत्र में आगे हैं, तब इस तरह की कहावतों का क्याe औचित्यां रह जाता है। क्या लड़कियां वंश को आगे नहीं बढ़ा सकतीं। यह सारे सवाल हमेशा से उठते आए हैं, मगर इस बार इन सवालों को मोदी सरकार द्वारा मंडे को 2017-18 के इकोनॉमिक सर्वे में उठाया गया है।
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सर्वे को पेश करते हुए finance minister अरुण जेटली ने कहा, अब बहु बेटियों को पूतो फलो का आर्शीवाद देना बंद कर दीजिए। बेटियों को encourage करिए और उन्हें आगे बढ़ाइए। बेटियां आगे बढ़ेंगी तो सामाज भी आगे बढ़ेगा। इतना ही नहीं सरकार ने पहली बार women empowerment और gender equality को बढ़ावा देने के लिए सर्वे को pink colour में पेश किया।
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दरअसल इस रंग को महिलाओं का रंग माना जाता है। इस रंग से महिलाओं कई तरह से जोड़ा गया है। इस बार सर्वे को इस रंग में पेश करने के बाद सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह पूरी तरह से महिलाओं को आगे बढ़ाता हुआ देखना चाहती है।
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सर्वे में नॉर्थईस्ट् महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता का example पेश किया गया है। सर्वे को तीन तरह से बाटां गया है। इसमें सबसे पहले महिलाओं को खुद के लिए economic डिसीजन लेने की बात कही गई है। साथी ही आखरी बच्चे के तौर पर बेटे के महत्वक को खत्म। करने के लिए भी कहा गया है। किसी महिला पर दूसरी बार pregnant होने का जोर इसलिए नहीं बनाया जा सकता क्योंकि पहली संतान बेटी थी।
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सर्वे में महिला की किस उम्र में शादी होनी चाहिए, उसकी एजुकेशन, जॉब आदि पर सर्वे किया गया तो पता चला कि भारत में महिलाओं की हालत तो सुधर रही हैं मगर इन आज भी उनकी एजुकेशन और जॉब को लेकर काफी समस्या एं हैं। हालाकि सरकार इस मसले पर लगातार काम कर रही है़ । ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, सुकन्या समृद्धि योजना और maternity leave की संख्या बढ़ाए जाने को survey में सही दिशा में उठाया गया कदम बताया गया. सर्वे में कहा गया है कि maternity leave के बढ़ाए जाने से कामकाजी महिलाओं को काफी सुविधा मिली है। मगर महिलाओं के लिए एजुकेशन और करियर में और अवसर लाने की जरूरत है।
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