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नवरात्रि व्रत का मतलब दिन-भर खाते रहना नहीं

कुछ लोग व्रत को व्रत ना मानकर 9 दिनों तक इतना खाते रहते हैं, जिसका खामियाज़ा उनको  बाद में भुगतना पड़ता है।
Editorial
Updated:- 2019-10-01, 10:49 IST

व्रत रखने के पीछे  जहां धार्मिक, आध्यात्मिक या संस्कृति वजहें होती हैं, वहीं कुछ लोग व्रत  को  व्रत ना मान  कर  9 दिनों तक  इतना खाते रहते हैं, जिसका खामियाज़ा उनको  बाद में भुगतना पड़ता है।

नवरात्रि का पर्व हमारे देश में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस व्रत को रखने के पीछे वैज्ञानिक रूप से भी कई कारण होते हैं। जहां व्रत रखना मनुष्य के अच्छी सेहत का कारण भी माना जाता है, वहीं व्रत के पीछे यह भी मान्यता है कि  मन और आत्मा की  शुद्धि  के  लिए लोग कुछ दिनों तक फलाहार या हल्के भोजन का सेवन करते हैं,  पर वहीं  कुछ  लोगों के लिए  व्रत,  व्रत ना होकर चरत होता  है. मतलब  वो  इतना  खाते  रहते हैं।  जिसको  देख कर  लगता  नहीं  हैं  कि  उन्होंने   व्रत  रखा  है व्रत  के  नाम  पर  इनको  भी  नहीं  पता  चलता  कि  वो  क्या  और  कितना  खा  रहें  हैं। इनको  देखकर  लगता  नहीं  हैं कि  इन्होंने  नौ  दिन  का  व्रत रखा  है अगर  आप  भी  ऐसे  ही  लोगों  की  कैटेगरी में  शामिल  हैं  तो  समझ जाइये कि आप  व्रत  नहीं चरत कर  रहीं  हैं। मतलब  आप  कहने  को  और  लोगों  की  नज़र में  फ़ास्ट तो  रख रहें  हैं।  बल्कि  ये  आपका  दिल  ही  जानता है  कि आप  क्या कर  रहीं  हैं।

 

भारतीय लोग खाने के शौकीन

यह  बात  सच  है  कि  हम भारतीय खाने के बहुत शौकीन होते हैं, इसलिए कुछ दिन तो क्या एक दिन भी हमें हमारे मन मुताबिक स्वादिष्ट भोजन ना मिले तो ऐसा लगता है।  जैसे  कुछ  खाया  ही  नहीं हैं। लेकिन व्रत के दौरान हम अपनी इच्छा अनुसार कुछ नहीं कर सकते क्योंकि व्रत चाहे किसी भी प्रकार का हो, उससे जुड़े नियमों का पालन करना अति आवश्यक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि व्रत को पूर्ण विधि-विधान से किया जाना ही जरूरी है।

 

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सीधा सम्बन्ध शारीरिक और मानसिक सेहत पर 

प्राचीन विज्ञान के अनुसार भोजन तीन प्रकार के होते हैं – सात्विक, राजसिक और तामसिक। ये तीनों भोजन हमारे शरीर पर विशिष्ट तरह का प्रभाव डालते हैं। इसलिए हम  जो खाते हैं। उसका सीधा सम्बन्ध आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ता है। साथ  ही व्रत रखने का फायदा यह होता है कि  व्रत के दौरान जब  हम  हल्का भोजन करते हैं, तो पाचन तंत्र को आराम मिलता है। क्योंकि  व्रत के दौरान खाया जाने वाला आहार हल्का होने की वजह से आसानी से पच जाता है।

फलाहार मतलब फलाहार

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व्रत के  दौरान लोग वही ग्रहण कर सकते हैं,  जो शास्त्रों में कहा गया है। व्रत के अनुसार जो फलाहार कहा गया है केवल वही खाना चाहिए। भूलकर  भी नमक व  लहसुन-प्याज़ नहीं  खाना  चाहिए। फलाहार में आप ऐसी चीजों को शामिल करें जो पोषण प्रदान करने वाली हों जैसा- केला, सेब, अनार, मौसमी आदि। इसके अलावा आप व्रत करते समय सभी सूखे मेवे भी खा सकती हैं।

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व्रत की मान्यताओं को अपनाना चाहिए

धार्मिक उद्देश्य के अनुसार  व्रत के दौरान भूखे रहना एक तपस्या समान है, और जो इस तपस्या पर खरा उतर गया समझो उसको भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता  है। इसलिए पूर्ण रूप से व्रत की मान्यताओं को अपनाकर  स्वस्तिक आहार  लेना चाहिए और चटोरेपन  के  कारण  अधिक खाने वाली आदत से बचना चाहिए।

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