भारत में चावल की खपत बहुत ज्यादा है। देश के लगभग हर प्रांत में चावल से अलग-अलग तरह की डिशेज बनाई जाती हैं। भारत में अलग-अलग तरह के चावल की वैरायटी मिलती है, पर बासमती की बात ही कुछ और है। बासमती चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर भारत ही है। अब इस चावल की भी अलग-अलग वैरायटी सामने आ गई है। भारत का चावल यूरोप, मिडिल ईस्ट, अमेरिका आदि में भेजा जाता है।
बासमती चावल वैसे तो बहुत ही अच्छा होता है, लेकिन महंगा बहुत होता है। यही कारण है कि इसे आमतौर पर लोग रोज़ाना के प्रयोग में नहीं लाते हैं। पर क्या कभी आपने सोचने की कोशिश की है कि ये चावल इतना महंगा क्यों है?
बासमती के महंगे होने के पीछे एक दो नहीं बल्कि पूरे पांच कारण हैं। चलिए आपको बताते हैं।
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सबसे पहला और सबसे बड़ा कारण यही है कि बासमती चावल का साइज नॉर्मल चावल की तुलना में काफी बड़ा होता है। इसका एक दाना 8.44 mm तक लंबा हो सकता है। इसका परफेक्ट साइज किसी और वैरायटी के चावल में नहीं मिल पाता है। पुलाव आदि बनाते समय बासमती चावल का ही इस्तेमाल किया जाता है।
लोग पुरानी चीजों को सस्ते दाम में बेचते हैं, लेकिन चावल साथ ऐसा नहीं है। एजिंग प्रोसेस के कारण शराब भी ज्यादा महंगी हो जाती है और यही कारण है कि बासमती चावल भी इतना महंगा हो जाता है। इस चावल को एज किया जाता है ताकि इसका टेक्सचर और साइज सही रहे। ताजा बासमती चावल खलिहान से खरीदा जाता है और इसे 18 से लेकर 24 महीने तक एज किया जाता है।
कंपनियों को इस एजिंग प्रोसेस के लिए खासतौर पर वेयरहाउस बनाने होते हैं ताकि चावल की एजिंग बिना डिफेक्ट हो सके। इसके लिए तापमान भी सेट करना होता है। इसलिए बासमती की कीमत काफी ज्यादा हो जाती है।
बासमती चावल को जब पकाया जाता है तो इसकी खुशबू बहुत ही अच्छी आती है। इसी के साथ, पकने के बाद इसके दाने खिले-खिले बनते हैं। बासमती चावल में '2-acetyl-1-pyrroline' नामक एक कम्पाउंड रहता है, जिसके कारण ऐसा होता है। पकने के बाद बासमती का साइज पकने के बाद दो गुना बढ़ जाता है। यही कारण है कि इसकी मांग बहुत ज्यादा होती है।
जब भी न्यूट्रिशन लेवल की बात होती है तो बासमती चावल काफी ऊपर आता है। बासमती चावल भले ही महंगा हो, लेकिन ये हेल्दी ऑप्शन होता है। बासमती चावल का ग्लाइसेमिक लेवल कम होता है। यही कारण है कि डायबिटीज के मरीजों के लिए इसे एक अच्छा ऑप्शन माना जाता है जिससे उनका इंसुलिन लेवल ना बढ़े।
इसमें कार्ब्स और कैलोरी भी कम होती है। एनर्जी लेवल भी बासमती चावल खाने से बढ़ता है। अगर किसी को कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो उसे भी ये चावल ही खाने की सलाह दी जाती है। यही कारण है कि इसे सबसे अच्छा माना जाता है।
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जब बासमती चावल की प्लांटिंग की बात होती है तो समझ आता है कि इसे उगाना इतना आसान नहीं है। ये हर जगह नहीं उग सकता है। इसके लिए सही मौसम चाहिए और ऐसा भी हो सकता है कि हवा की वजह से इसके पौधे डैमेज हो जाएं। बासमती चावल के पौधे नॉर्मल चावल की तुलना में ज्यादा लंबे होते हैं इसलिए इनका ख्याल भी रखना होता है।
इन्हीं कारणों से बासमती की कीमत में इजाफा होता है।
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