"भैया चाऊमीन बनाते हुए उसमें अजीनोमोटो मतल डालना", यह आपने भी कभी न कभी फास्ट फूड स्टॉल वाले भैया को कहे होंगे। मोनोसोडियम ग्लूटामेट जिसे अजीनोमोटो भी कहा जाता है, एक फ्लेवर एन्हांसर का काम करता है। यह कई सालों से कुछ फूड आइटम्स में डाला जाता आ रहा है। चाइनीज रेसिपीज में यह लगभग हर तरह की रेसिपीज भी उपयोग होता है।
एमएसजी को एक खराब इंग्रीडिएंट माना जाता है और इसके कई नुकसान भी गिनवाए जाते हैं। लेकिन क्या यह वाकई एक खराब सामग्री है? सबसे पहला सवाल तो यह है कि यह क्या होता है और क्या हम लोग इसका सेवन कर सकते हैं?
चलिए चीनी रेसिपीज का स्वाद बढ़ाने वाले इस इंग्रीडिएंट के बारे में विस्तार से समझें और जानें कि इसे कैसे उपयोग में लाया जा सकता है।
इसे एमएसजी भी कहते हैं और यह कई फूड्स में पहले से मौजूद भी होता है। एल-ग्लूटामिक एसिड एक गैर-आवश्यक अमीनो एसिड है, जिसका अर्थ है कि आपका शरीर इसे खुद ही उत्पन्न कर सकता है और इसे भोजन से प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।
यह क्रिस्टल की तरह दिखने वाला एक पाउडर होता है, जो सफेद होता और इसकी कोई खुशबू भी नहीं होती।
इसे सबसे सरल शब्दों में बताया जाए, तो यह उमामी का सबसे शुद्ध रूप है और यह भोजन को एक तीखा स्वाद देता है, जो आपके तालू पर काफी देर तक बना रहता है। एमएसजी एशियाई खाने में काफी उपयोग होता है। इसके अलावा, यह पश्चिमी खानपान में भी कई प्रोसेस्ड फूड आइटम्स में उपयोग किया जाता है।
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मोनोसोडियम ग्लूटामेट को 100 साल पहले एक जापानी केमिस्ट किकुने इकेदा ने डिस्कवर किया था। इसे सीवीड से प्राप्त किया गया था। उन्होंने देखा कि इसका एक विशिष्ट स्वाद होता है, जो फ्लेवर को एन्हांस कर सकता है।
हालांकि आज इसे काफी अलग तरह से बनाया जाता है। एमएसजी एक वीगन प्रोडक्ट है, जिसे प्लांट से लिया जाता है। इसे स्टार्च, चुकंदर, गन्ना या गुड़ को फर्मेंट करके बनाया जाता है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की एक स्टडी के मुताबिक, इसे ज्यादा मात्रा में सेवन करना नुकसानदायक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसके अत्यधिक यह लेप्टिन नामक हार्मोन को प्रभावित करता है। इतना ही नहीं, एमएसजी को मेटाबॉलिज्म संबंधी विकारों के बढ़ते जोखिम से भी जोड़ा गया है।
ग्लूटामेट ब्रेन के काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में कार्य करता है, जो नर्व सेल्स को संकेत प्रसारित करने के लिए उत्तेजित करता है।
कुछ अध्ययनों का दावा है कि एमएसजी ब्रेन में ग्लूटामेट के अत्यधिक स्तर को बढ़ाकर नर्व सेल्स को अत्यधिक उत्तेजित कर सकता है। इसके कारण हमारे ब्रेन में प्रभाव पड़ता है।
आज भी कई फूड आइटम्स में इसका इस्तेमाल किया जाता है। क्या इसका सेवन करना वाकई हानिकारक है? अगर बात करें इसके इस्तेमाल की तो इसे एक फ्लेवर एन्हांसर के रूप में 1900 दशक से खाया जा रहा है। कई नई स्टडीज के मुताबिक अगर इसे मॉडरेशन में खाया जाए, तो इससे नुकसान नहीं होता है। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) का कहना है कि एमएसजी को आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) जैसे ग्लोबल फूड-रेगुलेटिंग बॉडी भी इससे सहमत हैं।
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जैसा कि हमने आपको बताया कि एमएसजी कई फूड आइटम्स में पहले से मौजूद होता है। हाई प्रोटीन फूड में इसका शामिल होना तय है। इसके अलावा यह कई प्रोसेस्ड फूड भी में मौजूद होता है।
आप नमक मात्रा थोड़ी-सी कम करके इसे अपने खाने में डाल सकते हैं। आप इसे ग्रेवी बनाते वक्त मॉडरेशन में डाल सकते हैं। इसके अलावा पास्ता के फ्लेवर को बढ़ाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि अगर आप केचप या अन्य किसी सॉस का उपयोग कर रहे हैं, तो इसकी मात्रा कम रखें। फ्रेंच फ्राइज, चॉकलेट चिप कुकीज, सलाद ड्रेसिंग में भी डाला जा सकता है।
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