How Silver Foil is Made: बाजारों से बर्फी, चमचम या बालूशाही जैसी मिठाइयां आप लाते होंगे तो उसमें चांदी का वर्क तो देखते ही होंगे। यह सिंपल सी दिखने वाली मिठाई को बड़ा सुंदर बना देता है। पहले यह दक्षिण-एशियाई व्यंजनों में उपयोग किया जाता था, लेकिन अब इसे लगभग कई खाद्य पदार्थों में उपयोग करते हैं।
बहुत से लोग यह नहीं जानते होंगे, लेकिन चांदी का वर्क दशकों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है और यह सिर्फ मिठाई में नहीं, बल्कि मुगलई और अवधी दोनों व्यंजनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है। मगर क्या आपने यह जानने की कोशिश की है कि यह चांदी का वर्क कैसे बनता है? क्या इसमें जानवरों का मांस वाकई डाला जाता है? क्या यह चांदी का वर्क आपकी हेल्थ के लिए सही है?
दरअसल एडिबल सिल्वर फॉइल एक बहुत ही पतली शीट होती है जो एल्युमीनियम जैसी दिखती है, लेकिन इसके बनाने का तरीका एकदम अलग है। इसे कैसे तैयार करते हैं और कैसे खाने लायक बनाया जाता है, वो सभी आप इस आर्टिकल में जान सकते हैं।
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चांदी का पत्ता या चांदी का वर्क, सिल्वर के नॉन-बायोएक्टिव पीसेस को पीटकर बनाया जाता है। इसके बाद इसे बुकलेट के पन्नों के बीच रखा जाता है, ताकि यह टूटे नहीं। दरअसल, असली और सही एडिबल चांदी का वर्क इतना पतला और नाजुक होता है कि वह त्वचा के सीधे संपर्क में आने पर आसानी से टुकड़ों में टूट जाता है।
फेस्टिवल सीजन में चूंकि इसकी डिमांड बहुत ज्यादा होती है, तो इसमें मिलावट भी की जाती है। कई मामलों में देखा गया है कि चांदी का वर्क बनाने के लिए इसमें एल्युमीनियम भी मिलाया जाता है, क्योंकि दोनों दिखने में सामान होते हैं।
इसके अलावा, निकल, सीसा और कैडमियम जैसी अन्य भारी धातुओं की मिलावट इसमें की जाने लगी है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
साल 2016 में खबरों में यह पता लगा था कि चांदी को बैलों और भैंसों की आंतों के अंदर रखा जाता है और फिर वर्क में पतलेपन के लिए हथौड़े से काफी पीटा जाता है। यह सुनने में भले ही गंदा लगे, लेकिन यह सच था। हालांकि इसके तुरंत बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने चांदी के पत्ते पर एनिमल यूज के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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सिल्वर फॉइल न सिर्फ आपकी मिठाइयों को एक रिच लुक देता है, बल्कि इसे कई अन्य कारणों से भी अच्छा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक शुद्ध एडिबल सिल्वर फॉइल में एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं जो खाने की शेल्फ लाइफ को भी बढ़ाने में मदद करती है।
1. सिल्वर लीफ को अपनी उंगलियों पर रखें और अपनी उंगलियों से इसे दबाकर देखें। अगर यह आपकी उंगलियों चिपकता है तो यह असली है। समझ जाएं कि इसमें एल्युमीनियम की मिलावट की गई है।
2. इसे अपने हाथों में लेकर उंगलियों से मसल कर देखें। अगर उंगलियों पर रखते ही यह टुकड़े-टुकड़े हो गया तो समझिए कि यह असली है। अगर ऐसा नहीं होता तो इसमें एल्युमीनियम की मिलावट की गई है (एल्युमीनियम फॉइल को ऐसे करें रियूज)।
3. सिल्वर लीफ का एक छोटा टुकड़ा लें और उसमें आग लगा दें। अगर यह एक छोटी बॉल में बदल गया तो यह असली है। अगर जलकर एक भूरा या काला एलिमेंट छोड़े तो इसमें मिलावट की गई है।
इसका पूरा कंक्लूजन यह है कि यह नॉन-वेज नहीं होता है। इसमें मिलावट देखने के लिए आप घर में यह छोटे टेस्ट करके देख सकते हैं और असली और नकली में फर्क कर सकते हैं।
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Image Credit : Freepik, quora & amazon
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