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भारत के इस मंदिर में भोलेनाथ की होती है बाल स्वरूप में पूजा, सावन में जाए दर्शन करने

यह मंदिर यह मंदिर न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। आप भी यहां अपने पूरे परिवार के साथ दर्शन का प्लान बना सकते हैं।  
Editorial
Updated:- 2024-08-05, 16:50 IST

वाराणसी, अपने प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्ध स्थल माना जाता है। इस शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को देखने के लिए केवल देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं। लेकिन यहां एक ऐसा मंदिर है, जिसे भोले बाबा के लिए सबसे खास माना जाता है।

इस मंदिर का महत्व उसकी पौराणिकता, विशेष आस्था, और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। यहां आने वाले भक्त मानते हैं कि बटुक भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से उन्हें मुक्ति मिलती है। लेकिन इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि भोले बाबा यहां बाल स्वरूप में पूजे जाते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको मंदिर के बारे में विस्तार से बताएंगे। 

कहां है बटुक भैरव शिव मंदिर

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यह मंदिर वाराणसी के कमच्छा क्षेत्र के अपने दो रूपों में विराजमान हैं। यहां बाबा का पहला रूप बाल रूप है। इसके बाद मंदिर के दूसरे हिस्से में वह भैरव आदि भैरव के रूप में विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

इस मंदिर का महत्व उसकी पौराणिकता, विशेष आस्था, और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। बटुक भैरव, भगवान भैरव के बालक रूप का प्रतीक हैं, जो विशेष रूप से मासूम और शुद्ध हैं। यह रूप भक्तों के सभी संकटों को दूर करने और उनके जीवन में सुख-शांति लाने के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि बाबा के दर्शन से अगर संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है। 

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मंदिर की खास मान्यता

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यहां भगवान को टॉफी बिस्किट का प्रसाद चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से संतान के सारे कष्ट खत्म हो  जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, बटुक भैरव को भगवान शिव और काली का पुत्र माना गया है। यह भारत के सबसे अच्छे मंदिर में से एक है।

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मंदिर खुलने का समय

  • मंदिर सुबह 4 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम को 4 बजे से रात को 12 बजे तक खुला रहता है।
  • मंदिर में 3 बार आरती होती है, इसलिए अपने हिसाब से किसी भी आरती में शामिल होने के लिए जा सकते हैं। यह आरती इतनी विशाल होती है कि इस दौरान नगाड़े भी बजते हैं। 

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